रायपुर में इकलौता अंग्रेजों के जमाने का थाना सिटी कोतवाली गणतंत्र दिवस के मौके पर खास तौर पर सजाया गया है। पहली बार यहां ऐसी लाइटिंग की गई है जो देशभक्ति की धुनों पर नाचेगी। रात के अंधेरे में तकरीबन हर रंग की रोशन में सजा राजधानी का ये थाना अद्भुत लग रहा है।
देशभक्ति बीट पर थिरकेंगी लाइट्स: गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले मंगलवार की शाम यहां स्पेशल लाइटिंग का ट्रायल लिया गया। पूरी इमारत के सामने के हिस्से में LED लाइट्स की स्ट्रीप्स लगाई गई हैं,थाने की इमारत पर इन लाइट्स को ऐसे सेट किया गया है कि जब देश भक्ति सॉन्ग यहां बजाए जा रहे हैं तो ये लाइट्स भी उन बीट्स पर रोशनी के जरिए थिरकती दिखती हैं।
थाने का दिलचस्प इतिहास: मालवीय रोड से कालीबाड़ी मार्ग पर पुराने भवन में संचालित कोतवाली से शहर का इतिहास जुड़ा हुआ है। साल 1802 में अंग्रेजों की कचहरी चलती थी। करीब 100 साल बाद 1903 में यह इमारत पुलिस विभाग के सुपुर्द कर दी गई। तब से ही यहां कोतवाली संचालित हो रही थी। रायपुर अंग्रेजों के समय नागपुर कमिश्नरेट के अंतर्गत आता था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पं. रविशंकर शुक्ल, वामन राव लाखे, माधवराव सप्रे, सुंदरलाल शर्मा, खूबचंद बघेल जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने कोतवाली थाने के हवालात में कई दिन गुजारे। 1857 की क्रांति की सुनवाई तब इसी कचहरी भवन में होती थी।