DELHI: कोविंद ने पहले और आखिरी भाषण में गांव परौंख का जिक्र किया, युवाओं को सीख दी, पर्यावरण को लेकर सचेत किया

author-image
Atul Tiwari
एडिट
New Update
DELHI: कोविंद ने पहले और आखिरी भाषण में गांव परौंख का जिक्र किया, युवाओं को सीख दी, पर्यावरण को लेकर सचेत किया

NEW DELHI. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल का 24 जुलाई आखिरी दिन था। इस मौके उन्होंने देश को संबोधित किया। कोविंद ने कहा कि आज से पांच साल पहले आप सबने मुझ पर अपार भरोसा जताया था और अपने निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के जरिए मुझे भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना था। मैं आप सभी देशवासियों के प्रति और आपके जनप्रतिनिधियों के कृतज्ञता व्यक्त करता हूं।



गांव का जिक्र किया



कोविंद ने अपने पहले और आखिरी दोनों भाषणों में गांव परौंख का जिक्र किया। कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव के अति साधारण परिवार में पला-बढ़ा रामनाथ कोविंद आप सभी देशवासियों को संबोधित कर रहा है, इसके लिए मैं अपने देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की शक्ति को शत-शत नमन करता हूं।राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और अपने कानपुर के विद्यालय में वयोवृद्ध शिक्षकों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में हमेशा शामिल रहेंगे।

अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है।मैं युवा पीढ़ी से यह अनुरोध करूंगा कि अपने गांव या नगर तथा अपने विद्यालयों और शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को आगे बढ़ाते रहें।



आजादी के नायकों को किया जा रहा है याद



कोविंद ने कहा कि 19वीं शताब्दी के दौरान पूरे देश में पराधीनता के विरुद्ध अनेक विद्रोह हुए। देशवासियों में नई उम्मीद का संचार करने वाले ऐसे विद्रोहों के अधिकांश नायकों के नाम भुला दिए गए थे। अब उनकी वीर-गाथाओं को आदर सहित याद किया जा रहा है। तिलक और गोखले से लेकर भगत सिंह और नेताजी सुभाषचंद्र बोस तक, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर सरोजिनी नायडू और कमलादेवी चट्टोपाध्याय तक ऐसी अनेक विभूतियों का केवल एक ही लक्ष्य के लिए तत्पर होना, मानवता के इतिहास में कहीं और देखा गया। 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए हमारा देश सक्षम हो रहा है, यह मेरा दृढ़ विश्वास है।



हमारे पूर्वजों और हमारे आधुनिक राष्ट्र-निर्माताओं ने अपने कठिन परिश्रम और सेवा भावना के द्वारा न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्शों को चरितार्थ किया था। हमें केवल उनके पदचिह्नों पर चलना है और आगे बढ़ते रहना है। संविधान सभा में पूरे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले अनेक महानुभावों में हंसाबेन मेहता, दुर्गाबाई देशमुख, राजकुमारी अमृत कौर और सुचेता कृपलानी सहित 15 महिलाएं भी शामिल थीं। संविधान सभा के सदस्यों के अमूल्य योगदान से निर्मित भारत का संविधान, हमारा प्रकाश-स्तम्भ रहा है।



मैं कार्यकाल में बेहद सचेत रहा हूं



कोविंद ने ये भी कहा कि अपने कार्यकाल के 5 वर्षों के दौरान मैंने अपनी पूरी योग्यता से अपने दायित्वों का निर्वहन किया। मैं डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. एस. राधाकृष्णन और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसी महान विभूतियों का उत्तराधिकारी होने के नाते बहुत सचेत रहा हूं। जलवायु परिवर्तन का संकट हमारी धरती के भविष्य के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है। हमें अपने बच्चों की खातिर अपने पर्यावरण, अपनी जमीन, हवा और पानी का संरक्षण करना है। मैं सभी देशवासियों के प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। 

 


President गांव पर्यावरण environment Village रामनाथ कोविंद कानपुर का परौंख युवा आखिरी स्पीच Draupdi Murmu Kanpur Paraunkh Youth द्रौपदी मुर्मू Last Speech Ramnath Kovind राष्ट्रपति