विपक्ष का मार्च: राहुल का आरोप- पहली बार सदन में सांसद पिटे, मोदी देश बेच रहे हैं

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विपक्ष का मार्च: राहुल का आरोप- पहली बार सदन में सांसद पिटे, मोदी देश बेच रहे हैं

नई दिल्ली. संसद का मॉनसून सत्र (Monsoon Session) समय से पहले खत्म किए जाने पर विपक्ष में नाराजगी है। 12 अगस्त को कांग्रेस समेत 15 विपक्षी पार्टियों ने साझा मार्च निकाला। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भी इसमें शामिल थे। इस दौरान राहुल ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाया। राहुल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को बेच रहे हैं। पहली बार संसद के सदन में सांसदों की पिटाई की गई।

सांसद अपनी बात नहीं रख सकते

राहुल ने आरोप लगाया कि पहली बार राज्यसभा (Rajyasabha) में सांसदों की पिटाई की गई। बाहर से लोगों को बुलाया गया और सांसदों के साथ धक्का-मुक्की की गई। सदन को चलाने की जिम्मेदारी चेयरमैन की की है। विपक्ष अपनी बात सदन में क्यों नहीं रख सकता। देश का प्रधानमंत्री (Prime Minister) देश को बेचने का काम कर रहा है। दो-तीन उद्योगपतियों को देश की आत्मा बेची जा रही है। विपक्ष संसद के अंदर कोई भी बात नहीं कर सकता। देश के 60% लोगों की आवाज दबाई जा रही है। हमने सरकार से पेगासस मुद्दे पर चर्चा करने की बात कही, हमने किसानों, महंगाई का मुद्दा उठाया। पर कोई फर्क नहीं पड़ा। ये लोकतंत्र की हत्या है।

किसने-क्या कहा?

  • सपा: विशंभर निषाद बोले कि संसद में मार्शल लगाए गए, हमारी महिला सांसदों से धक्का-मुक्की की गई। विपक्ष पेगासस, किसान बिल और महंगाई पर चर्चा चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं करने दिया गया।

  • राजद: मनोज झा ने कहा कि हम यहां इसलिए आए हैं, क्योंकि संसद में नहीं बोलने दिया गया। इंश्योरेंस बिल संसद ने नहीं, मार्शल लॉ ने पास किया है। हम बेरोजगारी, महंगाई का मुद्दा उठाना चाहते थे, लेकिन विपक्ष की आवाज को दबाया गया।
  • राकांपा: प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि संसद का सत्र शर्मनाक रहा। शरद पवारजी ने राज्यसभा की प्रोसीडिंग पर कहा कि उन्होंने अपने संसदीय जीवन में इस तरह की शर्मनाक घटनाओं को कभी नहीं देखा।
  • DMK: सरकार जबरन इंश्योरेंस बिल पास कराना चाह रही थी। संसद की ऐसी तस्वीर कभी नहीं देखी। हमारी महिला सांसदों को घसीटा गया।
  • तय समय से अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुई कार्रवाई

    लोकसभा और राज्यसभा में लगातार हंगामे के चलते सदन की कार्रवाई 13 अगस्त की बजाय 11 अगस्त को ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। राज्यसभा में 28% और लोकसभा में 22% कामकाज हुआ। हंगामे के चलते लोकसभा में 96 घंटे में से 74 घंटे बर्बाद हो गए।

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