लता मंगेशकर की आवाज की पूरी दुनिया मुरीद है। लेकिन वह डूंगरपुर के राजुकमार राजसिंह (Rajsingh dungarpur) की मुरीद थीं। बताया जाता है कि लता और राजसिंह दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे। लता उन्हें प्यार से मिट्ठू कहकर बुलाती थीं। दोनों शादी का मन बना रहे थे लेकिन जब महारावल लक्ष्मण सिंह ने शादी होने से मना कर दिया। वजह ये थी कि लता मंगेशकर (Lata mangeshkar) एक शाही परिवार से नहीं थी और महारावल लक्ष्मण अपने बेटे राज सिंह की शादी एक आम लड़की से नहीं करना चाहते थे। इसके बाद लता मंगेशकर जीवन भर कुंवारी रहीं।
राजपरिवार इस रिश्ते को मुकाम नहीं दे पाया: बीकानेर की राजकुमारी राज्यश्री ने अपनी आत्मकथा पैलेस ऑफ क्लाउड्स- ए मेमॉयर (ब्लूम्सबरी इंडिया 2018) में लिखा हैं कि दोनों की मुलाकात क्रिकेट के लिए दीवाने लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर के जरिए हुई थी। हृदयनाथ मंगेशकर और राजसिंह डूंगरपुर में दोस्ती थी, फिर इसी दोस्ती में लता (Lata mangeshkar love story) की एंट्री हुई और उनकी मुलाकात राजसिंह डूंगरपुर से हुई। इस रिश्ते पर न सिर्फ डूंगरपुर के शाही घराने की नजर टेढ़ी थी बल्कि डूंगरपुर खानदान से जुड़े दूसरे राज परिवार भी इस रिश्ते को वो मुकाम नहीं दे पाए, जिसका वह हकदार था।
राजसिंह की बहनों ने ये कहा: राज्यश्री अपनी आत्मकथा में लिखती हैं, लता मंगेशकर को बॉम्बे के पुराने बीकानेर हाउस में आमंत्रित किया गया था और मुझे भरपूर संदेह है (लेकिन पुष्टि नहीं कर सकती) कि लता को कह दिया गया था कि वो इन महारानियों के भाई को अकेला छोड़ दें, ताकि वे अपने लिए एक योग्य रानी की तलाश कर सकें। (पेज-293)
महाराज लक्ष्मण सिंह के छोटे बेटे: 19 दिसंबर 1935 को राजसिंह का जन्म राजस्थान की डूंगरपुर रियासत में हुआ था। वे डूंगरपुर के महाराजा लक्ष्मण सिंह के छोटे बेटे थे। राजसिंह का करियर साल 1955 से 1971 के बीच रहा। इस दौरान उन्होंने 86 प्रथम श्रेणी मैच खेले थे। इसके बाद राज सिंह 20 साल तक भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के मेंबर भी रहे। वह दो कार्यकाल तक नेशनल टीम के सेलेक्टर रहे और चार बार भारतीय टीम के विदेश दौरे के प्रबंधन किया। 12 सितंबर 2009 को उनका निधन हुआ था।