2 CM ने दिए प्रशांत किशोर को जोड़ने के संकेत, बना सकते हैं GOP की स्ट्रैटजी

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
2 CM ने दिए प्रशांत किशोर को जोड़ने के संकेत, बना सकते हैं GOP की स्ट्रैटजी

New Delhi. अगले लोकसभा चुनाव यानी 2024 में कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर (PK) रणनीति बनाते नजर आ सकते हैं। लगातार कई महीनों तक चली बैठकों और मुलाकातों के बाद PK की कांग्रेस में एंट्री करीब-करीब तय मानी जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों भूपेश बघेल और अशोक गहलोत ने कहा है कि PK का जुड़ना पार्टी के लिए फायदेमंद रहेगा।



जानकारी के मुताबिक, PK को कांग्रेस में पार्टी महासचिव का पद दिया जा सकता है। वे स्ट्रैटजी और अलायंस पर काम करेंगे। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस में पहली बार इस तरह के पद बनाए जाएंगे। दो लोकसभा और 20 से ज्यादा विधानसभा चुनावों में हार चख चुकी कांग्रेस के लिए PK कितने फायदेमंद होंगे, आइए जानते हैं....



प्रशांत की जिम्मेदारी क्या होगी?




  • PK कांग्रेस में गठबंधन सहयोगियों के साथ बातचीत और सीट बंटवारे का काम देखेंगे। वे इसकी रिपोर्ट सीधे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को करेंगे।    


  • प्रशांत लोकसभा और विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए रणनीति बनाएंगे। राज्य के प्रभारी से सीधे कनेक्ट होकर स्ट्रैटजी को अमल में लाएंगे। 



  • मिशन 2024 के लिए प्रशांत की कांग्रेस को 5 सलाह




    • पार्टी 370 सीटों पर फोकस करे।


  • जहां कांग्रेस कमजोर, वहां मजबूत सहयोगी को ड्राइविंग सीट दे।

  • पार्टी के कम्युनिकेशन सिस्टम में बदलाव करने की जरूरत है। 

  • जिन राज्यों में कांग्रेस का सीधा मुकाबला बीजेपी से है, उन राज्यों में पार्टी के स्ट्रक्चर में बदलाव करने की जरूरत है। 

  • कांग्रेस में एक फुल टाइम प्रेसिडेंट की जरूरत है, जो संगठन को चला सके। 



  • मोदी समेत 6 CM की इमेज चमकाई



    प्रशांत पिछले 10 सालों में अलग-अलग नेताओं के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तमिलनाडु के CM एमके स्टालिन, महाराष्ट्र के CM उद्धव ठाकरे, बंगाल के CM ममता बनर्जी, बिहार के CM नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के CM जगनमोहन रेड्डी प्रमुख हैं।



    PK के इस पद पर आने के बाद पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी को मजबूत गठबंधन सहयोगी मिल सकते हैं।

    प्रशांत किशोर के पास करीब 8 राज्यों में काम करने का अनुभव है। इन राज्यों में PK की रणनीति पार्टी के लिए कारगर हो सकती है।

    प्रशांत बीजेपी के साथ भी काम कर चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस बीजेपी की कमजोरी और मजबूती भी बेहतर तरीके से जान सकेगी। यह चुनावी रणनीति के लिए फायदेमंद होगा।



    कांग्रेस को PK की जरूरत इसलिए भी



    पिछले दो दशक से ज्यादा समय से कांग्रेस में अहमद पटेल पॉलिटिकल क्राइसिस और मोतीलाल वोरा वित्तीय परेशानियों का निपटारा करते थे। दोनों के निधन के बाद से कांग्रेस में अब तक कोई भी उनका रोल नहीं ले पाया, जिस वजह से कई राज्यों में कांग्रेस के भीतर अंदरूनी लड़ाई अब भी जारी है।



    PK के लिए चुनौती भी कम नहीं



    प्रशांत किशोर को कांग्रेस में अंदरूनी और बाहरी दोनों स्तरों पर अपनी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। पार्टी भले 240 सीटों पर बीजेपी से सीधे मुकाबले में हो, लेकिन यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में कांग्रेस के करीब 10 सांसद ही हैं। इन सभी राज्यों में पार्टी के भीतर अंदरूनी लड़ाई भी चल रही है। ऐसे में 2024 तक इसे खत्म कर पटरी पर वापस लाना आसान नहीं है। 



    PK के सामने पार्टी के भीतर बने G-23 नेताओं को भी साथ लेकर चलने की चुनौती होगी। अभी तक PK की मीटिंग में G-23 के नेता शामिल नहीं हुए हैं। ऐसे में उनके शामिल होने के बाद G-23 के नेता PK का स्वागत करेंगे, इस पर भी संशय है। G-23 के वरिष्ठ नेता कांग्रेस आलाकमान से पार्टी के भविष्य को लेकर चिंता जता चुके हैं।



    कौन हैं प्रशांत किशोर, 9 पॉइंट्स में




    • प्रशांत किशोर का जन्म साल 1977 में बिहार के बक्सर में हुआ। प्रशांत के पिता डॉ. श्रीकांत पांडे पेशे से डॉक्टर हैं और बक्सर में मेडिकल सुपरिटेंडेंट भी रह चुके हैं, मां इंदिरा पांडे हाउस वाइफ हैं। पिता डॉ. श्रीकांत पांडे सरकारी सेवा से रिटायर होने के बाद बक्सर में ही अपनी क्लीनिक चलाते हैं। उनकी पत्नी भी डॉक्टर हैं।


  • प्रशांत किशोर के बड़े भाई अजय किशोर पटना में रहते हैं और उनका खुद का कारोबार है। प्रशांत किशोर की दो बहनें भी हैं। 

  • प्रशांत किशोर की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई बिहार में ही हुई और बाद में वे इंजीनियरिंग करने हैदराबाद चले गए। इसके बाद उन्होंने यूनिसेफ (UNICEF) में नौकरी की और ब्रांडिंग का जिम्मा संभाला। 

  • यूनिसेफ के साथ काम करने के बाद साल 2011 में प्रशांत भारत लौटे और गुजरात के चर्चित आयोजन 'वाइब्रेंट गुजरात' से जुड़े। इस आयोजन की ब्रांडिंग का जिम्मा खुद संभाला और यह बेहद कामयाब रहा। 

  • कहा जाता है कि 'वाइब्रेंट गुजरात' के आयोजन के दौरान ही उनकी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से जान-पहचान हुई और फिर प्रशांत किशोर ने मोदी के लिए काम करना शुरू किया। 

  • प्रशांत किशोर की असली पहचान 2014 के लोकसभा चुनावों से बनी। इस चुनाव में उन्होंने बीजेपी के लिए काम किया। बीजेपी की प्रचंड जीत के लिए प्रशांत किशोर की चुनावी रणनीति को श्रेय दिया गया। 

  • कहा जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के चुनाव प्रचार के दो अहम अभियान, 'चाय पर चर्चा' और 'थ्री-डी नरेंद्र मोदी'  के पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग था। ये दोनों अभियान काफी सफल रहे और बीजेपी सत्ता तक पहुंची। 

  • 2014 में जीत के बाद प्रशांत किशोर की बीजेपी से दूरी बढ़ गई और वे बिहार की तरफ मुड़े। 2015 में बिहार विधानसभा के चुनाव में प्रशांत किशोर ने महागठबंधन के लिए काम किया और यहां भी वे करिश्मा दिखाने में सफल रहे।

  • इस चुनाव के बाद प्रशांत किशोर की नीतीश कुमार से नजदीकी बढ़ी और दोनों लोग कई जगह साथ दिखे। नीतीश ने प्रशांत को कैबिनेट मंत्री तक दर्जा दिया। हालांकि, जब नीतीश कुमार फिर बीजेपी के साथ आए तो प्रशांत से खटास की भी खबरें सामने आईं। 


  • Rahul Gandhi राहुल गांधी CONGRESS कांग्रेस नरेंद्र मोदी narendra modi भूपेश बघेल Bhupesh Baghel sonia gandhi Ashok Gehlot अशोक गहलोत सोनिया गांधी Strategy रणनीति प्रशांत किशोर Prashant Kishore 2014 lok Sabha Election
    Advertisment