New Delhi. सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को यूपी के बहुचर्चित लखीमपुर खीरी कांड में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष की जमानत रद्द कर दी। शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत रद्द करते हुए आशीष मिश्रा को एक हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दी थी।
दोनों पक्षों की अपनी-अपनी दलीलें
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताई थी, जिसमें आरोपी आशीष मिश्रा को जमानत देने के लिए FIR और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में 'अप्रासंगिक' ब्योरे पर भरोसा किया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी थी कि हाईकोर्ट ने एसआईटी की रिपोर्ट के साथ-साथ चार्जशीट को नजरअंदाज कर दिया। दवे ने यह कहते हुए जमानत रद्द करने की मांग की थी कि आरोप गंभीर हैं और गवाहों की जान को खतरा है।
उधर, आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने हाईकोर्ट के आदेश का बचाव करते हुए कहा था कि उनका मुवक्किल घटनास्थल पर मौजूद नहीं था। अगर अदालत जमानत के लिए कोई शर्त जोड़ना चाहती है तो वह ऐसा कर सकती है।
जीप से कुचले गए थे किसान
3 अक्टूबर 2021 को लखीमपुर के तिकुनिया में हिंसा में 8 लोगों की मौत हो गई थी। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू ने अपनी जीप से किसानों को कुचल दिया था। मामले में उत्तर प्रदेश SIT ने 3 जनवरी को 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी। एसआईटी ने आशीष को मुख्य आरोपी बताया था। एसआईटी के मुताबिक, आशीष घटनास्थल पर ही मौजूद था। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फरवरी में आशीष मिश्रा को जमानत दे दी थी।
आशीष को जमानत के खिलाफ पीड़ित परिवारों के लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। फिर चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।