संजय गुप्ता, INDORE. 4 साल से ओबीसी आरक्षण के मामले में कानूनी पेंच में उलझी मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) परीक्षाओं के रिजल्ट को लेकर हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के तहत आखिरकार गुरुवार को सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने पीएससी सचिव को पत्र लिख दिया है। इसमें हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि 87 फीसदी पदों के हिसाब से रिजल्ट बनाकर जारी किया होगा और शेष 13 फीसदी पदों पर प्रोवीजनल रिजल्ट जारी होगा, जो हाईकोर्ट के अंतिम आदेश के बाद तय होंगे कि ये पद ओबीसी अभ्यर्थियों के खाते में जाएंगे या फिर सामान्य कैटेगरी के खाते में।
द सूत्र की खबर पर मुहर
ओबीसी आरक्षण में फंसी परीक्षाओं के नतीजों को लेकर द सूत्र ने सबसे पहले खुलासा किया था। द सूत्र ने बताया था कि 2019 से 2021 तक के रुके हुए परीक्षा परिणाम जल्द ही घोषित किए जाएंगे। ओबीसी आरक्षण को लेकर सरकार जल्द ही बड़ा फैसला लेने वाली है।
द सूत्र की एक्सक्लूसिव खबर पढ़ें..
ओबीसी आरक्षण पर सरकार जल्द लेगी बड़ा फैसला, पिछले 4 सालों से रुके पीएससी के परिणाम होंगे जारी
मीटिंग में फैसला लेकर जारी होगा रिजल्ट
पीएससी प्रवक्ता डॉ. रविंद्र पांचभाई ने द सूत्र से चर्चा में कहा कि पत्र मिला है, इसका अध्ययन किया जाएगा और मीटिंग करके फैसला लेकर रिजल्ट जारी किया जाएगा। इसके मायने हैं कि कम से कम 87 फीसदी सीटों के रिजल्ट और भर्ती तो पूरी हो सकेंगी, बाकी 13 फीसदी के लिए अंतिम आदेश तक रुकना होगा।
जीएडी के पत्र में ये लिखा है
अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को लेकर माननीय उच्च न्यायालय में याचिका क्रमांक डब्ल्यू. पी.-5901/2019 एवं अन्य याचिकाएं लंबित हैं। माननीय न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश के प्रकाश में आयोग द्वारा संचालित विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम घोषित करने में कठिनाई हो रही है। अतः माननीय न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेशों के मद्देनजर निर्देशित किया जाता है कि राज्य सेवा एवं अन्य भर्ती परीक्षा का परिणाम दो भागों में, एक 87 प्रतिशत पदों पर मुख्य तथा दूसरा 13 प्रतिशत पदों (वह पद जो प्रतिशत) पर प्रावधिक यानि प्रोवीजनल परीक्षा परिणाम घोषित किया जाए।
प्रारंभिक परीक्षा में प्रोवीजनल तौर पर चयनित अभ्यार्थी परीक्षा के अगले प्रत्येक चरण (मुख्य परीक्षा, साक्षात्कार) में प्रोवीजनल तौर से ही सम्मिलित होंगे। माननीय न्यायालय के अंतिम निर्णय आने के उपरांत वह अपने संबंधित वर्ग (अन्य पिछड़ा वर्ग या अनारक्षित) में रोके गए 13 प्रतिशत पद के विरूध्द ही चयनित होंगे न की पूर्व घोषित हो चुके 87 प्रतिशत पद के विरुध्द।
अभ्यर्थियों के वकील ने बताए पत्र के मायने और असर
पीएससी मामले में अभ्यर्थियों के वकील विभोर खंडेलवाल ने बताया कि पीएससी खुद एक संवैधानिक संस्था है और रिजल्ट को लेकर फैसला तो उन्हें ही करना है। इस पत्र से तो यही लग रहा है कि 13 फीसदी पदों को रोका जाएगा और इस पर इतने प्रतिशत सामान्य और ओबीसी दोनों को ही चुनकर प्रोवीजनल अलग रिजल्ट निकालेंगे। जब हाईकोर्ट का अंतिम आदेश जिसके पक्ष में आएगा उन्हें अंतिम रिजल्ट में शामिल कर लिया जाएगा और दूसरी कैटेगरी के अभ्यर्थियों को बाहर किया जाएगा। देखना है कि अब पीएससी किस तरह इस पत्र को लेकर आगे बढ़ती है।
दस परीक्षाओं के तीन हजार पदों के रिजल्ट रुके हुए हैं
राज्य सेवा परीक्षा 2019 का इंटरव्यू रुका हुआ है, तो वहीं साल 2020 की परीक्षा के मुखय परीक्षा का रिजल्ट रुका हुआ है और साल 2021 की परीक्षा का प्री का रिजल्ट रुका हुआ है। इसके साथ ही राज्य वन सेवा, इंजीनयिरिंग सेवा, मेडिकल ऑफिसर सेवा के रिजल्ट भी रुके हुए हैं, करीब तीन हजार पदों के रिजल्ट और भर्तियां इस विवाद के कारण रुके हुए हैं।