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NEW DELHI. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 22 सितंबर को तमिलनाडु, केरल समेत 10 राज्यों में PFI के ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिन राज्यों में एनआईए ने छापेमारी की है, उनमें केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, असम, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र शामिल हैं। पीएफआई और उससे जुड़े लोगों की ट्रेनिंग एक्टिविटीज, टेरर फंडिंग और लोगों को संगठन से जोड़ने के खिलाफ ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। इंदौर-उज्जैन से भी 4 पीएफआई नेताओं को हिरासत में लिया गया है।
पीएफआई अध्यक्ष के घर पर रेड, जांच एजेंसी के खिलाफ प्रदर्शन
एनआईए और ईडी ने मलप्पुरम (केरल) के मंजेरी में OMA सलाम (PFI अध्यक्ष) के घर पर छापेमारी की। इस दौरान PFI कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके अलावा कर्नाटक के मेंगलुरु में भी एनआईए की छापेमारी के खिलाफ पीएफआई और एसडीपीआई के कार्यकर्ताओं ने प्रोटेस्ट किया। पीएफआई के राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर के नेताओं के घरों पर छापेमारी हो रही है। संगठन ने अपने बयान में कहा कि असहमति की आवाज को दबाने के लिए फासीवादी शासन एजेंसियों का बेजा इस्तेमाल कर रहा है, जिसका हम विरोध करते हैं।
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23 राज्यों में एक्टिव है पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)
पॉपुलर फ्रट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का गठन 17 फरवरी 2007 को हुआ था। ये संगठन दक्षिण भारत में तीन मुस्लिम संगठनों का विलय करके बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई शामिल थे। पीएफआई का दावा है कि इस वक्त देश के 23 राज्यों में यह संगठन सक्रिय है। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पीएफआई का तेजी से फैलाव हुआ है।
कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है। इसकी कई शाखाएं भी हैं। इसमें महिलाओं के लिए- नेशनल वीमेंस फ्रंट और विद्यार्थियों के लिए कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठन शामिल हैं। राजनीतिक पार्टियां चुनाव के वक्त एक दूसरे पर मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन पाने के लिए पीएफआई की मदद लेने का भी आरोप लगाती हैं। गठन के बाद से ही पीएफआई पर समाज विरोधी और देश विरोधी गतिविधियां करने के आरोप लगते रहते हैं।
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