लखीमपुर खीरी हिंसा मामले (lakhimpur kheri Violence Case) में दायर जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सुनवाई की। सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले में योगी सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम अदालत ने कहा कि 'घटनास्थल पर हजारों की भीड़ थी फिर भी अब तक 23 ही चश्मदीद गवाह क्यों मिले हैं। अदालत ने कहा कि सरकार इस मामले के सभी प्रत्यक्षदर्शी गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने जल्द से जल्द दर्ज करवाए जाएं।' मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी। बता दें कि इस हिंसा में चार किसानों और एक पत्रकार समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सब क्षेत्रीय लोग ही इस मामले में शामिल रहे होंगे, तो ऐसे में उन्हें चिन्हित किए जाने में खासी मुश्किल नहीं होनी चाहिए।
हजारों की भीड़ में सिर्फ 23 किसान: SC
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वहां पर चार- पांच हजार लोग थे, जो लोकल थे। साल्वे ने जवाब दिया कि ज्यादातर लोकल थे, लेकिन उसमें बाहरी लोग भी शामिल थे। जस्टिस ने कहा कि घटना के बाद भी बड़ी संख्या में लोग थे जो जांच की मांग कर रहे थे। इस पर साल्वे बोले- यहां सवाल चश्मदीदों का है। CJI ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि इन मामलों में हमेंशा एक संभावना होती है। साल्वे ने कहा कि हम समझ रहे हैं। सीजेआई ने कहा अपनी एजेंसी से यह देखने के लिए कहें कि घटना के बारे में बात करने वाले 23 लोगों के अलावा और कितने लोग है जिन्होंने घटना देखी। साल्वे ने पूछा कि क्या हम आपको सीलबंद लिफाफे में गवाहों के कुछ दर्ज बयानों के बारे में दिखा सकते हैं?
पीड़िता की शिकायत पर कार्रवाई हो:SC
मृतक भाजपा (BJP) नेता श्याम सुंदर कि पत्नी कि ओर से पेश वकील अरुण भारद्वाज ने कोर्ट से कहा कि मेरी फरियादी कि शिकायत पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। जबकि वह तीन आरोपियों को पहचानती है। इस पर सीजेआई ने हरीश साल्वे से मामले को देखने को कहा, हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि श्याम सुंदर इस मामले में आरोपी भी हैं और पीड़ित भी हैं। सीजेआई ने आदेश दिया कि पीड़िता रूबी देवी की शिकायत पर कार्रवाई की जाए। बेंच ने पत्रकार कश्यप की मौत पर यूपी से अलग जवाब मांगा है। इस दौरान बेंच से शिकायत की गई कि मृतक में से एक की पत्नी द्वारा उनकी शिकायत की जांच नहीं की गई है।