नई दिल्ली. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने देश में कुपोषण (malnutrition) का आंकड़ा बताया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में इस समय 33 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। इनमें से आधे से ज्यादा यानी कि 17.7 लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Women and Child Development) ने यह जानकारी न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक आरटीआई (Right To Information) के जवाब में दी है।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे
आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा बच्चे महाराष्ट्र में कुपोषित है। यहां 6.16 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार है। दूसरे नंबर पर बिहार है, जहां 4 लाख 75 हजार कुपोषित बच्चे हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर गुजरात है, जहां कुपोषित बच्चों की कुल संख्या कुल 3.20 लाख है। ये आंकड़े पिछले साल विकसित पोषण ऐप पर पंजीकृत किए गए ताकि पोषण के परिणामों पर निगरानी रखी जा सके। ये संख्या अपने आप में चिंताजनक हैं।
कुपोषित बच्चों की संख्या में 91 प्रतिशत की वृद्धि
नवंबर 2020 और 14 अक्तूबर 2021 के बीच एसएएम बच्चों की संख्या में 91 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है, जो अब 9,27,606 (9.27 लाख) से बढ़कर 17.76 लाख हो गई है। वहीं, ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत 101वें स्थान पर पहुंच गया है। इस मामले में वह अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल से पीछे है। पिछले साल भारत वैश्विक भुखमरी सूचकांक में 94वें स्थान पर था।
शिशु मृत्युदर में टॉप पर MP
हाल में एक रिपोर्ट जारी हुई थी जिसमें शिशु मृत्यु दर के आंकड़े सामने आए थे। इसमें मध्यप्रदेश के आंकड़े चिंताजनक है। शिशु मृत्यु दर के मामले में मध्यप्रदेश टॉप पर है। एक हजार बच्चों में देश की शिशु मृत्युदर है 30 है। एमपी में 2009 में शिशु मृत्यु दर 67 थी। 2014 में यह घटकर 52 पर पहुंच गई। 2019 के आंकड़े के अनुसार एमपी में शिशु मृत्यु दर 46 है। यानी 2014 से 2019 के बीच में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। एमपी की स्थिति सूडान से भी खराब है।