PM के गुर: नए तरीके वाले क्राइम को रोकना चुनौती, बड़े लक्ष्यों को पूरा करने की तैयारी करें

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PM के गुर: नए तरीके वाले क्राइम को रोकना चुनौती, बड़े लक्ष्यों को पूरा करने की तैयारी करें

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 जुलाई को हैदराबाद के नेशनल पुलिस एकेडमी में ट्रेनी IPS ऑफिसर्स से बातचीत की। उनके साथ एक्सपीरियंस शेयर किए और उन्हें सलाह भी दी। मोदी ने कहा कि आपको चुनौती है कि क्राइम के नए तौर तरीकों को उससे भी ज्यादा बेहतर तरीके से कैसे रोक सकते हैं, खासकर साइबर क्राइम को। देश ने इस संकल्प की सिद्धि के लिए आप जैसे युवाओं को चुना है। आप एक ऐसे समय पर करियर शुरू कर रहे हैं जब भारत हर क्षेत्र में ट्रांसफॉर्मेशन के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में आपकी तैयारी आपकी मनोदशा इसी बड़े लक्ष्य के अनुकूल होनी चाहिए।

राष्ट्रहित में फैसले लें

मोदी ने कहा कि आपको पुलिस हेडक्वार्टर के भीतर ही नहीं सोचना है, समाज से फ्रेंडली भी होना है। वर्दी की मर्यादाओं को सबसे ऊपर रखें। आपकी सर्विस देश के अलग-अलग जिलों में होगी। आप जो भी फैसले लें, उसमें राष्ट्रहित होना चाहिए। आपके काम का दायरा और समस्याएं अक्सर लोकल होंगी, उनसे निपटने में एक भारत, श्रेष्ठ भारत का मंत्र कारगर रहेगा। पुलिस में आ रही नई पीढ़ी का यह दायित्व है कि पुलिस के प्रति निगेटिव पर्सेप्सन बदले। सिस्टम आपको बदल देता है या आप सिस्टम को बदल देते हैं, यह आपकी ट्रेनिंग और मनोबल पर निर्भर करता है।

अगले 25 साल में सुरक्षा आपके हाथ

प्रधानमंत्री ने कहा, बीते 75 सालों में भारत ने एक बेहतर पुलिस सेवा के निर्माण का प्रयास किया है। पुलिस ट्रेनिंग में भी हाल के वर्षों में बहुत सुधार हुआ है। आप भारत में अगले 25 साल तक कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में कमिश्नर प्रणाली लागू करने पर राज्य काम कर रहे हैं। अब तक 16 राज्यों के कई शहरों में यह व्यवस्था लागू की जा चुकी है।

कोरोना में पुलिस का काम सराहनीय रहा

मोदी ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पुलिस ने लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया है। कई को कर्तव्यों को निर्वहन करते समय अपनी जान भी गंवानी पड़ी। मैं इन सभी जवानों को, पुलिस साथियों को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं।

दांडी यात्रा जैसे संकल्प की जरूरत

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में 1930 की दांडी यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उस समय गांधीजी ने सत्याग्रह से अंग्रेज शासन की नींव हिला दी थी। गांधीजी साबरमती आश्रम से दांडी के लिए निकल पड़े। वे जहां-जहां से गुजरे लोग, उनसे जुड़ते गए। जब वे दांडी पहुंचे तो पूरा हिंदुस्तान उनके साथ खड़ा हो चुका था। उस इच्छा शक्ति को याद कीजिए। इसी ललक और एकजुटता ने भारत की आजादी की लड़ाई को साहस से भर दिया था। आज देश वैसी ही संकल्प की शक्ति आप जैसे युवाओं से मांग रहा है।

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