दिल्ली. पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) की रविवार को 132वीं जयंती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने नेहरू को श्रद्धांजलि (Tribute) दी। मोदी ने ट्वीट के जरिए प्रथम प्रधानमंत्री को याद किया। उन्होंने लिखा ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को उनकी जयंती पर नमन।’ पंडित नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में उत्तर प्रदेश के अब इलाहबाद में हुआ। उन्होंने 27 मई 1964 को नई दिल्ली में अंतिम सांस ली थी। आजादी के बाद उन्होंने करीब 17 वर्षों तक देश की कमान संभाली।
सोनिया गांधी पहुंची शांतिवन
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) ने शांतिवन पहुंचकर पंडित नेहरू को पुष्पांजलि दी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने नेहरू के कथन ‘हमें जो चाहिए, वह शांति की पीढ़ि’ के साथ प्रथम प्रधानमंत्री को याद किया। प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने ट्वीट किया- ‘भारत भूमि में फैले सारे भारतवासी ही सबसे ज्यादा मायने रखते हैं। भारत माता यही करोड़ों-करोड़ जनता है और भारत माता की जय उसकी भूमि पर रहने वाले इन सबकी जय है।’ पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत माता की जय में किसानों की जय है। जवानों की जय, श्रमिकों की जय है।’
नेहरू का जीवन यात्रा
पंडित नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (Allahabad) में हुआ था। पंडित नेहरू को बच्चों से अधिक लगाव था। इसलिए उन्हें बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहकर बुलाते थे। पंडित नेहरू की जयंती को बाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। साल 1964 में पंडित नेहरू के निधन के बाद उनकी जयंती के दिन ही बाल दिवस मनाया जाने लगा। पंडित नेहरू वर्ष 1947 में देश की आजादी के बाद पहले प्रधानमंत्री बने थे। वे साल 1964 में अपनी मृत्यु तक पीएम पद पर काबिज रहे।
बता दें कि बच्चों के चाचा नेहरू और देश के पहले प्रधानमंत्री को अल्मोड़ा जिला कभी नहीं भूल सकता है। उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत से संघर्ष करते 317 दिन अल्मोड़ा जेल में बिताए। यहां रहकर उन्होंने अपनी चर्चित पुस्तक भारत एक खोज के महत्वपूर्ण अंश लिखे। आज भी अल्मोड़ा जेल के उस कमरे में प. नेहरू की यादें बसी हुई हैं।
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री प. जवाहर लाल नेहरू ने गोरी हुकूमत से लड़ाई करते हुए अपने जीवन के महत्वपूर्ण 3259 महत्वपूर्ण दिन अंग्रेजों की हिरासत में भारतीय जेलों में गुजारे। वह कुल मिलाकर लगभग नौ साल देश के विभिन्न जेलों में रहे। अल्मोड़ा भी इसी जेल यात्रा का एक पड़ाव था। सविनय अवज्ञा आंदोलन के बाद पूरे देश में गोरों के खिलाफ बिगुल फूंका। उसी के बाद नेहरू को भी कारावास झेलना पड़ा। उन्हें पहली बार बीमारी के बाद बरेली जेल से अल्मोड़ा जेल में शिफ्ट किया गया।