आज ही के दिन उस महान डायरेक्टर का जन्मदिन है, जिसने जो किरदार रचे, वो अमर हो गए। 1917 में लाहौर में रामानंद सागर (Ramanand Sagar Birthday) का जन्म हुआ था। बंटवारे के बाद उनका परिवार कश्मीर आकर बस गया। जवानी में दहेज का विरोध किया तो घर से निकाले गए। साबुन बेची लेकिन पढ़ाई जारी रखी। आइए जानते हैं रामानंद सागर से जुड़े किस्से......
साबुन बेची लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी
जब रामानंद सागर पांच साल के थे, तब उनकी माताजी का निधन हो गया। इसके बाद उनकी नानी ने गोद लेकर चंद्रमौली से नाम बदलकर रामानन्द सागर रख दिया। जब इनका विवाह तय हुआ तो इन्होंने दहेज लेने का विरोध किया, जिसकी वजह से इन्हें घर से निकाल दिया गया। घर से निकाले जाने के बाद भी इन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। इसके लिए इन्होंने चपरासी, ट्रक क्लीनर, मुनीम और रोड में साबुन बेचने जैसे काम दिन में किए और रात में अपनी पढ़ाई पूरी की।
16 की उम्र में कविता का सम्मान मिला
16 वर्ष की उम्र में श्रीनगर के प्रताप कॉलेज ने इनकी लिखी कविता (Ramanand Sagar Poetry) को अपने मैगजीन में प्रकाशित करने के लिए चुना। पंजाब यूनिवर्सिटी ने संस्कृत में मेधावी छात्र होने के लिए उन्हें स्वर्ण पदक दिया। रामानंद संस्कृत के अलावा फारसी में भी निपुण थे।
1947 में भारत आए
बंटवारे के समय 1947 में वे भारत आ गए। उस समय उनके पास संपत्ति के रूप में महज पांच आने थे। भारत में वह फिल्म क्षेत्र से जुड़े और 1950 में खुद की प्रोडक्शन कंपनी सागर आर्ट्स बनाई। जिसकी पहली फिल्म मेहमान थी। साल 1985 में वह छोटे परदे की दुनिया में उतर गए। उनके द्वारा निर्मित सर्वाधिक लोकप्रिय धारावाहिक रामायण ने लोगों के दिलों में उनकी छवि एक आदर्श व्यक्ति के रूप में बना दी।
प्रसिद्ध सीरियल
सिनेमा में आने के बाद उन्होंने कुछ फिल्मों तथा कई टेलीविजन कार्यक्रमों और सीरियल्स का डायरेक्शन किया। उनके द्वारा बनाए गए प्रसिद्ध टीवी धारावाहिकों में विक्रम और बेताल, दादा-दादी की कहानियां, रामायण (Ramayan), कृष्णा (टीवी धारावाहिक), अलिफ लैला और जय गंगा मैया, आदि बेहद लोकप्रिय धारावाहिक शामिल हैं।
दर्द की झलक कहानियों में दिखी
रामानन्द सागर का बचपन दर्द से गुजरा था, इसी की झलक आगे चलकर उनकी कहानियों और किस्सों में नजर आई और उन्होंने 32 लघुकथाएं, 4 कहानियां, 1 उपन्यास, 2 नाटक लिखे, उस समय पंजाब के प्रसिद्ध अखबार डेली-मिलाप में संपादक के रूप मे कार्य किया।
फिल्मों के क्लैपर बॉय
फिल्मों मे उनकी शुरुआत क्लैपर बॉय के रूप में हुई थी। फिर उन्होंने पृथ्वी थिएटर्स में बतौर असिस्टेंट स्टेज मैनेजर के रूप मे काम किया, राज कपूर की फिल्म बरसात की कहानी और स्क्रीनप्ले रामानंद सागर (Ramanand Sagar screenplay) ने ही लिखी थी। 1968 मे आंखे के लिये बेस्ट डायरेक्टर का अवार्ड मिला।
रेड वाइन पीकर रामायण का आईडिया
उनके बेटे ने किताब में लिखा कि 1976 में रामानंद सागर अपने चार बेटों (सुभाष, मोती, प्रेम और आनंद) के साथ स्विट्जरलैंड में, चरस फिल्म की शूटिंग के दौरान शाम को बेटों के साथ एक कैफे में गए। यहां उन्होंने रेड वाइन पी।
स्क्रीन पर कलर फिल्म चल पड़ी। वाइन का गिलास हाथ में लेते हुए उन्होंने कहा कि मैं सिनेमा छोड़ रहा हूं… मैं टेलीविजन (इंडस्ट्री) में आ रहा हूं. मेरी जिंदगी का मिशन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम सोलह गुणों वाले श्री कृष्ण और आखिर में मां दुर्गा की कहानी लोगों के सामने लाना है। जब रामानंद सागर ने रामायण बनाने का ऐलान किया, तो लोगों का मिलाजुला रिएक्शन आया। ज्यादातर लोगों ने उनके इस फैसले की आलोचना की लेकिन वो तय कर चुके थे।
रामायण में विक्रम बेताल की कास्ट
अस्सी के दशक मे टेलीविजन की शुरुआत होने के बाद विक्रम और बैताल दिखाया गया, लेकिन टीवी पर जो टाइम स्लॉट मिला वो बड़ी मुसीबत का सबब था। तमाम दिक्कतों के बावजूद शो कामयाब रहा, इलेक्ट्रॉनिक ऐरा में विक्रम और बेताल पहला शो था, जिसमें टीवी पर स्पेशल इफेक्ट्स नजर आए थे। इसके बाद रामानंद शो बनाने को लेकर कंफर्म हो गए, विक्रम और बेताल की स्टार कास्ट को रामायण में फाइनल कर दिया। विक्रम और बेताल के राजा अरुण गोविल बने राम और कई एपिसोड्स में रानी के किरदार में नजर आई दीपिका चिखालिया सीता बन गईं। राजकुमार सुनील लाहरी को लक्ष्मण और दारा सिंह को हनुमान के रोल में कास्ट कर दिया।
रामायण के टेलीकास्ट में कई दिक्कतें आई
रामायण और महाभारत को दूरदर्शन पर लाने को लेकर सरकार श्योर नहीं थी, लेकिन DD के अधिकारियों ने कहा कि ये सीरियल हमारे आधिकारिक सांस्कृतिक महाकाव्य पर आधारित है, जिसका धार्मिक होना जरूरी नहीं, खुद वाल्मिकी ने रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का वर्णन एक इंसान के तौर पर किया है। रामायण टेलीकास्ट होना शुरू हुआ, लेकिन इसके बाद भी कई दिक्कते आईं।
रामायण पर पॉलिटिक्स भी हुई
एन एपिक लाइफ: रामानंद सागर में उनके बेटे प्रेम ने लिखा- सब कुछ ठीक लग रहा था, लेकिन दिल्ली के गलियारों से एक तूफान चला आ रहा था। कांग्रेस पार्टी में कई सत्ताधारियों को लग रहा था कि रामायण का दूरदर्शन पर प्रसारण उनके लिए नुकसानदायक हो सकता है। जाहिर है, सूचना एवं प्रसारण मंत्री बीएन गाडगिल की तरफ से एक बड़ी आपत्ति आई। उन्हें लगा कि हिंदू पौराणिक धारावाहिक हिंदू शक्ति को जन्म देगा, जिससे बीजेपी का वोट बैंक बढ़ सकता है। उन्हें डर था कि रामायण हिंदूओं में गर्व की भावना पैदा करके बीजेपी की सत्ता में आने की संभावनाएं बढ़ाएगा। दूसरी ओर, सुनने में ये आ रहा था कि प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने खुद DD के अधिकारियों सुझाव दिया है कि रामायण और महाभारत जैसे महान भारतीय महाकाव्यों का प्रसारण किया जाए क्योंकि ये महाकाव्य हमारी सांस्कृतिक विरासत थे, जिन्हें महिमामंडित करके दिखाया जाना चाहिए।
सबसे ज्यादा देखे जाने वाला सीरियल
रामायण को LIMCA BOOK OF RECORD में सबसे ज़्यादा दिन तक 25 JANUARY 1987 से JUNE 2003 तक दुनिया का सबसे ज्यादा देखे जाने वाले धार्मिक धारावाहिक के नाम के रूप में दर्ज है।
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