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Bhopal. जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद जी महाराज का हाल ही में पत्रकारों से चर्चा का वीडियो सामने आया था। जिसमें शंकराचार्य निश्चलानंद महाराज ये कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि तपोस्थली को भोगस्थली बना देना उचित नहीं है। पुरी या भुवनेश्वर को महानगर बनाने से तीर्थ का विलोप तो होगा, इसके लिए मंदिर और आश्रम को ध्वस्त करना कितना उचित है। हालांकि निश्चलानंद महाराज ने ये बात जगन्नाथपुरी में होने वाले निर्माण कार्यों को लेकर कही थी, पर ओमकार पर्वत पर हो रहे निर्माण का विरोध करने वाले उनके इस बयान को ओमकारेश्वर के मामले में भी जोड़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि ओमकार पर्वत पर सिर्फ आदिगुरू शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित नहीं होगी, बल्कि इसे पिकनिक स्पाट की तरह विकसित किया जाएगा। इसके साइड इफेक्ट अभी से सामने आने लगे हैं। आदिगुरू शंकराचार्य प्रोजेक्ट को लेकर काम तेजी से शुरू हो गया है, जिसके कारण ओमकार पर्वत की पैदल परिक्रमा वाला पथ या रास्ता डेमेज हो गया है। पैदल परिक्रमा करने वाले भक्त पथ से भटक रहे हैं। ऐसे ही रास्ते से भटक गए कुछ भक्त द सूत्र को भी मिले। 21 साल के एक युवक की गोद में 4 साल एक एक बालक, झोले में पानी की खाली बोतल और पीछे कुछ लोग। पूछने पर बताया कि कहीं कोई चिन्ह या सूचना बोर्ड नहीं होने के कारण वे रास्ता भटक गए। वहीं कटनी से आए पैदल परिक्रमा कर रहे राजकुमार अग्रवाल ने कहा कि मार्बल और पुट्टी लगाने से कुछ नहीं होगा, ईश्वर ने जिस पर्वत की रचना की भक्त तो वही देखना चाहते हैं और उसके वास्तविक रूप में ही।
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टूरिज्म बोर्ड की एंट्री से विवाद ज्यादा गहराया
आदिगुरू शंकराचार्य से जुड़े प्रोजेक्ट में वैसे तो सर्वेसर्वा संस्कृति विभाग को होना चाहिए, पर इसमें टूरिज्म बोर्ड की एंट्री से विवाद ज्यादा गहरा गया। दरअसल जब आप जैसे ही मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड की वेबसाइट ओपन करेंगे तो उसके विजन की पहली लाइन ही लिखी है To promote balanced and sustainable tourism which enables socio-economic development यानी संतुलित और सतत पर्यटन को बढ़ावा देना जो सामाजिक-आर्थिक विकास को सक्षम बनाता है। कुल मिलाकर टूरिज्म बोर्ड एक व्यवसायिक संस्था है जो टूरिज्म के बदले आर्थिक लाभ कमाती है। पहाड़ खोदने और पेड़ काटने से पहले जो इंवायरमेंट क्लीयरेंस यानी ईसी ली गई, उसमें आवेदन करने वाला संस्कृति विभाग नहीं बल्कि मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ही था, इससे यह साफ हो गया कि पूरा प्रोजेक्ट टूरिज्म बोर्ड संचालित करेगा, जिससे आने वाले समय में व्यवसायिक गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी, इससे धार्मिक भावनाएं आहत होगी। विदेशों तक से लोग यहां शोध के नाम पर आएंगे, पर क्या उनका खानपान हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार होगा।
शंकराचार्य प्रोजेक्ट को लेकर दो अलग—अलग मत
रोजेक्ट के स्थान को लेकर खिलाफ लोग :— चैतन्येश्वर धाम आश्रम के मोनी बाबा ने कहा कि ओमकार पर्वत पर छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए था, पर्वत को खंडित किया जा रहा है। वहीं पं. योगेश तिवारी उर्फ महादेव ने कहा कि शिवस्वरूप पर्वत को क्षति पहुंचाना ठीक नहीं है। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसमें शयन आरती होती है। मान्यता है कि यहां आज भी शिव—पार्वती के साथ चोपड़ खेलने आते हैं।
प्रोजेक्ट के पक्ष में भी हैं कुछ लोग :— जोड़गणपति आश्रम के मंगलदास महाराज और नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष जयप्रकाश पुरोहित के अनुसार आदिशंकराचार्य प्रोजेक्ट अच्छा है, कुछ लोग बेवजह ही इसे तूल दे रहे हैं। शंकराचार्य ने यही सन्यास लिया था ऐसे में उनकी प्रतिमा स्थापित होने से किसी को कोई दिक्कत नहीं होना चाहिए।
सरकारी जमीनों पर आश्रम, इसलिए खुलकर कोई नहीं आ रहा सामने
शंकराचार्य प्रोजेक्ट को लेकर ओमकारेश्वर में दो अलग—अलग मत सामने आए हैं। जिस ओमकार पर्वत पर निर्माण चल रहा है वहां के आश्रम में रहने वाले साधु संत, लोग इस प्रोजेक्ट के खिलाफ है, वहीं नर्मदा के दूरी ओर की पहाड़ी पर बने आश्रम के साधु संत और लोगों को इससे कोई खास लेना देना नहीं है। जब द सूत्र ने भारत हित रक्षा अभियान के राहुल सिंह से कारण जाना तो उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट के खिलाफ तो सभी हैं, पर सबके अपने हित हैं, इसलिए चुप है। उनका इशारा सरकारी जमीन पर आश्रम बनाने को लेकर था। राहुल सिंह ने यह भी कहा कि राजनीति दबाव के कारण भी बहुत से लोग खुलकर सामने नहीं आ पा रहे हैं, पर अभियान को उनका पूरा समर्थन है।
द सूत्र ने सच्चाई जानने कुछ और संतों से की बात
प्रोजेक्ट को लेकर दो अलग—अलग राय होने से सच का पता लगाने द सूत्र ने कुछ और ऐसे संतों से बात की जिनका आश्रम ओमकार पर्वत से पर्याप्त दूरी पर हो। अन्नपूर्णा आश्रम के संत ने आन कैमरा कुछ भी नहीं कहा, पर दबी जबान में इतना जरूर स्वीकार किया कि गलत तो हो रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हमें अब इसका विरोध करने का अधिकार नहीं...जब इसका भूमिपूजन हो रहा था, तब ही हमें विरोध करना था। वहीं कबीर कुटी आश्रम के मुनींद्र बाबा ने तो खुलकर कहा कि शंकराचार्य से जुड़ी चीजें बहुत अच्छा विचार थी, पर जब एक अच्छा विचार गलत हाथों में पड़ जाता है तो बड़ा नुकसान होता है। ओमकार पर्वत को क्षति पहुंचाने के लिए उन्होंने जमकर सरकार को कोसा। कुल मिलाकर किसी ने कैमरे पर तो किसी ने बिना कैमरे के सामने आए ओमकार पर्वत को पहुंचाई जा रही क्षति पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मन के अंदर की पीड़ा जाहिर की।