नई दिल्ली. हेलिकॉप्टर क्रैश (Helicopter Crash) में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के निधन के बाद फिर से पुरानी व्यवस्था अस्थाई रूप से शुरू हो गई है। CDS का पद आने से पहले देश में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (Chiefs of Staff Committee, CoS) हुआ करती थी। जनरल रावत के निधन के बाद CDS की पोस्ट खाली हो गई है, इसलिए आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (General MM Naravane) को CoSC का चेयरमैन बनाया गया है। सीडीएस का पद आने से पहले चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी ही तीनों सेनाओं के बीच कोऑर्डिनेशन का काम करती थी। इस कमेटी में तीनों सेनाओं के चीफ शामिल होते हैं। जनरल नरवणे सबसे सीनियर हैं, इसलिए उन्हें इस कमेटी का चेयरमैन अपॉइंट (Appoint) किया गया है।
नरवणे को क्या रिपोर्ट की जाएगी?
सूत्रों के मुताबिक, जब तक नए सीडीएस की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक यही व्यवस्था रहेगी। एक अफसर ने बताया कि सीडीएस की गैर मौजूदगी में सीनियर हेड को चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का चेयरमैन बनाया जाता है। CoSC के चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (CoIDS) जो सीडीएस को रिपोर्ट करते थे, अब जनरल नरवणे को रिपोर्ट करेंगे।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के भी प्रमुख होते हैं और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थाई अध्यक्ष होते हैं। डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स में दूसरे सबसे सीनियर अफसर एडिशनल सेक्रेटरी होते हैं। इस डिपार्टमेंट में एडिशनल सेक्रेटरी थ्री-स्टार मिलिट्री ऑफिसर होते हैं। अभी ये पद लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी के पास है।
CDS के पास क्या अधिकार?
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के पास तीनों सेनाओं के प्रशासनिक मुद्दों का अधिकार होता है। 2019 में जब देश में पहली बार सीडीएस की नियुक्ति हुई थी, तो उस समय सरकार ने एक बयान जारी कर बताया था कि सीडीएस तीनों सेनाओं के मुद्दे को लेकर रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकार होंगे। जबकि, तीनों सेनाओं के प्रमुख अपनी सेवाओं से संबंधित मामलों पर सलाह देंगे। सीडीएस मिलिट्री कमांड नहीं दे सकते।
8 दिसंबर को हुआ था सीडीएस रावत का निधन
8 दिसंबर को हेलिकॉप्टर हादसे में सीडीएस बिपिन रावत का निधन हो गया था। एयरफोर्स (IAF) का Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका समेत 14 अधिकारियों को लेकर जा रहा था, तभी तमिलनाडु के कुन्नूर में चॉपर क्रैश हो गया। इस हादसे में जरनल बिपिन रावत, उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की तभी मौत हो गई थी। इस हादसे में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जिंदा बचे थे, 15 दिसंबर को इलाज के दौरान उनका निधन भी हो गया।
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