रायपुर. बीजेपी विधायक सौरभ सिंह ने 27 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लिखित शिकायत भेजी है। इसमें बताया गया कि केंद्र की डीएमएफ योजना जिसे जिला खनिज न्यास संस्थान मद भी कहा जाता है, उसके क्रियान्वयन में गड़बड़ी और गंभीर भ्रष्टाचार हुआ है। इसके आरोप विधायक ने कोरबा जिले की कलेक्टर रानू साहू पर लगाए हैं।
11 बिंदुओं में भेजी गई शिकायत: लैटर में बताया गया कि डीएमएफ की राशि से कंबल बांटे जा रहे हैं। कलेक्टर कार्यालय की देखरेख में ये काम किया जा रहा है। आरोप लगाया गया है कि डीएमएफ के लिए शासी परिषद बनाई गई है। लेकिन परिषद की जानकारी के बगैर कार्यों में परिवर्तन और संशोधन किए जा रहे हैं। परिषद जिन कार्यों को अप्रूव करती है, उसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं होती है। जबकि परिषद के संज्ञान के बगैर इनके द्वारा जोड़े नए कार्यों को तुरंत प्रशासकीय स्वीकृति आदेश जारी किए जाते हैं। बताया गया कि कलेक्टर कोरबा कई कामों में भुगतान रोक कर संबंधित वेंडर या निर्माण एजेंसी पर दबाव डाला गया कि काम में भ्रष्टाचार हुआ या कि निर्माण कार्य ठीक से नहीं किया गया। फिर कुछ समय बाद उन्हें भुगतान कर दिया गया।
क्या है DMF: डीएमएफ खान और खनिज विकास और विनियमन संशोधन अधिनियम 2015 के तहत अस्तित्व में आई। इस मद में खनन कार्यों से प्रभावित व्यक्तियों और क्षेत्रों के हित और लाभ के लिए काम किया जाना है। इसका क्षेत्राधिकार राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है लेकिन इम्प्लीटेशन की निगरानी केंद्र सरकार करती है। कोरबा जिला छत्तीसगढ़ के उन जिलों में है, जहां सर्वाधिक डीएमएफ की राशि आती है। कोरबा की डीएमएफ राशि में से दस फीसदी राशि जांजगीर चांपा और बिलासपुर जिले के क्षेत्रीय विकास के लिए दी जाती है। इधर डीएमएफ के मसले को लेकर किसी कलेक्टर की सीधे प्रधानमंत्री मोदी को लिखित शिकायत का सूबे में यह पहला मामला है। जबकि शिकायतकर्ता विधायक हो, और भाजपा का हो
जिन विधायक सौरभ सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर बीते तीन सालों के डीएमएफ क्रियान्वयन की जांच की मांग की है वे जांजगीर चांपा जिले के अकलतरा विधानसभा से बीजेपी के विधायक हैं। कोरबा, जांजगीर चांपा और बिलासपुर जिला विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत का प्रभाव क्षेत्र है। कोरबा राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल का विधानसभा क्षेत्र है। यहां यह याद रखा जाना चाहिए कि कांग्रेस के भीतरखाने घर में घेरो वाली नीति का जो ओपन सीक्रेट तमाशा है उसके शिकार ये दोनों दिग्गज भी माने जाते हैं। केवल डीएमएफ को लेकर ही नहीं बल्कि कई अन्य मुद्दों पर जहां प्रशासनिक भूमिका की आवश्यकता होती है वहां इस प्रशासनिक भूमिका पर सवालिया निशान इन दोनों दिग्गजों की ओर से भी लगते रहते हैं।