MUMBAI. एक ओर लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र की शिंदे सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इसकी बड़ी वजह है शिंदे गुट के वो विधायक जो, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना चुके हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता और पार्टी के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु से अविभाजित शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने से संबंधित एक मामले में मंगलवार (21 नवंबर) को सवाल-जवाब किया गया। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने यह सुनवाई की। 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में चुनाव लड़ने और याचिका में शिंदे गुट और बीजेपी पर लगाए गए आरोपों के बारे में सुनवाई हुई। अब 22 नवंबर से 24 नवंबर तक रोजाना सुनवाई होगी। इसके बाद 28 नवंबर से 3 दिसंबर तक लगातार सात दिन राष्ट्रपति के सामने सुनवाई होगी। इसके बाद फैसला आएगा। अगर विधायक अयोग्य घोषित किए जाते हैं तो सरकार पर संकट बढ़ जाएगा और फिर उपचुनाव होंगे।
शिंदे गुट के वकील ने उद्धव के नेता को घेरा...
मंगलवार (21 नवंबर) को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने कई मुद्दों पर उद्धव गुट के सुनील प्रभु को घेरने की कोशिश की। हालांकि जेठमलानी ने प्रभु से पूछा कि याचिका में बीजेपी पर लगाए गए आरोपों का जिक्र 18 नवंबर 2023 के हलफनामे में क्यों नहीं किया गया?
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को क्यों लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग संबंधी उद्धव ठाकरे धड़े की अर्जियों पर निर्णय लेने में देरी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को आड़े हाथ लिया था। कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष उसके आदेशों को निष्फल नहीं कर सकते। ऐसे ही आवेदन शिंदे धड़े के विधायकों ने भी ठाकरे गुट के विधायकों के खिलाफ दाखिल करवाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले माह महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को बागी शिवसेना विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के संबंध में 31 दिसंबर तक फैसला देने का निर्देश दिया था।
सुनील प्रभु ने उठाई मांग : बयान मराठी में दर्ज किया जाए
राज्य विधानमंडल में सुनवाई के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए शिवसेना (उद्धव गुट) के विधान परिषद सदस्य अनिल परब ने कहा कि बुधवार को भी यह सवाल-जवाब जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि सुनील प्रभु से जिरह की गई। उन्होंने सभी सवालों के जवाब दिए। प्रभु ने मांग की थी कि उनका बयान मराठी में दर्ज किया जाए। इससे पहले उन्होंने आरोप लगाया था कि ऐसा किया जाना ठीक नहीं है। परब ने कहा कि हमने महसूस किया कि कई सवालों की जरूरत ही नहीं थी और यह देरी करने की तरकीब है। उन्हें 31 दिसंबर तक फैसला देना है। ऐसी संभावना है कि वे और समय मांग सकते हैं, लेकिन हम वह देना नहीं चाहते।
विधानसभा अध्यक्ष की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग संबंधी उद्धव ठाकरे धड़े की अर्जियों पर निर्णय लेने में देरी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष को आड़े हाथ लिया था। कहा गया था कि विधानसभा अध्यक्ष उसके आदेशों को निष्फल नहीं कर सकते। ऐसे ही आवेदन शिंदे धड़े के विधायकों ने भी ठाकरे गुट के विधायकों के खिलाफ दाखिल करवाए थे।
शिंदे धड़े ने जून 2022 में बीजेपी से मिलाया था हाथ
18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को शिंदे और उनके समर्थक विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी आवेदनों पर निर्णय लेने के वास्ते समय सीमा बताने को कहा था। शिंदे धड़े ने जून 2022 में नई सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था। इसके बाद माममा कोर्ट में भी पहुंचा था।