SC ने MP पंचायत चुनाव के मामले में कहा- सीटें खाली पड़ीं, ये संवैधानिक विफलता है

author-image
Shivasheesh Tiwari
एडिट
New Update
SC ने MP पंचायत चुनाव के मामले में कहा- सीटें खाली पड़ीं, ये संवैधानिक विफलता है

Bhopal. मध्यप्रदेश के पंचायत चुनाव से संबंधित मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। शीर्ष न्यायालय अब 10 मई को अपना निर्णय देगी। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय का फैसला यह तय करेगा कि पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण दिया जाएगा या नहीं? उच्चतम न्यायालय उस मामले की सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने मध्य प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों को फिर से सामान्य श्रेणी में अधिसूचित करने का निर्देश दिया था।





सरकार पर की तल्ख टिप्पणी





तुषार मेहता ने कहा कि आयोग ने पूरे राज्य में 35 फीसदी ओबीसी आरक्षण दिए जाने की सिफारिश की है। सुनवाई ने दौरान कोर्ट ने सवाल किया कि क्या वाकई एक हफ्ते के अंदर आरक्षण दिए जाने से पहले जरूरी ट्रिपल टेस्ट की कवायद को पूरा कर लिया जाएगा। कोर्ट ने सरकार के रवैये पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि कब तक इंतजार किया जाए। कायदे से पांच साल में चुनाव हो जाने चाहिए। आप दो साल पहले से लेट हैं। ये संवैधानिक विफलता ही है कि 24 हजार से ज़्यादा स्थानीय निकाय की सीट खाली पड़ी है। केंद्र ने अपने आवेदन में न्यायालय से पिछले साल 17 दिसंबर के उस आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है, जिसमें मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग को स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने और फिर से सामान्य वर्ग के तहत अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया है।





सरकार ने कोर्ट से समय मांगा





सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरक्षण देने से पहले ट्रिपल टेस्ट की कसौटी को 1 हफ्ते में पूरा कर लेंगे। उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग ने जो रिपोर्ट सौंपी है, उसके मुताबिक 49 फीसदी आबादी ओबीसी है। ऐसा नहीं होना चाहिए कि इतनी बड़ी आबादी स्थानीय निकाय में प्रतिनिधित्व से वंचित रह जाए, लिहाजा कोर्ट थोड़ा वक़्त और दे।





निर्देश का पालन करने की जरूरत





न्यायालय ने अपने 17 दिसंबर के आदेश में संविधान पीठ के 2010 के फैसले का उल्लेख किया, जिसमें राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के लिए आवश्यक पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ पर सख्ती से विचार करने के लिए एक विशेष आयोग की स्थापना सहित तीन स्थिति का उल्लेख किया गया था। ओबीसी श्रेणी के लिए ऐसा आरक्षण का प्रावधान करने से पहले इस निर्देश का पालन करने की जरूरत है। उच्चतम न्यायालय ने तब कहा था कि उसने 15 दिसंबर को एक आदेश पारित किया था, जिसमें राज्य निर्वाचन आयोग को महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय में उन सीटों को सामान्य श्रेणी के रूप में अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया था जो ओबीसी के लिए आरक्षित थीं।



 



सुप्रीम कोर्ट Madhya Pradesh पिछड़ा वर्ग State Election Commission Backward Classes Reservation पंचायत चुनाव सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता Panchayat elections Supreme Court Solicitor General Tushar Mehta राज्य निर्वाचन आयोग ओबीसी मध्यप्रदेश OBC आरक्षण