कानपुर. यहां के इत्र कारोबारी पीयूष जैन के ठिकानों पर बुधवार यानी 23 दिसंबर से छापेमार कार्रवाई (Raid) चल रही है। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) ने रेड को अंजाम दिया है। 24 दिसंबर देर रात तक 179 करोड़ से ज्यादा का कैश (Cash) गिना जा चुका था। नोट गिनने के लिए 30 से ज्यादा कर्मचारी, 17 मशीनें लगाई गईं। अभी तक गिनी जा चुकी रकम स्टील के 80 बक्सों (Box) में भरकर SBI की मुख्य शाखा में भिजवाई गई। वहीं, पीयूष के कन्नौज स्थित मकान से 1 करोड़ से ज्यादा के जेवर मिले। कन्नौज में भी कारोबारी पीयूष के घर 24 दिसंबर देर रात भी DGGI की छापेमारी जारी रही। चाबियां न मिलने पर हथौड़ों से अलमारियां तोड़ी गईं। यहां से 4 करोड़ और एक करोड़ के जेवर भी टीम को मिले हैं। टीम ने डुप्लीकेट चाबी बनाने वाले पिता-बेटे को भी बुलवाया था। पीयूष के आनंदपुरी स्थित घर की दीवारों से भी नोटों के बंडल (Notes in Walls) मिले। बुधवार को जब कार्रवाई शुरू हुई तो अफसरों को कई अलमारियां मिली थीं, जो बंद थीं।
दीवारों से निकले नोटों के बंडल
पीयूष से कई बार अफसरों ने संपर्क (Contact) किया, लेकिन बात नहीं हो पाई। फिर दूसरे दिन अफसरों ने दूसरी चाबियों (Keys) से ताले खोले। इनमें भारी मात्रा में कैश मिला। इनकी गिनती 24 दिसंबर को चल को हुई। जांच के दौरान अधिकारियों को घर की कुछ दीवारें अन्य दीवारों से अलग लगीं। अधिकारियों ने दीवार को ठोंका तो खोखली लगी। दीवारों को तोड़ा गया तो अंदर से नोटों के बंडल गिरने लगे। ये बंडल पॉलिथीन और कागज में पैक थे। ये बंडल पांच सौ और सौ के नोटों के हैं।
कई अन्य कारोबारी सकते में
शहर में छापे के बाद अन्य कारोबारियों में हड़कंप मच गया। कई कारोबारियों ने कारखाने बंद कर माल को इधर-उधर छिपाया तो कई ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। कारोबारी एक-दूसरे को फोन कर टीम की लोकेशन और गतिविधियों की जानकारी लेते रहे।
27 सदस्यीय टीम की कार्रवाई
छापा मारने वाली 27 सदस्यीय टीम ने बड़े ही खुफिया तरीके से कार्रवाई की। टीम के सदस्यों के पास बगैर नंबर की बाइकें थीं। चर्चा है कि टीम के कुछ सदस्य करीब 10 दिन से दोनों कर्मचारियों के आवासों, कारखानों और प्रतिष्ठानों के आसपास चक्कर लगाकर अहम जानकारी जुटा रहे थे।
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