DELHI:शिंदे गुट को SC से राहत, बागी विधायकों के निलंबन पर सुनवाई टली, कहा- जब तक सुनवाई पूरी नही, स्पीकर फैसला नहीं लेंगे

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Vivek Sharma
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DELHI:शिंदे गुट को SC से राहत, बागी विधायकों के निलंबन पर सुनवाई टली, कहा- जब तक सुनवाई पूरी नही, स्पीकर फैसला नहीं लेंगे

Delhi. महाराष्ट्र में सियासी उठापटक के बीच शिवसेना के बागी नेता और सीएम एकनाथ शिंदे को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शिवसेना के बागी विधायकों के निलंबन पर दायर याचिका पर सुनवाई फिर से टल गई है। शिंदे गुट के लिए यह किसी बड़ी राहत से कम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को आदेश दिया है कि जब तक मामले में सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, स्पीकर कोई निर्णय नहीं लेंगे। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में बेंच गठित की जाएगी। इस प्रक्रिया में समय लगेगा।  



दरअसल, उद्धव ठाकरे गुट की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि कल अयोग्यता का मामला विधानसभा में सुनाया जाएगा। जब तक सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करता, तब तक स्पीकर को निर्णय लेने से रोक दिया जाए। इस पर सीजेआई ने विधायकों की अयोग्यता पर किसी भी फैसले पर रोक लगा दी है। दरअसल, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की तरफ से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और उनके गुट के खिलाफ याचिका (Petition) दायर की गई है। याचिका में 16 बागी विधायकों (MLAs) को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है। याचिका में जिन विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है उनमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे भी शामिल हैं। शिंदे बतौर सीएम, और देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) बतौर डिप्टी सीएम शपथ ले चुके हैं लेकिन अब तक कैबिनेट विस्तार नहीं हो सका है। माना जा रहा है फैसले की वजह से कैबिनेट विस्तार देरी हो रही है।



16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग



याजिका में एकनाथ शिंदे, भरतशेट गोगावले, संदिपानराव भुमरे, अब्दुल सत्तार, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, अनिल बाबर, बालाजी किणीकर, तानाजी सावंत, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, लता सोनवणे, चिमणराव पाटिल, रमेश बोरनारे, संजय रायमूलकर और बालाजी कल्याणकर, को अयोग्य घोषित करने की मांग की गई है.



सांसदों में भी फूट के आसार



खबर है कि शिवसेना के 18 में से 14-15 सांसद भी उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं। खबरों के मुताबिक पिछले दिनों सांसदों की दिल्ली में एक बैठक हुई है, जिसमें सांसदों ने उद्धव ठाकरे के साथ बीजेपी के साथ गठबंधन का दबाव बनाया है। शिवसेना सांसद सदाशिव लोखंडे ने कहा कि हमने उद्धव ठाकरे को अपनी इच्छा व्यक्त की है। जल्दी ही इस पर बैठक होगी उसके बाद सांसद अपनी भूमिका तय करेंगे। वहीं शिवसेना सांसद संजय मांडलिक ने कहा कि सांसदों में फूट की खबर अफवाह है। एकनाथ शिंदे के सांसद बेटे और एक दो अन्य सांसदों को छोड़कर सभी सांसद पार्टी के साथ एकजुट हैं।



आदित्य ने शुरू की निष्ठा यात्रा



शिवसेना में बगावत के बाद आदित्य ठाकरे ने निष्ठा यात्रा शुरू की है। इसके तहत वह मुंबई की सभी 236 शाखाओं में जाकर निष्ठावान शिवसैनिकों को संगठित कर रहे हैं। दहिसर और उसके बाद कांदिवली में अपनी 'निष्ठा यात्रा' के दौरान आदित्य ठाकरे ने कहा कि जो लोग शिवसेना छोड़ना चाहते थे, वे चले गए, लेकिन जमीनी स्तर के शिवसैनिकों का समर्थन उद्धव ठाकरे के साथ है। आदित्य ने कहा कि हर चुनाव क्षेत्र में हमारे पास दो से तीन ऐसे शिवसैनिक पुरुष और महिलाएं जो चुनाव में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबला करने के लिए तैयार हैं। हालांकि आदित्य में यह भी कहा कि जो छोड़कर गए हैं उनके लिए ‘मातोश्री’ के दरवाजे अभी भी खुले हैं।



माल्या पर लगाया जुर्माना



भगोड़े कारोबारी विजय माल्या के अवमानना मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 4 महीने की सजा और 2 हजार का जुर्माना लगाया।  इससे पहले मार्च माह में सुनवाई के बाद कोर्ट ने माल्या के खिलाफ सजा पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने माल्या को अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए अपने बच्चों को चार करोड़ डॉलर हस्तांतरित करने के लिए अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को जवाब देने का आखिरी मौका देते हुए कहा था कि माल्या की अनुपस्थिति में ही सजा के मुद्दे पर आगे बढ़ने का फैसला किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर माल्या अपना पक्ष नहीं रखते हैं तो अदालत इस मामले को कानूनी आधार पर आगे बढ़ाएगी। माल्या को संपत्ति का सही विवरण नहीं देने के लिए 2017 में अदालत के आदेशों की अवहेलना का दोषी माना गया था। कोर्ट के इस फैसले पर माल्या की ओर से दाखिल पुनर्विचार याचिका भी सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने विजय माल्या को अपने खिलाफ अवमानना मामले में व्यक्तिगत रूप से या वकील के माध्यम से पेश होने के लिए दो सप्ताह का अंतिम अवसर दिया था। माल्या फिलहाल ब्रिटेन में है और उसके प्रत्यर्पण की कार्रवाई लंबित है। 




 


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