साधना के इंजेक्शन पर मुलायम का दिल: लीड रोल में अमर, इधर छोटी बहू उधर अखिलेश

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साधना के इंजेक्शन पर मुलायम का दिल: लीड रोल में अमर, इधर छोटी बहू उधर अखिलेश

दिल्ली. मुलायम सिंह की छोटी बहु अपर्णा यादव (Aparna Yadav) ने 19 जनवरी को समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) छोड़ BJP का दामन थाम लिया। अपर्णा ने पार्टी की सदस्यता लखनऊ  (Lucknow) में नहीं बल्कि दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय मुख्यालय में ली जिससे साफ़ ज़ाहिर है कि बीजेपी इसे एक राष्ट्रीय उपलब्धि के रूप में देश की मीडिया के सामने पेश करना चाहती है। 



बीजेपी का दामन थामा : अपर्णा यादव का बीजेपी का दामन थाम लेना काफी चौंकाने वाला कदम है। हालांकि वह लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के कामकाज और पार्टी की नीतियों की तारीफ कर रही थीं। अपर्णा  के पास भले ही कोई जनाधार ना हो लेकिन बीजेपी उन्हें पार्टी में शामिल कर सियासी संदेश देने में जरूर कामयाब रही है। समाजवादी पार्टी परिवार में पहले से ही चली आ रही फूट अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। पहले चाचा शिवपाल ने अपनी पार्टी बनाई थी जैसे-तैसे उन्हें मनाया गया तो आप परिवार की बहू ने बगावत कर भाजपा (BJP) का दामन थाम लिया है।



मुलायम सिंह यादव का प्यार : बात 1980 के समय की है। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) राजनीति के शिखर पर चढ़ रहे थे। उन्हें 1982 में लोक दल का अध्यक्ष बनाया ही गया था कि तभी उनकी मुलाकात हुई अपनी पार्टी की महिला कार्यकर्ता साधना गुप्ता (Sadhna Gupta) से। साधना उम्र में 20 साल छोटी थीं लेकिन कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव को उनके नैन नक्श इतने पसंद आए कि उन्होंने अपनी शादी और उम्र का लिहाज किए बिना अपना दिल दे दिया। उधर साधना की शादी भी फर्रुखाबाद के छोटे व्यापारी चंद्रप्रकाश गुप्ता से हो रखी थी। लेकिन उनसे अलग होने के बाद साधना को भी मुलायम सिंह यादव अच्छे लगने लगे। दोनों का रिश्ता परवान चढ़ा और इसके गवाह थे सिर्फ अमर सिंह। मुलायम इसी बात से इम्प्रेस हुए और दोनों की रिलेशनशिप शुरू हो गई। तब अखिलेश यादव स्कूल में स्टूडेंट थे। 1988 में साधना ने प्रतीक को जन्म दिया और रिश्ता वैसे ही चलता रहा। कहा जाता है कि साल 1994 में प्रतीक यादव के स्कूल फॉर्म पर पिता का नाम एमएस यादव और पते में मुलायम सिंह के कार्यकाल का पता लिखा रहता था।



मुलायम यादव की प्रेम कहानी में अमर सिंह का रोल : साल 2003 में जब अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की माँ और मुलायम सिंह यादव की पत्नी मालिति यादव का देहांत हुआ तो साधना ने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई। अमर सिंह से उन्होंने बार-बार कहा कि मुलायम सिंह यादव दुनिया के सामने उन्हें पत्नी स्वीकारें। धीरे-धीरे बात बढ़ी और मामला दुनिया के सामने आ गया। सुनीता एरोन लिखती हैं, ‘मेडिकल कॉलेज में एक नर्स मूर्ति देवी को गलत इंजेक्शन लगाने जा रही थी। उस समय साधना वहां मौजूद थीं और उन्होंने नर्स को ऐसा करने से रोक दिया। साधना की वजह से ही मूर्ति देवी की जिंदगी बची थी। अखिलेश यादव ने कभी साधना यादव को अपने परिवार में मन से जगह नहीं दी। वो मानते थे कि उनकी माँ के साथ अन्याय हुआ है। पिता की दूसरी शादी की बात खुलने के कारण वह अमर सिंह (Amar Singh) से भी नाराज थे।



ऐसे हुआ मुलायम-साधना के रिश्ते का खुलासा : साल 2007 में जब मुलायम सिंह यादव पर आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई जांच का खतरा मंडराया, तो केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसमें साधना व प्रतीक का नाम भी था। इसी कारण से मुलायम सिंह यादव को सार्वजनिक तौर पर मानना पड़ा कि साधना गुप्ता उनकी दूसरी पत्नी हैं और प्रतीक भी उन्हीं के बेटे हैं। आधिकारिक रूप से मुलायम सिंह यादव की निजी जिंदगी को खोल कर रख दिया और ये भी बात सामने आ गई कि साधना पर संपत्ति के तौर पर क्या है।



सपा में उन्हें अपेक्षित तवज्जो नहीं मिली : अपर्णा  ने पांच साल में परिवार के झगड़े न सुलझते देख अलग ही राह पकड़ ली। राजनीतिक रूप से महत्वकांक्षी अपर्णा यादव ने वर्ष 2017 में लखनऊ की कैंट (Lucknow Cantt) विधानसभा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन जीत ना सकी। उसके बाद समाजवादी पार्टी से उन्हें अपेक्षित तवज्जो नहीं मिली। वह चाहती थी कि पार्टी में वह सक्रिय भूमिका निभाएं। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और उन्होंने समाजवादी पार्टी छोड़ दी। बुधवार को उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया उन्होंने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य आदि नेताओं की मौजूदगी में भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। 

 


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