NEW DELHI. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया चर्चा में हैं। चर्चा की वजह है 19 अगस्त को उनके 20 ठिकानों पर सीबीआई का छापा। रेड के अगले दिन यानी 20 अगस्त को केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सिसोदिया पर तंज कसा। ठाकुर ने सिसोदिया को एक नया नाम दिया। उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के नाम की स्पेलिंग अब M O N E Y SHH हो गई है।
अनुराग ठाकुर ने ये भी सवाल किया कि अगर शराब नीति ठीक थी तो आपने (मनीष सिसोदिया) वह वापस क्यों ली? आप की हालत ऐसी थी कि अगर चोर को दाढ़ी में तिनका दिखा, तो उसने बचने के लिए दाढ़ी ही मुंडवा ली। बिल्कुल इसी तरह मनीष सिसोदिया और अरविंद केजरीवाल को जब शराब नीति में भ्रष्टाचार दिखा, तो शराब नीति (Excise Policy) वापस ले ली। अगर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को रिटेल में शराब बेचने की अनुमति नहीं थी, तो इस नीति के तहत उन्हें अनुमति क्यों दी गई?
सिसोदिया बोले- मुझे गिरफ्तार कर लेंगे
मनीष सिसोदिया ने 20 अगस्त को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- दिल्ली की एक्साइज स्कीम सबसे अच्छी स्कीम है। देश में यह एक उदाहरण बन सकती है। कल मेरे यहां CBI का छापा पड़ा था। सभी अफसरों का बर्ताव अच्छा था। उनसे मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई। दो से चार दिन में मुझे गिरफ्तार कर लेंगे।
कुछ समय से प्रवर्तन निदेशालय यानी ED के छापे चर्चा में हैं। आखिर CBI और ED हैं क्या? ये दोनों एजेंसियां किन मामलों की जांच करती हैं? दोनों का अधिकार क्षेत्र क्या है? दोनों किन कानूनों के तहत कार्रवाई करती हैं? जानें…
ED क्या है?
ED की नींव 1 मई 1956 को पड़ी, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम 1947 (FERA '47) के तहत वित्त मंत्रालय में एक प्रवर्तन इकाई का गठन किया गया। ये इकाई विदेशी विनिमय नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन से जुड़े मामले देखती थी। दिल्ली में हेडक्वॉर्टर के साथ ही मुंबई और कोलकाता में भी इसकी ब्रांच थी।
1957 में प्रवर्तन इकाई का नाम बदलकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर दिया गया। तत्कालीन मद्रास में इसकी नई ब्रांच खुली। 1960 में ईडी का प्रशासनिक नियंत्रण आर्थिक मामलों के विभाग से राजस्व विभाग के पास आ गया। 1991 में जब आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई तो FERA कानून को निरस्त कर दिया गया। 1 जून 2000 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम 1999 (फेमा) ने इसकी जगह ली। 2002 में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 (PMLA) आया। एक जुलाई 2005 से ईडी को इस कानून को लागू करने का काम मिला।
आर्थिक अपराध करके विदेश भाग जाने के बढ़ते मामलों को देखते हुए 2018 में सरकार फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर एक्ट 2018 (FEOA) लेकर आई। 21 अप्रैल 2018 से ईडी को इस कानून के तरह कार्रवाई करने का भी अधिकार मिला।
PMLA क्या है?
यह आपराधिक कानून मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए और मनी लॉन्ड्रिंग से अर्जित संपत्ति को जब्त करने के लिए लाया गया है। ईडी को पीएमएलए के प्रावधानों को लागू करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए उसे जांच करने, संपत्ति को अटैच करने और आरोपियों के खिलाफ केस चलाने और विशेष अदालत के आदेश से संपत्ति जब्त करने का अधिकार है।
क्या है मनी लॉन्ड्रिंग?
सामान्य भाषा में कहें तो गैर-कानूनी तरीकों से बड़ी मात्रा में धन अर्जित करने और उसे फाइनेंशियल सिस्टम में डालने को मनी लॉन्ड्रिंग कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, गैर-कानूनी तरीके से कमाई गई ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदलने की प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं। इन तरीकों से ही कई बिजनेसमैन, भ्रष्ट अधिकारी, माफिया, नेता करोड़ों से लेकर अरबों रुपए तक के फ्रॉड करते हैं।
PMLA के तहत अब तक कितनों में हुई सजा?
एक जुलाई 2005 को लागू होने के बाद से 31 मार्च 2022 तक PMLA के तहत ईडी में 5,422 केस दर्ज हो चुके हैं। इनमें से सिर्फ 25 लोगों को दोषी ठहराया गया है। यानी कुल दर्ज केसों के मुकाबले दोषी ठहराए जाने वाले लोगों की संख्या महज 0.46% है।
CBI क्या है?
सीबीआई, कार्मिक विभाग, कार्मिक पेंशन तथा लोक शिकायत मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन काम करने वाली एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह एक नोडल पुलिस एजेंसी भी है, जो इंटरपोल की मेंबर कंट्रीज के अन्वेषण का समन्वयन करती है।
ED और CBI में की जांच में ये अंतर?
ईडी एक भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करती है। वहीं, सीबीआई एक बहु-अनुशासनात्मक केंद्रीय पुलिस, क्षमता, विश्वसनीयता और कानून का पालन करते हुए जांच करने वाली एक एजेंसी है। ED की तरह CBI भारत में कहीं भी अपराधों की जांच कर सकती है। ED को जांच के लिए राज्य की परमीशन की जरूरत नहीं होती, जबकि CBI को होती है।
ब्रिटिश शासनकाल में भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच के लिए 1941 में विशेष पुलिस की स्थापना (स्पेशल पुलिस एस्टैबलिशमेंट-SPE) हुई थी। 1946 में इसकी जगह दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment-DPSE Act) ने ले ली। 1963 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना का नाम बदलकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) कर दिया गया। हालांकि, आज भी सीबीआई का कार्यक्षेत्र 1946 में बने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना कानून से ही निर्धारित होता है।
CBI इन मामलों की जांच करती है?
यह एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधी जांच एजेंसी के रूप में शुरू हुई। समय बीतने के साथ इसने पारंपरिक अपराध और अन्य विशिष्ट मामलों की जांच के शुरू की। 1980 के दशक की शुरुआत से कोर्ट ने भी खोजबीन और जांच के लिए सीबीआई को केस भेजने शुरू कर दिए थे।