I.N.D.I.A में सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन, फैसला राज्य के नेताओं पर, मिलेगी अहम जिम्मेदारी, कुछ राज्यों में फंस सकता है पेंच?

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Pratibha Rana
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I.N.D.I.A में सीटों के बंटवारे को लेकर मंथन, फैसला राज्य के नेताओं पर, मिलेगी अहम जिम्मेदारी, कुछ राज्यों में फंस सकता है पेंच?

New Delhi. लोकसभा चुनाव-2024 को लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है। चाहे सत्तापक्ष हो या विपक्ष, दोनों चुनावों को लेकर रणनीति बनाने में चुटे हैं। इस बीच एनडीए को हराने के लिए बने विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A की पहली समन्वय समिति की बैठक में अहम रणनीति बनाने के साथ टिकटों के बंटवारे को लेकर चर्चा की गई। राकांपा प्रमुख शरद पवार के आवास पर जुटे विपक्षी नेताओं ने बैठक में कई बड़े निर्णय लिए हैं। इसमें सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकालना को लेकर विशेष चर्चा हुई। बैठक में फैसला लिया गया कि सीट बंटवारा राज्य स्तर के नेताओं पर छोड़ा जाएगा। इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। जरूरत पड़ी तो चर्चा के बाद सीटों पर मुहर लगाई जाएगी।

अक्टूबर तक की डेडलाइन तय की

बुधवार (13 सितंबर) को हुई बैठक में काफी देर तक हुई चर्चा के बाद गठबंधन के सदस्यों ने फैसला लिया कि सीट बंटवारे के मुद्दे पर राज्य स्तर के नेता ध्यान देंगे, जिसे अक्टूबर के अंत तक पूरा करना होगा। सूत्र ने कहा कि इस मामले को अंतिम रूप राष्ट्रीय स्तर पर दिया जा सकता है।

बैठक में कई नेता नहीं आए, सोरेन बोले- हर बीमारी का इलाज है...

भोपाल की रैली में क्या संदेश जाएगा का मामला उठने पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि इंतजार करें, उस दिन का संदेश उस दिन ही पता चलेगा। कुछ लोगों की बैठक में नहीं आने पर सोरेन ने कहा कि एलायंस ने इस बात को संज्ञान में लिया है और इस पर विमर्श भी हुआ है। हर समस्या का समाधान है। सभी बीमारियों का इलाज है। ममता बनर्जी के न आने पर उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी के समूह के लोग आएंगे तो उनकी बातें भी सुलझ जाएंगी।

फंस सकता है पेंच : सीटें खाली करने को कई पार्टियां तैयार नहीं

सीट बंटवारे पर बातचीत कई राज्यों में बहुत जटिल होने वाली है, क्योंकि जहां सीटें पहले से ही इंडिया गठबंधन के विभिन्न दलों के पास हैं, वहां की पार्टियां उन सीटों को खाली करने के लिए तैयार नहीं होंगी। सीट बंटवारे की प्रक्रिया इस कारण ज्यादा समय भी लग सकता है। ऐसे में पूरे आसार हैं कि विरोध और नाराजगी भी सामने आएगी।

उदयनिधि स्टालिन के सनातन वाले बयान कई नेताओं की आपत्ति

सीट बंटवारे के अलावा समन्वय समिति ने महंगाई, बेरोजगारी और भाजपा के भ्रष्टाचार पर भी चर्चा की। इस बीच, कुछ नेताओं ने सनातन धर्म पर डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की टिप्पणी का भी जिक्र किया और पार्टी से ऐसी टिप्पणियां करने से परहेज करने को कहा। नेताओं ने इस मुद्दे से कई राज्यों में गलत प्रभाव पड़ने की भी बात कही और भाजपा द्वारा इसका इस्तेमाल करने की भी बात कही। ऐसे में ऐसे कोई बयान ना दिए जाएं, जो चुनाव के दौरान गठबंधन को प्रभावित करे।

जीतने के प्रत्याशी उतारेंगे सहयोगी दल

सूत्रों ने बताया कि बैठक में यह कहा गया है कि झारखंड में झामुमो की अग्रणी भूमिका रहेगी। सहयोगी दल भी उन्हीं सीटों पर प्रत्याशी देगा, जिसमें जीत की संभावना ज्यादा होगी यानी ‘इंडिया’ गठबंधन जीतने के लिए ही प्रत्याशी देगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर झामुमो और गठबंधन के अन्य दलों के साथ बात होगी। तब सीटों की शेयरिंग को अंतिम रूप दिया जाएगा। यह भी कहा गया कि झारखंड के अलावा बंगाल, ओड़िशा और बिहार की कुछ सीटों पर झामुमो का प्रभाव है। वहां भी झामुमो सहयोगी दलों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

बैठक में ये नेता रहे मौजूद

समन्वय समिति की बैठक में कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल, राजद नेता तेजस्वी यादव, लल्लन सिंह की जगह जदयू के संजय झा, सीपीआई के डी. राजा, डीएमके के टी.आर. बालू, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत, समाजवादी पार्टी के जावेद अली, आप के राघव चड्ढा, जेएमएम के हेमंत सोरेन और एनसी के उमर अब्दुल्ला समेत कई नेता शामिल थे।

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