राष्ट्रपति का अभिभाषण: कोविंद ने वैक्सीनेशन, बेटियों के सशक्तिकरण का जिक्र किया

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Atul Tiwari
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राष्ट्रपति का अभिभाषण: कोविंद ने वैक्सीनेशन, बेटियों के सशक्तिकरण का जिक्र किया

नई दिल्ली. आज यानी 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू हो रहा है। इसकी शुरुआत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण से हुई। वे सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों को संबोधित कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि देश आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। कोविंद के भाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया। एक फरवरी को वित्त मंत्री बजट पेश करेंगी। कोरोना को देखते हुए लोकसभा की कार्यवाही शाम 4 बजे से 9 बजे तक और राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 9 बजे से होगी।





राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के भाषण की मुख्य बातें





स्वाधीनता सेनानियों को नमन: कोविंद ने दोनों सत्रों को संबोधित करते हुए कहा कि मैं देश के उन लाखों स्वाधीनता सेनानियों को नमन करता हूं, जिन्होंने अपने कर्तव्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी और भारत को उसके अधिकार दिलाए। आजादी के इन 75 वर्षों में देश की विकास यात्रा में अपना योगदान देने वाले सभी महानुभावों का भी मैं श्रद्धा-पूर्वक स्मरण करता हूं।





कोरोना से लड़ाई जीती: कोरोना ने मुश्किलें बढ़ाईं, लेकिन आज भारत सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन वाले देशों में से है। कोरोना की तीसरी डोज और युवाओं को टीका दिया जा रहा है। सरकार भविष्य की तैयारियों में जुटी है। इसलिए 64 हजार करोड़ रुपए से आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है। बताया गया कि 8 हजार से ज्यादा जन औषधि केंद्र हैं, जहां सस्ती दवाएं मिलती हैं। हमने एक साल से भी कम समय में 150 करोड़ से भी ज्यादा वैक्सीन लगाने का रिकॉर्ड कायम किया है। इस अभियान की सफलता ने नागरिकों को ऐसा सुरक्षा कवच दिया है, जिससे उनकी सुरक्षा बढ़ी है और उनका मनोबल भी बढ़ा है। देश में 70% से ज्यादा लोग एक डोज ले चुके हैं।





किसानों और गरीबों के लिए काम: कोविंद ने कहा कि किसानों की आय के नए जरिए तैयार किए जा रहे हैं। कृषि से जुड़े निर्यात में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। किसान रेल से किसानों को फायदा  हुआ। कोरोना काल में 1900 से ज्यादा किसान रेल चली। यह दिखाता है कि सोच नई हो तो पुराने संसाधन भी काम आ सकते हैं। छोटे किसानों (कुल के 80 फीसदी) के हितों को सरकार ने प्रमुख तौर पर रखा है। देश के 8 करोड़ से ज्यादा किसानों को एक लाख करोड़ से ज्यादा धनराशि दी जा चुकी है। सरकार आर्गेनिक खेती जैसे प्रयास भी कर रही है। सरकार बारिश के जल को बचाने के लिए भी कदम उठा रही है। अटल भू जल योजना से 64 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षमता विकसित की गई है।





सरकार गरीब की गरिमा बढ़ाने का काम कर रही है। गरीबों को 2 करोड़ से ज्यादा पक्के घर मिले हैं। आवास योजना के तहत 1 करोड़ से ज्यादा घर स्वीकृत किए गए। पेय जल की व्यवस्था हुई, जिससे महिलाओं को राहत मिली, स्वामित्व योजना के तहत घर के कागज (प्रॉपर्टी कार्ड) मिले, जिससे विवाद कम हुए।





सरकार का लोगों की हेल्थ पर जोर: प्रधानमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य मिशन की मदद से 80 हजार से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खुले। सरकार ने 8000 से ज्यादा जन औषधि केंद्र बनाए हैं, जो बहुत बड़ा कदम है। भारतीय फार्मा कंपनियों के उत्पाद 180 देशों में पहुंच रहे हैं। सरकार की तरफ से किए गए प्रयासों के फलस्वरूप देश में योग और आयुष उत्पादों की मांग बढ़ रही है। दुनिया के सबसे पहले WHO सेंटर ऑफ ट्रेडिशनल मेडिकल हेल्थ की शुरुआत भारत में की जा रही है।





बाबा साहेब अंबेडकर की बातों को मेरी सरकार अपना मूलमंत्र मानती है। हाल के वर्षों में भारत की यह भावना भलीभांति झलकती है। कोरोना काल में हमने बड़े देशों में खानपान की त्रासदी देखी है, लेकिन हमारी सरकार ने ऐसा नहीं होने दिया। हमारी सरकार दुनिया का सबसे बड़ा फूड डिस्ट्रीब्यूशन प्रोग्राम चला रही है, जिसे मार्च तक बढ़ा दिया गया है।





डिजिटल हुई इकोनॉमी: राष्ट्रपति ने बताया कि देश में स्वनिधि रोजगार योजना भी चलाई जा रही है। सरकार ने श्रमिकों के लिए ई-श्रम पोर्टल भी शुरू किया है। जनधन पोर्टल को सरकार ने मोबाइल से जोड़ा है। डिजिटल इंडिया और डिजिटल इकोनॉमी के दौर में UPI की सफलता के लिए सरकार को धन्यवाद दूंगा। महामारी की बाधाओं के बावजूद बड़ी संख्या में घरों को नलों से जोड़ा गया है। इसका सबसे बड़ा फायदा महिलाओं को हुआ है। सरकार देश के गरीबों को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है।





बेटियों के लिए काम किया: सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के लिए भी सरकार काफी काम कर रही है। महिला सशक्तिकरण सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के पहले से अच्छे परिणााम सामने आए हैं। सरकार ने बेटियों की विवाह की उम्र बढ़ाकर लड़कों के बराकर करने के फैसले को समाज की स्वीकार्यता मिली है। देश की शिक्षा नीति में जेंडर इन्क्लूससिवनेस को बढ़ावा दिया गया है। सैनिक स्कूलों में लड़कियों को जगह मिलेगी, NDA में महिलाओं का पहला बैच जून में आ जाएगा।





खेल-खिलाड़ियों को बढ़ावा: स्किल इंडिया मिशन के तहत हेल्थ केयर के लिए 6 कार्यक्रम तैयार किए गए। टोक्यो ओलंपिक के दौरान हमने भारत की क्षमताओं को देखा। भारत ने ओलंपिक में 7 मेडल जीते। पैरालंपिक में भी भारत ने 19 पदक जीते। पैरा खिलाड़ियों को अच्छी ट्रेनिंग देने के लिए सरकार ने ग्वालियर में सेंटर फॉर डिसेबिलिटी तैयार किया है। देश में चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के तहत कई दिव्यांगों को फायदा पहुंचा है। साइन लैंग्वेज डिक्शनरी बनाई गई है।





विश्व में तेजी से विकसित होती इकोनॉमी: कोरोनाकाल में देश में 40 से ज्यादा यूनिकॉर्न स्टार्टअप अस्तित्व में आए। भारत टेक्नोलॉजी की दिशा में भी तेजी से काम कर रहा है। सरकार ने कई नई सेक्टरों में एंट्री के द्वार खोले हैं। सरकार के प्रयासों से देश फिर से विश्व की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। देश में विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है। 48 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश शुरुआती 7 महीनों में आया है।





बजट पर निगाहें: ये लगातार दूसरा आम बजट है जो अर्थव्यवस्था पर कोरोना के साए के बीच पेश हो रहा है। वित्त मंत्री के सामने कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था को संभालने के साथ मध्यम और गरीब वर्ग को राहत देने की चुनौती है। 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, ऐसे में वित्त मंत्री के सामने इन राज्यों में सियासी समीकरण साधने की भी चुनौती है। 





सरकार को घेरने की तैयारी: 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने पेगासस मामले में हुए नए खुलासे पर सरकार को घेरने की योजना बनाई है। इसके अलावा किसान आंदोलन के दौरान दर्ज हुए केस वापस ना होने, एमएसपी पर कानूनी गारंटी समेत अन्य मुद्दों पर विचार के लिए कमेटी का गठन ना होने, आरआरबी-एनटीपीसी परीक्षा नतीजों पर छात्रों के आंदोलन और महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष ने सरकार को घेरने की योजना बनाई है। 





संसद में कोरोना: कोरोना की तीसरी लहर के चपेट में संसद भी है। राज्यसभा के सभापति वैंकेया नायडू कोरोना संक्रमित होने के कारण आइसोलेशन में हैं। इसके अलावा संसद के 875 कर्मचारी और अधिकारी महामारी की चपेट में हैं। इसी कारण सत्र के दौरान शारीरिक दूरी के मापदंड का सख्ती से पालन कराया जा रहा है।



 



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