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New Delhi. दिल्ली के मुख्य सचिव पद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में अहम निर्णय आया है। आप सरकार को बड़ा झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार का कार्यकाल छह महीने तक के लिए बढ़ा दिया। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले ने कानून या संविधान का उल्लंघन नहीं किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मामले में आदेश जारी कर दिए हैं। केंद्र ने बुधवार (29 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पिछले दस साल में अलग-अलग राज्यों के सेवानिवृत्त हुए मुख्य सचिवों को विस्तार दिए जाने के 57 मामले सामने आए हैं।
केंद्र की ओर पीठ के सामने तर्क पेश
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन पेश हुए। उन्होंने तर्क दिया कि संशोधित कानून और अन्य प्रावधानों के मद्देनजर केंद्र सरकार के पास शीर्ष अधिकारी की नियुक्ति और कार्यकाल बढ़ाने की पूरी शक्ति है।
‘आप’ की दलीलों का विरोध, पेश किए 57 उदाहरण
सॉलिसिटर जनरल ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों का विरोध किया कि मुख्य सचिव से संबंधित नए कानून में प्रावधान केवल एक परिभाषा खंड था। तुषार मेहता ने कहा, प्रावधान स्पष्ट करता है कि मुख्य सचिव की नियुक्ति की शक्ति केंद्र सरकार के पास है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के सेवानिवृत्त मुख्य सचिवों को विस्तार दिए जाने के कम से कम 57 उदाहरण हैं। शुरुआत में अभिषेक सिंघवी ने कहा, मुख्य सचिव पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि के अलावा सौ अन्य मामलों को देखते हैं और वे दिल्ली सरकार के विशेष क्षेत्र में हैं और इसलिए, उन्हें ‘कॉलेजियलिटी’ के आधार पर अपनी बात रखनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कई उदाहरण दिए
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने उदाहरण देकर कहा, मुख्य सचिव, अन्य बातों के अलावा, (संविधान की सातवीं अनुसूची की प्रविष्टि) 1, 2 और 18 के तहत कार्य करते हैं और आप उन कार्यों को विभाजित नहीं कर सकते हैं जो उन प्रविष्टियों के अंतर्गत आते हैं और जो उन प्रविष्टियों के अंतर्गत नहीं आते हैं, जैसा कि आप करते हैं करने की कोशिश की है।