सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए मंगलवार को कैदियों की सजा कम करने को लेकर टिप्पणी की। कोर्ट की बेंच ने कहा कि राज्य सरकारों के पास उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को 14 साल की सजा काटने के बाद रिहा करने का अधिकार है। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि अगर राज्यपाल चाहें तो 14 साल से पहले भी कैदी को रिहा किया जा सकता है।
कोर्ट की बेंच का फैसला
न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार के पास आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत अधिकतम सजा के रूप में मौत की सजा निर्धारित करने वाले अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने के मामलों में 14 साल की जेल की सजा काटने के बाद कैदी को रिहा करने का अधिकार है।
राज्यपाल को सजा कम करने का अधिकार
कोर्ट ने कहा कि अगर कैदी ने अगर 14 साल की कैद पूरी नहीं की है तो राज्यपाल के पास संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत क्षमा, राहत, सजा की छूट या सहायता, सजा को निलंबित करने, हटाने या कम करने की शक्ति है।