नई दिल्ली. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में जवाब दे रहे हैं। धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस की शुरुआत राहुल गांधी ने की थी। अपने भाषण में मोदी ने विपक्ष और कांग्रेस पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियों के नेता पिछले 2 साल से अपरिपक्वता दिखा रहे हैं, इससे देश को नीचा देखना पड़ा। हमने देखा कि राजनीतिक स्वार्थपरता के चलते क्या खेल खेले जा रहे हैं। वैक्सीनेशन के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।
मोदी के भाषण की खास बातें...
कांग्रेस पर: अगर महात्मा गांधी की इच्छानुसार कांग्रेस ना होती तो क्या होता। अगर कांग्रेस ना होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता। अगर कांग्रेस ना होती तो भारत विदेशी चस्पे के बजाय स्वदेशी संकल्पों के रास्ते पर चलता। अगर कांग्रेस ना होती तो देश पर इमरजेंसी का कलंक नहीं होता। दशकों तक करप्शन को संस्थागत ना बनाकर रखा होता, जातिवाद और क्षेत्रवाद की खाई इतनी गहरी नहीं होती। अगर कांग्रेस न होती तो सिखों का नरसंहार ना होता, सालों-साल पंजाब आतंक की आग में न जलता, कश्मीर के पंडितों को कश्मीर छोड़ने की नौबत न आती। बेटियों को तंदूर में जलाने की घटनाएं ना होतीं, देश के सामान्य आदमी को मूल सुविधाओं के लिए इतने साल इंतजार न करना होता। कांग्रेस को नेशन से भी समस्या है। अगर ऐसा है तो आपकी पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस क्यों है। अगर दिक्कत है तो पार्टी का नाम बदल लीजिए और फेडरेशन ऑफ कांग्रेस कर देना चाहिए।
परिवारवाद पर: सदन में कहा गया कि कांग्रेस ने भारत की बुनियाद डाली और बीजेपी वालों ने झंडा गाड़ दिया। कुछ लोग यही मानते हैं कि हिंदुस्तान 1947 में पैदा हुआ, इसी सोच के कारण दिक्कत पैदा होती है। जिन लोगों को 50 साल काम करने का मौका मिला, उन्होंने कुछ नहीं किया। 1975 में डेमोक्रेसी का गला घोंटने वालों को डेमोक्रेसी पर नहीं बोलना चाहिए। कांग्रेस ने डाइनेस्टी (वंश) के आगे सोचा ही नहीं। भारत के लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों का है, ये मानना पड़ेगा। पार्टी में भी जब कोई परिवार सर्वोपरि हो जाता है, तो सबसे पहली केजुएल्टी टैलेंट की होती है।
महंगाई पर: यूपीए काल से महंगाई की तुलना करें तो पता चलेगा महंगाई क्या होती है। यूपीए काल में महंगाई दहाई अंक में थी। अगर अमेरिका की तुलना करें तो भारत में महंगाई कम ही है। हम महंगाई को रोकने की हरसंभव कोशिश कर रह रहे हैं।
दुनियाभर में भारत की तारीफ: जब कोरोना की शुरुआत हुई तो लोगों को लग रहा था कि भारत का क्या होगा। इस बात पर भी चर्चा हुई कि भारत की वजह से दुनिया पर क्या असर पड़ेगा। लेकिन देश के 130 करोड़ लोगों की इच्छाशक्ति और अनुशासन के कारण भारत के प्रयासों की दुनियाभर में सराहना हो रही है। कोरोना काल में 80 करोड़ से भी ज्यादा देशवासियों के लिए इतने लंबे कालखंड के लिए मुफ्त में राशन की व्यवस्था की गई, ताकि ऐसी स्थिति कभी पैदा न हो कि उनके घर का चूल्हा ना जले। भारत ने ये काम करके दुनिया के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
अटल जी की कविता सुनाई: कोरोना काल में दुनिया को दवाई पहुंचाने की बात हो या पर्यावरण संरक्षण की बात हो, भारत की लीडरशिप की दुनिया में चर्चा है। जब संकट का काल होता है तो बहुत चुनौतियां होती हैं। उस समय दुनिया की पूरी ताकत अपने बचाव में जुटी होती है। ऐसे में मुझे अटल बिहारी जी कविता की पंक्तियां याद आ रही हैं:
व्याप्त हुआ बर्बर अंधियारा
किंतु चीर कर तम की छाती
चमका हिंदुस्तान हमारा।
शत-शत आघातों को सहकर
जीवित हिंदुस्तान हमारा।
जग के मस्तक पर रोली सा
शोभित हिंदुस्तान हमारा।
नौकरियों पर: 2021 में एक करोड़ 20 लाख लोग EPFO से जुड़े हैं, ये सब फॉर्मल जॉब हैं। इनमें से भी 65 लाख 18-25 उम्र के हैं यानी इन लोगों की पहली बार जॉब मार्केट में एंट्री हुई है। कोविड प्रतिबंध खुलने के बाद हायरिंग दोगुनी हो गई है।
लोकसभा में 100 मिनट बोले थे: 7 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में 100 मिनट की स्पीच दी थी। मोदी लोकसभा में शाम 5.26 बजे पर बोलने खड़े हुए और 7.06 बजे तक बोले। अपने भाषण में नरेंद्र मोदी ने विष्णु पुराण का श्लोक पढ़ा। तमिल महाकवि सुब्रमण्यम भारती की कविता के जरिए राष्ट्रीय एकता पर बात की, तो कांग्रेस को टुकड़े-टुकड़े गैंग का लीडर बताया था।