DELHI. नोएडा में सेक्टर 93A में बने 32 मंजिला और 103 मीटर ऊंचाई वाले ट्विन टॉवर को आज यानी 28 अगस्त को गिराया जाएगा। ट्विन टावर को ढहने में अब कुछ घंटों का ही वक्त बचा है। दोपहर ढाई बजे एक बटन दबते ही तेज धमाके का साथ दोनों इमारतें धराशायी हो जाएंगी। देश में अब तक का ये संभवत: सबसे बड़ा धमाका होगा। लगभग 3700 kg बारूद के इस्तेमाल से होने वाले इस धमाके में ये दो ऊंची इमारतें महज 12 सेकेंड में ही जमींदोज हो जाएंगी। लेकिन ये धमाका सिर्फ इन दो बिल्डिंग को नहीं गिराएगा, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी एक बड़ा प्रहार होगा। ट्विन टावर्स से महज 9 मीटर दूरी पर हाउसिंग सोसाइटी है, जिसमें 660 परिवार रहते हैं।
कंट्रोल रूम के निर्देश पर होगा धमाका
ट्विन टावर सही तरीके से ध्वस्त हो जाए, इसके लिए नोएडा प्रशासन ने कंट्रोल रूम बनाया है। इस नियंत्रण कक्ष में प्रशासन के साथ-साथ आपदा प्रबंधन की टीम मौजूद रहेगी। अस्पतालों से संपर्क बनाए रखा जाएगा। इतना ही नहीं अस्पतालों को पहले ही तैयार रहने का अलर्ट जारी कर दिया गया है। धमाके का पूरा काम कंट्रोल रूम से संचालित होगा।
धमाके की वजह से जो धूल और धुंऐ का गुबार पैदा होगा, उससे कई लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आने का अंदेशा है। ऐसे में सेक्टर 128 के जेपी हॉस्पिटल में 12 ICU और 8 इमरजेंसी बेड तैयार रखे गए हैं। एंबुलेंस को तैयार रहने के लिए कहा गया है। वहीं धमाके में किसी भी तरह की अनहोनी के लिए भी अस्पतालों को अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। इतना ही अस्पतालों को संडे के बावजूद पर्याप्त स्टाफ की मौजूदगी, ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
बिल्डिंग गिराने से संबंधित प्रमुख तारीखें
31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए सुपरटेक के दोनों टावरों को 30 नवंबर 2021 तक गिराने का आदेश दिया था। तय समय में इमारत के गिराने का काम पूरा नहीं हुआ तो सुप्रीम कोर्ट ने अपील के बाद 22 मई 2022 की नई तारीख दी। एजेंसी एडिफिस को इमारत गिराने का काम सौंपा गया। एजेंसी के इंजीनियरों ने 20 फरवरी को साइट को कब्जे में लिया। पार्टनर की कंपनी जेट डिमोलिशन है। 10 अप्रैल को टेस्ट ब्लास्ट किया गया, ताकि बिल्डिंग की मजबूती का पता लगाया जा सके। 22 मई तक काम पूरे नहीं होने पर आखिरकार 21 अगस्त को टावर गिराने का निर्णय लिया गया। विस्फोटक करने की अनुमति नहीं मिलने पर एक बार फिर तिथि आगे बढ़ी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 4 सितंबर तक बिल्डिंग हरहाल में गिरा दीं जाएं और आज ट्विन टावर गिरा दिए जाएंगे।
तीन महीने में हटेगा मलवा
करीब 5 हजार स्थानीय निवासियों को आज सुबह सात बजे अपने-अपने घरों को खाली करने का आदेश दिया गया है। निवासियों को करीब 2700 वाहनों और पालतू जानवरों को भी अपने साथ ले जाना होगा। ट्विन टावर के करीब 500 मीटर के दायरे में किसी भी व्यक्ति या जानवर को जाने की अनुमति नहीं है। दोनों टावर को गिराने के लिए 3700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक ट्विन टावर को गिराने से 55 से 85 हजार टन मलबा निकलेगा, जिसे हटाने में कम से कम तीन महीने का समय लगेगा।
इलाके में सब कुछ रहेगा बंद
आस-पास के दुकानदारों को कहा गया है कि वह शाम तक जगह खाली कर दें। सुबह सात बजे उनके लिए आखिरी मौका होगा। उस दौरान गेझा बाजार पूरी तरह से बंद हो जाएगा। चाहे वेंडर जोन हो या फिर बाजार, सब पूरी तरह से बंद रहेगा। शाम में क्लीयरेंस मिलने के बाद ही बाजार खुल पाएंगे। एटीएस और एमराल्ड कोर्ट में 50-50 मजदूर सफाई का काम करेंगे। धूल की सफाई के लिए 50 अन्य कर्मियों के अलावा चार मेकेनिकल स्वीपिंग मशीनों का इस्तेमाल होगा।
यह है पूरा मामला
सुपरटेक बिल्डर को सेक्टर-93ए में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ, जिसमें 14 टावर का नक्शा पास हुआ। इसके बाद योजना में तीन बार संशोधन हुआ और दो नए टावर की मंजूरी दे दी गई। साल 2009 में दोनों टावर का निर्माण शुरू हुआ तो एमरॉल्ड कोर्ट सोसाइटी में रह रहे लोगों ने सुपरटेक बिल्डर और नोएडा प्राधिकरण के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई। नए नक्शे पास करने के बारे में जानकारी मांगी गई तो प्राधिकरण ने देने से इनकार कर दिया। इसके बाद सोसाइटी की एओए ने दिसंबर 2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया। न्यायालय में दायर याचिका में कहा गया कि नियम का उल्लंघन कर ट्विन टावर के बीच की दूरी 16 मीटर के बजाए नौ मीटर रखी गई। अन्य नियम भी तोड़े गए। न्यायालय से फटकार के बाद प्राधिकरण ने नक्शा दिया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने डेढ़ साल की सुनवाई के बाद 11 अप्रैल 2014 में विवादित ट्विन टावर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। सुपरटेक बिल्डर ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को बिल्डिंग गिराने का आदेश दिया।