संघ प्रमुख भागवत ने इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख इलियासी से मुलाकात की, दोनों समुदायों में सद्भाव बनाने की कोशिश

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Atul Tiwari
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संघ प्रमुख भागवत ने इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख इलियासी से मुलाकात की, दोनों समुदायों में सद्भाव बनाने की कोशिश

NEW DELHI. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 22 सितंबर को ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम डॉ. इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की। इससे पूर्व भागवत से पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग सहित कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने मुलाकात की थी। इलियासी से मिलने के लिए संघ प्रमुख भागवत दिल्ली के कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद स्थित उनके ऑफिस पहुंचे। आरएसएस ने हाल ही मुसलमानों से संपर्क बढ़ाया है और भागवत ने समुदाय के नेताओं के साथ कई बैठकें की हैं।



संघ प्रमुख की फोटो



मुलाकात के बाद मीडिया ने डॉ. उमर अहमद से पूछा कि भागवत ने 'हिंदू-मुस्लिम का DNA एक' वाला बयान दिया था, इस पर आप क्या कहेंगे? इमाम ने कहा- जो उन्होंने कहा वो सही है, क्योंकि वे राष्ट्रपिता और राष्ट्र ऋषि हैं। जो उन्होंने कह दिया, वो ठीक है। उमर अहमद इलियासी के पिता जमील इलियासी भी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख थे। जमील तब आरएसएस प्रमुख रहे केएस सुदर्शन के करीबी माने जाते थे। उमर अहमद इलियासी, सुहैब इलियासी के छोटे भाई हैं। सुहैब को अपनी पत्नी की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया था।



इलियासी से मुलाकात सामान्य बातचीत प्रक्रिया- आंबेकर 



इलियासी से संघ प्रमुख की मुलाकात को लेकर आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत सभी क्षेत्रों के लोगों से मिलते हैं। यह सामान्य संवाद प्रक्रिया का हिस्सा है। इमाम इलियासी और भागवत के बीच बंद कमरे में मुलाकात हुई, जो एक घंटे से ज्यादा चली। भागवत के साथ संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार थे। आंबेकर ने कहा कि मुस्लिम नेताओं से संवाद की प्रक्रिया जारी रहेगी। 



मुस्लिम नेताओं से मिल रहे संघ प्रमुख



इसके पहले भी भागवत ने कुछ मुस्लिम नेताओं से व्यक्तिगत स्तर पर मुलाकात की थी। वे दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंग, पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, जमीरुद्दीन शाह, सईद शेरवानी और शाहिद सिद्दीकी से मिले थे। बीजेपी के पूर्व संगठन महामंत्री रामलाल की पहल पर हुई इस मुलाकात में भी दोनों समुदायों के बीच मतभेद को कम करने के लिए संभावित उपायों पर चर्चा की गई।



मुसलमानों के एक संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के नेता मौलाना अरशद मदनी ने भी 30 अगस्त 2019 को दिल्ली के झंडेवालान स्थित संघ दफ्तर पहुंचकर मोहन भागवत से मुलाकात की थी। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के नेता इंद्रेश कुमार की पहल पर हुई इस मुलाकात की भी बहुत चर्चा हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर पर फैसला (9 नवंबर 2019) आने के पहले दोनों शीर्ष नेताओं की इस मुलाकात को दोनों समुदायों में शांति बनाए रखने की दृष्टि से बेहद अहम माना गया था।



चर्चा है कि भागवत आने वाले दिनों में कश्मीर के कुछ मुस्लिम नेताओं से भी मुलाकात कर सकते हैं। इसे कश्मीर में चुनावी राजनीति की दोबारा शुरुआत के बाद घाटी में शांति बनाए रखने की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ये नेता कश्मीरी अलगाववादी नेताओं को घाटी में दोबारा सक्रिय ना होने और कश्मीरी युवाओं को नए भारत से जोड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।



मुस्लिमों को साधने की कोशिश



माना जा रहा है कि आरएसएस और भाजपा के नेता लगातार मुसलमानों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। भागवत मुसलमानों के बिना हिंदुस्तान के पूरा नहीं होने की बात करते हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा की हैदराबाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एलान कर देते हैं कि पार्टी का मिशन मुसलमानों के करीब तक पहुंचने का होना चाहिए। कश्मीर के नेता गुलाम अली खटाना को राज्यसभा में भेजना भी संघ परिवार की मुसलमानों से करीबी बढ़ाने की इसी सोच की एक मिसाल है। संघ और भाजपा में मुसलमानों के प्रति आ रहे इस बदलाव का कारण क्या है? यह अंतरराष्ट्रीय मुस्लिम बिरादरी के बीच भारत की छवि बेहतर करने की कोशिश है या इसके जरिए संघ किसी बड़े बदलाव की योजना बना रहा है?



भागवत ने कहा था- भारतीयों का डीएनए एक

 

4 जून 2021 को मोहन भागवत ने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के एक कार्यक्रम में कहा था कि सभी भारतीयों को डीएनए एक है, फिर वो चाहे किसी भी धर्म के क्यों ना हों। हिंदू-मुस्लिम एकता की बातें भ्रामक हैं, क्योंकि दोनों अलग नहीं, बल्कि एक ही हैं। लोगों के बीच पूजा पद्धति के आधार अंतर नहीं किया जा सकता।


लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के प्रमुख से मिले भागवत मुस्लिमों से दूरी कम कर रहे मोहन भागवत preparing for Lok Sabha elections 2024 Bhagwat met Imam Umer Ahmed Ilyasi Mohan Bhagwat reducing distance from Muslims