भोपाल. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि देश में पुरुषों (males) की तुलना में महिलाओं (females) की संख्या बढ़ रही है। सेक्स रेशो (sex ratio) में यह इजाफा ग्रामीण आबादी (rural population) में हुआ है। यहां 1 हजार पुरुषों पर 1037 महिलाएं हैं। जबकि शहरी इलाकों में महिलाओं की संख्या पुरुषों की अपेक्षा कम है। शहरों में 1 हजार पुरुषों पर 985 महिलाएं हैं। देश की औसत रिपोर्ट के मुताबिक 1 हजार पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। इससे पहले 2015-16 में जारी हुई एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट में प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 991 थी।
मध्यप्रदेश में भी हुआ सेक्स रेशो में सुधार
मध्य प्रदेश (MP) में भी 1 हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या बढ़कर अब 970 हो गई है। जबकि 2015-16 में महिलाओं की संख्या 948 थी। इसकी वजह ये हैं कि पिछले पांच सालों में लड़कियों के पैदा होने की संख्या बढ़ी है। प्रदेश में अब 1 हजार लड़कों के मुकाबले 956 लड़कियां जन्म ले रही हैं।
मप्र में प्रजनन दर 2.3 से घटकर 2.0 हुई
एनएफएचएस-4 की रिपोर्ट में देश में हर महिला के बच्चे पैदा करने की प्रजनन दर (fertility rate) 2.2 थी। जो एनएफएचएस-5 की रिपोर्ट में घटकर 2.0 हो गई है। मध्यप्रदेश में भी महिलाओं की टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) 2.3 से घटकर 2.0 हो गई है।
सिजेरियन से डिलीवरी की दर में इजाफा
देशभर में ऑपरेशन (सिजेरियन) से डिलीवरी के केस बढ़ते ही जा रहे हैं। 2015-16 की तुलना में इनमें करीब 5 फीसदी का इजाफा हुआ है। ये दर 17.2 फीसदी से बढ़कर अब 21.5 हो गई है। निजी अस्पतालों के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में भी सिजेरियन (caesarean) केस बढ़े हैं। निजी अस्पतालों में 47.4 फीसदी बच्चे और सरकारी अस्पतालों में 14.3 फीसदी बच्चे सिजेरियन से पैदा हो रहे हैं। मध्यप्रदेश में यह दर 8.6 फीसदी से बढ़कर 12.1 फीसदी हो गई है। निजी अस्पतालों में 52.3 फीसदी और सरकारी अस्पतालों में 8.2 फीसदी बच्चों की डिलीवरी सिजेरियन से हो रही है।
कुपोषण की दर में सुधार, बच्चों में बढ़ा मोटापा
2015-16 की तुलना में कुपोषण (malnutrition) की दर में थोड़ा सुधार हुआ है। लेकिन अब भी 5 साल तक के 35.5 फीसदी बच्चों की लंबाई (length) उनकी उम्र के अनुपात में कम हैं। 19.3 फीसदी बच्चों का वजन (weight) उनकी उम्र की तुलना में कम हैं। दूसरी तरफ देश में ओवरवेट बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। 2015-16 में 2.1 फीसदी बच्चे ओवरवेट यानि मोटे थे। 2020-21 में 3.4 फीसदी बच्चों का वजन उनकी उम्र के हिसाब से ज्यादा मिला है। वहीं मध्यप्रदेश में 2 फीसदी बच्चे ओवरवेट हैं।
महिला-पुरुषों में भी तेजी से बढ़ रहा मोटापा (obesity)
एनएफएचएस-5 के तहत देशभर में 15 से 49 की उम्र की महिलाओं और पुरुषों पर किए गए सर्वे में सामने आया है कि आबादी में ओवरवेट लोगों का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। देश में 2015-16 में 20.6 महिलाएं ओवरवेट थीं। अब इसकी संख्या बढ़कर अब 24 फीसदी हो गई है। वहीं 22.9 फीसदी पुरुष ओवरवेट हैं। मध्यप्रदेश में 16.6 फीसदी महिलाएं और 15.6 फीसदी पुरुष ओवरवेट हैं। वहीं इस मोटापे की वजह से देश में 56.7 फीसदी महिलाएं और 47.7 फीसदी पुरुष हाईरिस्क पर हैं। मध्यप्रदेश में 40.5 फीसदी महिलाएं और 39 फीसदी पुरुष हाईरिस्क पर हैं। यानि उन्हें मोटापे के चलते डायबिटीज और हृदय से संबंधित गंभीर रोग होने का खतरा हैं।
मध्यप्रदेश में 46 फीसदी पुरुषों को तंबाकू की लत
प्रदेश में गुटखा, खैनी, सिगरेट, बीड़ी आदि के माध्यम से तंबाकू (tobacco) लेने वालों के आंकड़े चौंकाने वाले है। प्रदेश में 46.5 फीसदी पुरुषों और 10.2 फीसदी महिलाओं को तंबाकू की लत है। वहीं 17 फीसदी पुरुष और 1 फीसदी महिलाएं शराब का भी सेवन कर रहीं है।