नई दिल्ली. 27 अक्टूबर को पेगासस जासूसी (Pegasus Spy Case) मामले की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार (Central Govt) को झटका देते हुए मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर दिया है। कोर्ट ने इस कमेटी (Committee on Pegasus) से कहा है कि पेगासस से जुड़े आरोपों की तेजी से जांच कर रिपोर्ट सौंपे। अब 8 हफ्ते बाद फिर इस मामले में सुनवाई की जाएगी। अदालत ने कहा कि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार का कोई साफ स्टैंड नहीं था। निजता (Privacy) के उल्लंघन की जांच होनी चहिए।
विदेश एजेंसी का शामिल होना चिंता का विषय
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के नागरिकों की निगरानी में विदेशी एजेंसी की संलिप्तता एक गंभीर चिंता का विषय है। सुनवाई में CJI एनवी रमना ने कहा कि हमने लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के हनन से बचाने से कभी परहेज नहीं किया। निजता केवल पत्रकारों और नेताओं के लिए नहीं, बल्कि ये आम लोगों का भी अधिकार है। याचिकाओं में इस बात पर चिंता जताई है कि प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है ? जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है, उनमें संतुलन भी जरूरी है। तकनीक पर आपत्ति सबूतों के आधार पर होनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को उनकी निजता के अधिकार के उल्लंघन से बचाया जाना चाहिए। पेगासस जासूसी का आरोप प्रकृति में बड़े प्रभाव वाला है। अदालत को सच्चाई का पता लगाना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह आदेश जारी किया। इस बेंच में मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना (N. V. Ramana), जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली शामिल थे। वहीं, पेगासस जासूसी कांड की जांच को लेकर 12 याचिकाएं दायर की गई थी।
कमेटी के तकनीकी सदस्यों के बारे में जानिए
- डॉ नवीन कुमार चौधरी (डीन, नेशनल फोरेंसिक साइंस कमिटी, गांधीनगर)