चेन्नई. हिजाब (Hijab) से जुड़े बढ़ते विवाद को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने देश में धार्मिक असौहार्द्र पैदा करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर 10 फरवरी को गंभीर चिंता प्रकट की और हैरानी जताते हुए कहा कि क्या सर्वोपरि है-‘राष्ट्र या धर्म? (Nation or Religion)। 'कर्नाटक में हिजाब से जुड़े विवाद को लेकर छिड़ी बहस पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम.एन. भंडारी और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती की प्रथम पीठ ने कहा कि कुछ ताकतों ने ‘ड्रेस कोड' को लेकर विवाद उत्पन्न किया है और यह पूरे भारत में फैल रहा है।
देश को बांटने की कोशिश : पीठ ने कहा कि यह सचमुच में स्तब्ध करने वाला है, कोई व्यक्ति हिजाब के पक्ष में है, कुछ अन्य टोपी के पक्ष में हैं और कुछ अन्य दूसरी चीजों के पक्ष में हैं। यह एक देश है या यह धर्म या इस तरह की कुछ चीज के आधार पर बंटा हुआ है। यह आश्चर्य की बात है। न्यायमूर्ति भंडारी ने भारत के पंथनिरपेक्ष देश होने का जिक्र करते हुए कहा, मौजूदा विवाद से कुछ नहीं मिलने जा रहा है लेकिन धर्म के नाम पर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणियां कीं।
यह है विवाद : गौरतलब है कि जनवरी की शुरुआत से कर्नाटक में उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स प्री-यूनिवर्सिटी (पीयू) कॉलेज में हिजाब और कपड़ों को लेकर विवाद चल रहा है। वहां, कॉलेज की छह छात्राओं ने कक्षाओं में ड्रेस कोड का उल्लंघन करते हुए हेडस्कार्फ़ पहनकर कक्षाओं में भाग लिया था। हालांकि, कॉलेज ने परिसर में हिजाब की अनुमति दी थी लेकिन कक्षाओं के अंदर नहीं। छात्राओं ने निर्देशों का विरोध किया।