छत्तीसगढ़: 12 स्थानीय बोलियों में पढ़ेंगे प्राइमरी स्कूल के बच्चे, शिक्षा विभाग ने तैयार कराईं किताबें

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छत्तीसगढ़: 12 स्थानीय बोलियों में पढ़ेंगे प्राइमरी स्कूल के बच्चे, शिक्षा विभाग ने तैयार कराईं किताबें

छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में अब स्थानीय भाषा और बोली में पढ़ाई होगी। पहली से लेकर 5वीं कक्षा तक बच्चे अपने इलाके की भाषा में पढ़ाई कर सकेंगे। स्कूल शिक्षा विभाग ने अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाने वाली दंतेवाड़ा गोंड़ी, कांकेर गोंड़ी, सादरी, भतरी, हल्बी, कुडुख, और उड़िया के जानकारों से बच्चों के लिए पठन सामग्री, वर्णमाला चार्ट और रोचक कहानियों की पुस्तकें तैयार करवाकर स्कूलों में भिजवा दी हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ी, अंग्रेजी और हिन्दी में भी बच्चों के लिए पढ़ने की सामग्री स्कूलों में उपलब्ध कराई जाएंगी।

बच्चों की शुरुआती शिक्षा स्थानीय भाषा में

राज्य में अलग-अलग हिस्सों जैसे बस्तर, सरगुजा और ओडिशा से लगे सीमावर्ती इलाके के लोग दैनिक जीवन में अपनी भाषा में बात करते हैं। इसलिए बच्चों के लिए उनकी शुरुआती शिक्षा स्थानीय भाषा में होगी तो वे पढ़ाई पर अच्छी पकड़ बना पाएंगे।

हिंदी, छत्तीसगढ़ी और अंग्रेजी भी हैं शामिल

इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर धुर्वा भतरी, संबलपुरी, दोरली, कुडुख, सादरी, बैगानी, हल्बी, दंतेवाड़ा गोड़ी, कमारी, ओरिया, सरगुजिया और भुंजिया भाषा में पुस्तकें और पठन सामग्री तैयार कराई गई हैं। साथ ही हिंदी, छत्तीसगढ़ी और अंग्रेजी में भी पस्तकें दी गईं हैं। जहां लोग अपने बात-व्यवहार में उस बोली-भाषा का उपयोग करते हैं, यह पुस्तकें उन्हीं इलाके के स्कूलों में भेजी गई हैं।   

सहायक पठन सामग्री कराई उपलब्ध

एक भाषा से दूसरी भाषा सीखने के लिए विभाग ने सहायक पठन सामग्री उपलब्ध कराई है। यह बस्तर क्षेत्र, केन्द्रीय जोन में रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर और सरगुजा जोन में सभी प्राथमिक कक्षा पहली-दूसरी के बच्चों को दी जा रही है। इसमें बच्चे चित्र देखकर उनके नाम अपनी स्थानीय भाषा में लिखने का अभ्यास करेंगे।

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