DELHI: शराब घोटाले में सिसोदिया की बढ़ेंगी मुश्किलें, CBI के बाद अब ED की होगी एंट्री, कभी भी मार सकती है रेड 

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Vivek Sharma
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DELHI: शराब घोटाले में सिसोदिया की बढ़ेंगी मुश्किलें, CBI के बाद अब ED की होगी एंट्री, कभी भी मार सकती है रेड 

Delhi. शराब घोटाले में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया(Deputy CM Manish Sisodia) की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि सीबीआई के बाद इस मामले में अब ईडी की भी एंट्री हो सकती है। जानकारी के अनुसार मनीष सिसोदिया पर जिन 3 धाराओं में केस दर्ज है, उनमें 2 धाराएं प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत आती हैं। 





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लखनऊ में भी छापेमारी





दिल्ली के डिप्टी CM मनीष सिसोदिया के घर, लखनऊ समेत 21 ठिकानों पर CBI ने 13 घंटे तक छापेमारी की। दिल्ली के डिप्टी CM से जुड़े मामले को लेकर लखनऊ में भी CBI की एक टीम में छापेमारी की। करीब 9 घंटे तक चली छापेमारी में विभूति खंड के ओमेक्स हाइट्स अपार्टमेंट के फ्लैट से कई अहम दस्तावेज CBI ने बरामद किए हैं।





सिसोदिया पर इन 3 धाराओं में FIR





सिसोदिया पर 120B, 477A और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन की धारा 7 के तहत केस दर्ज हुआ है। इनमें से IPC की धारा 120B और PC एक्ट की धारा 7 दोनों पर ED जांच में शामिल हो सकती है। ये दोनों धाराएं PMLA के तहत शेड्यूल्ड ऑफेंस में आती हैं। इस तरह के मामलों में ED फौरन कार्रवाई करती है। ED हर अपराध में PMLA के तहत एक्शन नहीं ले सकती। अगर कोई भी अपराध होता है तो उसके लिए  अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA), कंपनी एक्ट, आर्म्स एक्ट, कस्टम्स, इस तरह के अलग-अलग कानूनों के तहत कार्रवाई होती है। अगर इन धाराओं से जुड़ा कोई अपराध हुआ है तो इस तरह के मामले में ED शामिल हो सकती है।





ED के पास विशेष अधिकार





प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ (PMLA) प्रवर्तन निदेशालय को जब्‍ती, मुकदमा शुरू करने, गिरफ्तारी, जांच और तलाशी की शक्ति देता है। आरोपी व्‍यक्ति पर जिम्‍मेदारी होती है कि वह अपने को निर्दोष साबित करने के लिए सबूत दे। ED पर आरोप लगता है कि इस एक्ट के कड़े प्रावधानों, जैसे कि जमानत की कड़ी शर्तें, गिरफ्तारी के आधारों की सूचना न देना, ECIR (FIR जैसी) कॉपी दिए बिना अरेस्टिंग, मनी लॉन्ड्रिंग की व्यापक परिभाषा, जांच के दौरान आरोपी की ओर से दिए गए बयान ट्रायल में बतौर सबूत मानने आदि, का एजेंसी दुरुपयोग करती है।





ये है पूरा मामला





दिल्ली के मुख्य सचिव ने दो महीने पहले अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में GNCTD एक्ट 1991, ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट 2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 के नियमों का उल्लंघन पाया गया था। सिसोदिया पर आरोप तो ये भी लगा है कि कोरोना के बहाने लाइसेंस देने में नियमों की अनदेखी की गई। टेंडर के बाद शराब ठेकेदारों के 144 करोड़ रुपए माफ किए गए अभी के लिए इन सभी पहलुओं पर CBI की जांच जारी है।



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