NEW DELHI. 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के चलते राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर दिया गया है। मध्य प्रदेश में भी ये सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है। प्रदेश में विपक्षी दल कांग्रेस ने सत्ता में आने पर OPS को लागू करने का ऐलान किया है, लेकिन आरबीआई ने एक बुलेटिन के माध्यम से आगाह किया है कि पुरानी पेंशन स्कीम को अपनाने पर राज्यों की वित्तीय हालत खराब हो सकती है। OPS फिर लागू करने से नए पेंशन स्कीम के मुकाबले सरकारों पर बोझ में 4.5 गुना इजाफा संभव है।
आरबीआई ने बताया OPS को लागू करने के बाद असर
सितंबर के लिए जारी किए गए आरबीआई बुलेटिन में लिखे लेख में बताया कि ओपीएस के प्रभावों को लेकर स्टडी की गई है। लेख में कहा गया कि मौजूद सदी के पहले दशक में पेंशन सुधार को अपनाते हुए ज्यादातर राज्यों ने नेशनल पेंशन सिस्टम को अपनाया। इस योजना में पेंशन पाने के लिए योगदान करना होता है, लेकिन हाल के दिनों में ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से बहाल करने को लेकर मांगे तेज हो गई है तो कुछ राज्यों ने अपने यहां इसे लागू भी कर दिया है।
OPS लागू होने से राज्यों पर बढ़ेगा वित्तीय बोझ
आरबीआई के बुलेटिन के मुताबिक एनपीएस में राज्यों के योगदान और सभी राज्यों के OPS को अपनाने पर पड़ने वाले वित्तीय प्रभावों को लेकर स्टडी की गई है। स्टडी के निष्कर्ष के मुताबिक ओल्ड पेंशन स्कीम फिर से अपनाने पर छोटी अवधि में राज्यों के पेंशन खर्च में कमी आएगी, लेकिन भविष्य में अनफंडेड पेंशन देनदारियों में भारी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। ओल्ड पेंशन स्कीम के चलते बढ़ने वाले पेंशन बोझ 2030 तक राज्यों के एनपीएस में दिए जाने वाले योगदान से ज्यादा हो जाएगा।
2040 के बाद राज्यों को करना होगा अतिरिक्त खर्च
राज्य 2040 तक ओपीएस पर वापस लौटने से वार्षिक पेंशन खर्च में सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.1 प्रतिशत बचाएंगे। लेकिन 2040 के बाद वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद के 0.5 प्रतिशत तक पेंशन खर्च अलग से बढ़ाना होगा। लेख में चेतावनी दी गई है कि ओपीएस लागू करने से राज्यों पर लंबे समय तक राजकोषीय तनाव को अस्थिर कर सकता है। ओपीएस में वापस जाने वाले राज्यों के लिए तात्कालिक लाभ यह है कि उन्हें वर्तमान कर्मचारियों के एनपीएस पर खर्च नहीं करना पड़ेगा, लेकिन भविष्य में उनकी वित्तीय स्थिति पर गंभीर असर हो सकता है।
2060 तक GDP का 0.9% पेंशन का बढ़ेगा बोझ
आरबीआई स्टडी के मुताबिक ओल्ड पेंशन स्कीम को अपनाने पर पेंशन खर्च एनपीएस के तहत अनुमानित पेंशन खर्च का लगभग 4.5 गुना बढ़ जाएगा। ओल्ड पेंशन स्कीम के चलते खजाने पर पड़ने वाला बोझ बढ़कर 2060 तक जीडीपी का 0.9 फीसदी तक हो जाएगा।
वित्तीय सुधारों को लगेगा झटका
आरबीआई बुलेटिन में चेतावनी देते हुए कहा गया कि जब दुनिया के ज्यादातर देश पेंशन के लिए डिफाइंड कंट्रीब्यूशन प्लान की ओर बढ़ रही है। ऐसे में राज्यों का ओल्ड पेंशन स्कीम की ओर वापस लौटना पिछले वित्तीय सुधारों से होने वाले लाभों को कमजोर करने वाला कदम साबित होगा। आरबीआई में स्टडी में कहा गया कि ओल्ड पेंशन स्कीम की वापसी राज्यों के वित्तीय हालत को अस्थिर कर सकता है।
केंद्र सरकार भी दबाव में
राज्यों के ओल्ड पेंशन स्कीम के अपने यहां लागू करने के बाद केंद्र की मोदी सरकार भी दबाव में है क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव में ये बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। ऐसे में नेशनल पेंशन स्कीम को बेहतर बनाने के लिए वित्त सचिव की अध्यक्षता में एनपीएस कमिटी का गठन किया गया है। जो फिलहाल लगातार अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा कर रही है।
आरबीआई के एक शोध पत्र में सोमवार को कहा गया कि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के मामले में राजकोषीय बोझ नई पेंशन योजना से 4.5 गुना तक अधिक हो सकता है। हालांकि, आरबीआई ने कहा है कि यह लेखकों का मत है। यह उसका विचार नहीं है।