भोपाल. मप्र के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई बंद कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि अध्यादेश खत्म हो गया है और चुनाव रद्द हो गए हैं, इसलिए इस संदर्भ में दाखिल याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि जब भी चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनाव कराए तो वो आरक्षण देने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए ट्रिपल टेस्ट का पालन करे।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने ये कहा : मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव (mp panchayat election) में ओबीसी आरक्षण ट्रिपल टेस्ट के आधार पर होगा। इसका आदेश सुप्रीम कोर्ट (supreme court on panchayat election) ने दिया है। 19 जनवरी को सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट नियम (tripple test rules) से ही आरक्षण तय किया जाए। मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के अन्य राज्य भी इसका पालन करें। इस आदेश के साथ ही कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार की पुनर्विचार याचिका का निराकरण कर दिया है। शिवराज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया था, उसे वापस ले लिया गया है।
कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिए : जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर को पंचायत चुनावों में ओबीसी के लिए रिजर्व पदों पर चुनाव कराने से रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ मध्य प्रदेश सरकार ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी। प्रदेश सरकार को देश की सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिलने की उम्मीद थी, इसके लिए उसने तैयारी भी कर रखी थी। हालांकि कोर्ट ने अब इस मामले में चुनाव आयोग को निर्देश देते हुए सुनवाई बंद कर दी है।
ये होता है ट्रिपल टेस्ट: राज्य में लोकल बॉडी में पिछड़ेपन की जांच के लिए एक आयोग की स्थापना हो। ये आयोग बताएगा कि लोकल बॉडी में आरक्षण का अनुपात क्या रहेगा। इससे कम ज्यादा का भ्रम नहीं होगा। किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण SC/ST/OBC वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।