नई दिल्ली. मशहूर कवि (कोई दीवाना कहता है फेम) कुमार विश्वास के घर 20 अप्रैल को पुलिस पहुंची। विश्वास ने घर पर पुलिस पहुंचने की जानकारी खुद ट्वीट कर दी, जिसमें वे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को चेतावनी देते नजर आए। विश्वास पर पंजाब के रोपड़ में 6 धाराओं में केस दर्ज किया गया है। कभी दिल्ली के मुख्यमंत्री के घनिष्ठ रहे विश्वास आज उनसे दूर-दूर खड़े दिखाई देते हैं। क्या है इसकी वजह, आइए जानने की कोशिश करते हैं...
विश्वास का राजनीतिक करियर
कुमार विश्वास, 2005 से अरविंद केजरीवाल को जानते हैं। विश्वास ने अन्ना आंदोलन से राजनीति में एंट्री की। 2010 में जब देश महंगाई और भ्रष्टाचार से परेशान था। ऐसे माहौल में अन्ना हजारे ने जनलोकपाल बिल को लेकर आंदोलन छेड़ दिया। कुमार विश्वास भी इस आंदोलन में शामिल हो गए। दिल्ली के रामलीला मैदान में हुए अन्ना आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे। अन्ना आंदोलन के बाद जब आम आदमी (आप) पार्टी बनी तो वो 2012 में पार्टी का हिस्सा बने। 2014 में उन्होंने आप के टिकट पर अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा, जिसमें उनकी हार हुई।
ऐसे सामने आए विवाद
2013 दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले एक वेब पोर्टल मीडिया सरकार ने स्टिंग ऑपरेशन किया। इसमें दावा किया गया कि आप के कुछ नेताओं (कुमार विश्वास और शाजिया इल्मी) ने पार्टी के अवैध डोनेशन का मुद्दा उठाया। आप ने पोर्टल पर पार्टी नेताओं को बदनाम करने का आरोप लगाया। पोर्टल मीडिया सरकार और आप ने एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज करा दिया। पुलिस ने जांच के बाद कार्रवाई का भरोसा दिया।
दिल्ली विधानसभा चुनाव पास आते ही एक कवि सम्मेलन की एक वीडियो क्लिप सामने आई। ये क्लिप डॉक्टर्ड यानी इसके साथ छेड़छाड़ की गई थी। वीडियो में कथित रूप से इमाम हुसैन, हिंदू देवी-देवताओं, केरल की नर्सों को लेकर अपमानजनक बातें कही गई थीं। इसको लेकर विश्वास के खिलाफ कई केस दर्ज किए गए। विश्वास ने कहा कि क्लिप के साथ छेड़छाड़ की गई। हालांकि, बाद में उन्होंने बयान के लिए माफी भी मांगी। कहा कि उनका मकसद किसी की भावनाओं को आहत करने का नहीं था।
2016 में विश्वास पर एक कैंपेन वॉलंटियर ने छेड़छाड़ और भद्दे कमेंट के आरोप लगाए। कोर्ट ने उन पर केस दर्ज करने का आदेश दिया। हालांकि दिल्ली पुलिस की जांच में ऐसी कोई बात साबित नहीं हुई।
जुलाई 2017 में अमिताभ बच्चन ने विश्वास पर कॉपीराइट का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। इसमें अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन की कविता को खुद के नाम से बताया गया था और यूट्यूब पर कविता का वीडियो भी पोस्ट हुआ था। विवाद होने पर वीडियो हटा लिया गया और विश्वास को 32 लाख रुपए देने पड़े। 2017 में ही विश्वास की आप के साथ खटपट शुरू हुई।
23 मार्च 2019 को अमृतसर के एक वकील एनपीएस हीरा ने विश्वास को लीगल नोटिस दिया। इसमें आरोप लगाया कि विश्वास ने 15 मार्च 2019 को फरीदाबाद में एक कार्यक्रम में सिख समुदाय के लिए अपमानजनक बातें कहीं। हीरा ने विश्वास को चेतावनी दी थी कि वे अमृतसर स्थित अकाल तख्त साहिब आकर माफी नहीं मांगते तो उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।
20 फरवरी 2022 को पंजाब में वोटिंग थी। इससे पहले 16 फरवरी को विश्वास ने दावा किया कि अरविंद केजरीवाल ने उनसे कहा था कि एक दिन या तो वह पंजाब के मुख्यमंत्री बनेंगे या एक स्वतंत्र राष्ट्र (खालिस्तान) के पहले प्रधानमंत्री बनेंगे। इस बयान के बाद राजनीति गरमा गई थी।
19 फरवरी 22 को एक सवाल कि क्या आपको आप से बाहर किया गया, विश्वास ने कहा कि ना तो मैंने पार्टी से इस्तीफा दिया और ना तो उनमें (अरविंद केजरीवाल) मुझे निकालने की ताकत है।
राज्यसभा टिकट ना मिलना बनी वजह?
2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान वो कुमार विश्वास ही थे, काउंटिंग के दौरान जिन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा था- अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से 10 हजार वोट से आगे हैं। लेकिन 4 साल बाद काफी कुछ बदल गया। 2017 में आप राज्यसभा में पार्टी उम्मीदवार का नाम घोषित करने वाली थी। कुमार ने खुद की उम्मीदवारी का दावा किया था, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि विश्वास को इस बार झटका लगने वाला था। हुआ भी ऐसा ही। विश्वास को राज्यसभा नहीं भेजा गया।
इधर, मीडिया में कहा गया कि केजरीवाल और विश्वास के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा। इस पर केजरीवाल ने ट्वीट किया- ‘विश्वास मेरे छोटे भाई हैं। कुछ लोग हमारे बीच खाई बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ लोग पार्टी के दुश्मन हैं। हम दोनों को कोई अलग नहीं कर सकता।’ जब बात बढ़ गई और विश्वास के ना मानने की खबरें आईं तो केजरीवाल उनसे मिल घर गए, बाहर आकर मीडिया से कहा था- नाराज हैं, मिलने आया हूं।
अक्टूबर 2017 में विश्वास ने एक मीडिया हाउस को दिए इंटरव्यू में कहा था- व्यक्तिगत संबंधों का असर पार्टी पर नहीं पड़ना चाहिए। इतना जरूर कहना चाहता हूं कि जो लोग अन्ना आंदोलन के समय हमारे साथ थे, उन्हें बिना डरे सच बोलना चाहिए। उन्हें कहना चाहिए कि क्या सही है या क्या गलत?
आप में विश्वास के करीबी नेता ने कहा था- केजरीवाल और कुमार में दूरियां 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही आने लगी थीं। केजरीवाल मोदी के खिलाफ वाराणसी से लड़ रहे थे। वे अपने साथ सारे पार्टी कार्यकर्ताओं को ले गए। तब अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ लड़ रहे विश्वास को अकेला छोड़ दिया गया। पार्टी के 3 संस्थापक सदस्य थे- अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और कुमार विश्वास। केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं, सिसोदिया डिप्टी सीएम हैं, पर विश्वास को क्या मिला?
इंजीनियरिंग छोड़ी, लिटरेचर अपनाया
कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1970 में यूपी के पिलखुआ में हुआ था। बारहवीं में फर्स्ट आने के बाद पिता चाहते थे कि वे इंजीनियरिंग करें। पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के एमएनआईटी इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन तो ले लिया, लेकिन उनका मन ज्यादा साहित्य में ज्यादा रमता था। लिहाजा कुमार दूसरे सेमेस्टर में ही इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़कर साहित्य की ओर चल पड़े। इंजीनियरिंग छोड़ने के बाद उनके पिता ने उन्हें पैसे देने से मना कर दिया था। पैसों का इंतजाम करने के लिए कुमार ने एक लोकल न्यूजपेपर में स्टोरी लिखनी शुरू कर दी। इससे उनकी फीस का इंतजाम हो गया। उन्होंने साहित्य में ग्रेजुएशन किया और फिर हिंदी साहित्य में पोस्ट ग्रेजुएशन में गोल्ड मेडल लिया। उन्होंने "कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना" सब्जेक्ट पर पीएचडी की। इस रिसर्च-वर्क को 2001 में पुरस्कृत भी किया गया।
बहन के कहने पर बदला नाम
बीए की पढाई के साथ ही कुमार विश्वास ने कवि सम्मेलन में भाग लेना शुरू कर दिया। शुरुआत में ही उस वक्त के मशहूर कवियों और शायरों को अपनी कविता से इम्प्रेस किया। धीरे-धीरे उनका नाम कवि सम्मेलन की दुनिया में धूम मचाने लगा। एक तरफ वो फेमस हो रहे थे, वहीं कई विरोधी होते जा रहे थे। उन्होंने अपना नया नाम रखने का सोचा। जब इस बारे में अपनी बहन से बात की तो उन्होंने सुझाव दिया कि अपना नाम विश्वास कुमार शर्मा से कुमार विश्वास रख लें। इस तरह अपनी बहन के कहने पर विश्वास कुमार शर्मा, कुमार विश्वास हो गए।
टीचर बने, दो किताब लिखीं, आज सेलिब्रिटी
कुमार विश्वास ने अपने करियर की शुरुआत 1994 में राजस्थान के एक कॉलेज में टीचर के रूप की। सिर्फ 24 साल की उम्र में वो हिंदी साहित्य के टीचर बन चुके थे। आज कुमार विश्वास साहित्यजगत का जाना-माना नाम हैं। उनकी दो बुक पब्लिश हो चुकी हैं। पहली बुक 1996 (26 साल की उम्र में) में 'इक पगली लड़की के बिन' आई थी। दूसरी बुक 2007 में 'कोई दीवाना कहता है' आई। इसका दूसरा एडिशन 2010 में पब्लिश हुआ। वे कविताओं के अलावा गीत और शायरी भी करते हैं। कवि सम्मेलनों का मंचन भी करते हैं।कुमार विश्वास टीवी का मशहूर चेहरा है। इंडियन आयडल और सा रे गा मा लिल चैम्स में बतौर गेस्ट जज शामिल हुए। वे कपिल शर्मा में शो में भी दो बार जा चुके हैं। 2018 में आई फिल्म परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण और वीर भगत सिंह के लिए वे गाने लिख चुके हैं।
कोई दीवाना कहता हैं, के पीछे का दीवाना
देश-विदेश में युवाओं के दिल पर राज कर रहीं लाइनें कुमार विश्वास की पहचान बन चुकी हैं। ये कविता सबकी जुबान पर है, पर इसके पीछे की कहानी कम ही लोगों को मालूम हैं। जब कुमार ग्रेजुएशन कर रहे थे, उस दौरान एक लव लेटर देने शाम को गर्ल्स हॉस्टल पहुंच गए। वहां गार्ड ने उन्हें देख लिया और जब इनके पीछे दौड़ा तो भागकर बाउंड्री कूद गए। बाउंड्री के बाहर किसी से टकरा गए तो उसने कहा- 'पागल है क्या।' बाहर जो दोस्त इंतजार कर रहा था, उसकी स्कूटर से भी टकरा गए तो दोस्त ने कहा 'दीवाना है तू।' इसके बाद कुमार ने ये कविता लिखी, जिसका जादू आज भी बरकरार है।