लखनऊ. उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 अगस्त को लखनऊ पहुंचे। उनके साथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए। 21 अगस्त की रात करीब 9 बजे कल्याण ने आखिरी सांस ली थी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई बड़े नेता कल्याण के आवास पर पहुंचे थे।
कल्याण ने नाम सार्थक किया- मोदी
दिवंगत नेता के अंतिम दर्शन के बाद मोदी मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा, 'हम सब के लिए ये शोक की घड़ी है। कल्याण सिंह जी के माता-पिता ने उनका नाम कल्याण सिंह रखा था। उन्होंने अपने माता-पिता के दिए नाम को सार्थक किया। वो जीवनभर जनकल्याण के लिए जिए। जनकल्याण को ही अपना मन बनाया। उन्होंने अपना जीवन भारतीय जनता पार्टी, भारतीय जनसंघ और देश के लिए समर्पित कर दिया। कल्याण सिंह भारत के कोने-कोने में एक विश्वास का नाम बन गए थे। उनको जब भी जो दायित्व मिला। उसे उन्होंने बखूबी निभाया। देश ने एक मूल्यवान शख्सियत खोया है। मैं भगवान प्रभु श्री राम से प्रार्थना करता हूं कि वह उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उनके परिवार और समर्थकों को ये दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।'
नड्डा ने कल्याण की इच्छा पूरी की
नड्डा ने प्रधानमंत्री के सामने ही कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर पर भाजपा का झंडा भी रखा। कल्याण सिंह की ये आखिरी इच्छा थी कि उनके निधन के बाद उनके शव पर BJP का झंडे लिपटाया जाए।
‘वाजपेयी मुझे हटा नहीं सकते थे’
अटल बिहारी वाजपेयी बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा हुआ करते थे तो कल्याण ओबीसी चेहरे के साथ-साथ हिंदू-हृदय सम्राट के तौर पर जाने जाते थे। कल्याण और वाजपेयी के बीच राजनीतिक खींचतान और मनमुटाव जैसी खबरें भी आती रहीं। एनडीए के संयोजक रहे जार्ज फर्नांडीज ने कल्याण सिंह पर एक बार टिप्पणी की थी कि सियासत में कामयाबी के लिए धैर्य की भी जरूरत है। अगर कल्याण सिंह ने धैर्य दिखाया होता तो वही अटल के बाद बीजेपी के कप्तान होते। वहीं, कल्याण कहा करते थे कि मेरे जीवन की सबसे बड़ी भूल थी, जब मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की बात को स्वीकार लिया था। अगर मैं इस्तीफा के लिए तैयार नहीं होता तो वाजपेयी मुझे हटा नहीं सकते थे। इसी दर्द में बाद में कल्याण ने बीजेपी को भी अलविदा कहा और राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बना ली। 2004 में वाजपेयी ही उन्हें बीजेपी में दोबारा लेकर आए।