MUMBAI. महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट बरकरार है। एकनाथ शिंदे के साथ बागी गुट असम में बना हुआ है तो उद्धव ठाकरे बाकी सहयोगियों के साथ मुंबई में सरकार बचाने की रणनीति बनाने में लगे हैं। इस बीच खबर आई कि शिंदे ने एक नया दल बना लिया है और इसका नाम शिवसेना बाला साहेब रखा है।
उधर, ठाणे में शिंदे के घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वो इस समय असम के गुवाहाटी के रैडिसन ब्लू होटल में राज्य के अन्य बागी विधायकों के साथ ठहरे हुए हैं। महाराष्ट्र में शिवसैनिकों ने कई जगहों पर बागी नेताओं के ठिकानों पर हमले किए। इस बीच मुंबई में किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए धारा 144 लगा दी गई है।
बागी विधायकों को नोटिस
महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर ने एकनाथ शिंदे खेमे के 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया। ये बागी वर्तमान में गुवाहाटी में रह रहे हैं। इसके अलावा जिन 16 विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किया गया, उन्हें सोमवार यानी 27 जून तक लिखित जवाब दाखिल करना है।
‘जो चले गए, वो बाला साहेब के नाम का गलत इस्तेमाल ना करें’
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमने 6 प्रस्ताव पारित किए हैं और तय किया है कि शिवसेना बाला साहेब ठाकरे की हिंदुत्व विचारधारा का पालन करेगी और संयुक्त महाराष्ट्र की विचारधारा से समझौता नहीं करेगी। पार्टी से गद्दारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास बागियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार है। हम उन लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे, जिन्होंने अपनी आत्मकेंद्रित राजनीति के लिए बाला साहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल किया है। जो चले गए हैं वे बालासाहेब के नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकते। सीएम उद्धव ने कहा कि जिन नेताओं ने शिवसेना छोड़ दी, वे पार्टी और बाला साहेब ठाकरे के नाम पर वोट ना मांगें। अपने पिता के नाम पर वोट मांगो। महाविकास अघाड़ी एकजुट है।
‘हमें कोई जल्दी नहीं’
बीजेपी के एक सीनियर लीडर के मुताबिक, पार्टी को महाराष्ट्र में सरकार बनाने का दावा पेश करने की कोई जल्दी नहीं है, बल्कि हम तब तक इंतजार करेंगे, जब तक शिवसेना के मौजूदा संकट का असर शहरों में नगर निगमों, कस्बों और जिलों में नगर निकायों के स्तर पर उसकी क्षमता पर नहीं पड़ता। महाराष्ट्र में मौजूदा सत्ता संघर्ष केवल राज्य में सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं है, बल्कि बीजेपी द्वारा शिवसेना को और ज्यादा कमजोर किए जाने और हिंदुत्व के मुद्दे पर अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है।
महाराष्ट्र के मुद्दे पर बीजेपी की इस चुप्पी पर महाराष्ट्र एक सांसद ने दिल्ली की एक वेबसाइट से कहा कि बीजेपी उद्धव सरकार को गिराकर शिवसेना को सहानुभूति लेने और मराठा कार्ड खेलने का कोई मौका नहीं देना चाहती। हम पूरी तरह से वेट एंड वॉच मोड पर हैं। जब तक इस बात की पुष्टि नहीं हो जाती कि बागी विधायक पूरी तरह से शिंदे गुट के साथ हैं या ये सभी तथ्य रिकॉर्ड पर नहीं आ जाते, तब तक बीजेपी इस मसले पर आगे नहीं बढ़ेगी। पार्टी इस बार सतर्क होकर इसलिए काम कर रही है, पिछली बार जल्दबाजी दिखाकर पार्टी की भद पिट गई थी।
सांसद ने ये भी कहा कि इस बार भी दो विधायक कैलाश पाटिल और नितिन देशमुख बागी होने के बाद जिस तरह से वापस गए, इससे पार्टी नेतृत्व आशंकित है कि बाद में यह संख्या और न बढ़ जाए। वहीं दूसरी तरफ शिवसेना नेताओं की तरफ से बार-बार यह भी दावा किया जा रहा है कि शिंदे गुट के 10 से 12 विधायक उनके संपर्क में हैं। वे विधानसभा में विश्वास मत के दौरान उद्धव ठाकरे का ही साथ देंगे। इसके अलावा पार्टी 2019 वाली महाराष्ट्र और 2020 वाली राजस्थान वाली गलती नहीं दोहराना चाहती। इन्हीं सभी कारणों को देखते हुए जल्दबाजी में कोई कदम उठाने से बच रही है।
राष्ट्रपति शासन की मांग
अमरावती से निर्दलीय लोकसभा सदस्य नवनीत राणा ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए, ताकि उद्धव ठाकरे की गुंडागर्दी बंद हो, ताकि महाराष्ट्र के लोगों की इससे रक्षा की जा सके।