पाली. हम आपको एक ऐसे साधारण डॉक्टर की कहानी सुना रहे हैं, जिसका असाधारण प्रेम अपनी पत्नी को मौत के मुंह से खींच लाया। पेशे से डॉक्टर 32 साल के सुरेश चौधरी की जिंदगी आम जिंदगियों की तरह ही चल रही थी। लेकिन मई 2021 में कोरोना ने उनकी जिंदगी में भूचाल ला दिया। पत्नी अंजू चौधरी कोरोना संक्रमित हुई। इंन्फेक्शन इतना बढ़ गया कि इलाज में 1.25 करोड़ का खर्च आया। सुरेश के पास इतना पैसा नहीं था। लिहाजा उन्होंने अपनी पत्नी को बचाने के लिए MBBS की डिग्री के सहारे 70 लाख का लोन लिया। साथ ही उन्हें अपना सबकुछ दांव पर लगाना पड़ा।
डॉक्टर ने मना कर दिया था: संक्रमित होने के बाद अंजू की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। सुरेश पत्नी को लेकर बांगड़ अस्पताल पहुंचे। लेकिन यहां उन्हें बेड नहीं मिला। इसके बाद सुनीता को जयपुर एम्स में भर्ती कराया। कोरोना पीक पर था लिहाजा सुरेश को छुट्टियां नहीं मिल रही थी। इसलिए वे एक रिश्तेदार को पत्नी के पास छोड़कर वापस ड्यूटी पर आ गए। 30 मई को अंजू की हालत ज्यादा खराब हो गई। उनके लंग्स 95 फीसदी तक संक्रमित हो चुके थे। डॉक्टर्स ने कह दिया था कि अंजू का बचना मुश्किल है लेकिन सुरेश ने हार नहीं मानी।
रोजाना इलाज में 1 लाख रुपए खर्च: अंजू का वजन 50 किलो से घटकर 30 किलो तक आ गया था। शरीर में खून की भी जबर्दस्त कमी हो गई थी। इसके चलते अंजू को ECMO मशीन पर लिया गया। इस मशीन से हार्ट और लंग्स बाहर ऑपरेट होते हैं। इसका औसतन एक दिन का खर्चा एक लाख रुपए से ज्यादा होता है। अंजू इस मशीन पर 87 दिन भर्ती रही। इसके बाद उनकी तबीयत में सुधार हुआ और वो धीरे-धीरे रिकवर होने लगी।
इस तरह जुटाई रकम: सुरेश ने पत्नी के इलाज के लिए अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया। पैसा जुटाने के लिए सुरेश ने अपनी MBBS की डिग्री गिरवी रखकर बैंक से 70 लाख रुपए का लोन लिया। उनके पास खुद की सेविंग केवल 10 लाख रुपए थी। इसके अलावा सुरेश ने अपने दोस्तों और साथी चिकित्सकों से 20 लाख रुपए लिए। वहीं 15 लाख रुपए में अपना एक प्लॉट बेचा। बाकी रिश्तेदारों से भी रकम उधार ली।
7 जन्म का साथ है मरने कैसे देता: अंजू का कहना है कि वह केवल पति की जिद ओर जुनून के कारण आज ठीक हुई है। ये ही मेरे वेलेंटाइन है। वहीं, सुरेश ने बताया कि 7 जन्म तक सात निभाने का वादा है। कैसे मरने देता।