वोटर ID आधार से लिंक होगा: बिल पास, ये फायदे होंगे, किन बातों पर कांग्रेस का विरोध, जानें

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वोटर ID आधार से लिंक होगा: बिल पास, ये फायदे होंगे, किन बातों पर कांग्रेस का विरोध, जानें

केंद्र सरकार ने चुनाव सुधार (Election Reform) से जुड़ा एक महत्वपूर्ण विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास करा लिया है। 'चुनाव अधिनियम संशोधन विधेयक 2021' (Election Act Amendment Bill 2021) राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सिग्नेचर के बाद कानून का रूप लेगा। इसके तहत मतदाताओं के वोटर ID कार्ड्स को उनके आधार कार्ड से जोड़ने का प्रावधान शामिल किया है। इसके अलावा 18 वर्ष से ऊपर आयु के लोगों को वोटर के तौर पर जुड़ने के लिए अब एक साल में 4 बार मौका मिलेगा। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) का कहना है कि आधार और वोटर कार्ड को लिंक (Aadhar card and voter id link) करने से फर्जी वोटर्स पर लगाम लगेगी। लेकिन विपक्षी दलों ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए नए कानून को लोकतंत्र और लोगों की निजता (Rght To Privacy) के खिलाफ बताया है। आइए आपको बताते हैं कि आखिर केंद्र ने आधार कार्ड को वोटर ID से लिंक करने का फैसला क्यों लिया है ?

आधार को वोटर ID से लिंक करने का फैसला क्यों

बता दें कि पिछले साल चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय (Ministry of Law and Justice) को मतदाता सूची को आधार नंबर से जोड़ने का प्रस्ताव दिया था। इस बारे में कानून मंत्री ने संसद में जानकारी दी थी कि इससे एक ही व्यक्ति अलग-अलग स्थानों पर वोटर लिस्ट में अपना नाम नहीं जुड़वा सकेगा। इससे चुनाव में फर्जीवाड़ा और डुप्लिकेशन होने पर रोक लगेगी। इसके लिए लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 और आधार एक्ट (Aadhar act), 2016 दोनों में ही बदलाव किया जाएगा। हालांकि मतदाताओं के लिए आधार और वोटर आईडी को जोड़ने का फैसला अनिवार्य नहीं बल्कि वैकल्पिक होगा। अब आपको बताते हैं कि केंद्र सरकार नए कानून के क्या-क्या फायदे गिना रही है।  

आधार-वोटर ID लिंक होने से क्‍या होगा फायदा ?

नया कानून बनाने के पीछे सरकार का यह तर्क है कि देश में अभी करोड़ों की संख्‍या में डुप्‍लीकेट वोटर ID बने हुए हैं। नया कानून बनने के बाद ये सभी खत्म हो जाएंगे। वोटर ID को आधार से लिंक करने पर घुसपैठियों को पकड़ने में मदद मिलेगी। फेक वोटर ID के जरिए कई तरह की गैर-कानूनी विधियों पर अंकुश लगेगा।

फर्जी वोटर और वोटिंग के फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी

एक्सपर्ट्स का मानना है कि नए कानून से फर्जी वोटिंग (fake voting) पर नकेल कसी जा सकेगी। देखने में आया है कि अभी एक ही व्‍यक्ति का शहर और उसके गांव में भी वोटर लिस्‍ट में नाम होता है। इस तरह उसके लिए दोनों जगह वोट देने का रास्‍ता खुला रहता है। यह फर्जीवाड़े को जन्‍म देता है। नया कानून बनने के बाद लोग अलग-अलग स्‍थानों पर मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़वा सकेंगे। इस तरह चुनावों में धांधली होने की गुंजाइश भी कम होगी। 

फेक ID पर भी कसेगी नकेल

कानूनी जानकारों के मुताबिक अभी फेक वोटर आईडी की मदद से मोबाइल फोन कनेक्शन लिए जा रहे हैं। राशन कार्ड बनवाए जा रहे हैं। इसके अलावा कई तरह की सरकारी सुविधाएं भी ली जा रही हैं। नए कानून से इन सभी अवैध कामों पर अंकुश भी लगेगा। इसके अलावा देश में अवैध तरीके रह रहे विदेशी घुसपैठियों (foreign intruders voter id) ने भी वोटर ID बनवा ल‍िए हैं। उन्हें भी पकड़ने में भी मदद मिलेगी। लेकिन सरकार के इन दावों के विपरीत विपक्षी पार्टियां नए कानून के कई खतरे गिना रही हैं। अब आपको बताते हैं कि आखिर विपक्ष क्यों नए कानून का विरोध कर रहा है।  

आखिर क्यों विरोध कर रहा है विपक्ष ?

नए कानून का विरोध करने वाले विपक्षी दलों के सदस्यों का कहना है की इससे लोगों के बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन होगा। चुनाव विशेषज्ञों और स्वतंत्र विचारकों के मुताबिक आधार और वोटर आईडी कार्ड को लिंक किए जाने के कुछ फायदों के साथ नुकसान भी हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने यह साफ नहीं किया है कि वोटर आईडी के डेटाबेस और आधार के डेटाबेस के बीच कितना डेटा साझा किया जाएगा और इसके तरीके क्या होंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि नए कानून में किसी एजेंसी द्वारा मतदाताओं के डेटा लिए जाने से जुड़े प्रतिबंधों का जिक्र भी नहीं किया गया है। विपक्ष का यही भी आरोप है कि यह कानून आधार कार्ड के बारे में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court decision) के फैसले का भी उल्‍लंघन करता है। 

कांग्रेस ने कहा नए कानून का UP चुनाव में गलत उपयोग होगा

लोकसभा में चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने कहा कि इतनी हड़बड़ी किस बात की है। आज ही बिल लाना और आज ही इसे पारित करना। इस जल्दबाजी से लगता है कि सरकार के इरादे ठीक नहीं हैं। इस कानून का उत्तर प्रदेश चुनाव (UP Election) में गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा। कांग्रेस के ही शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि आधार को केवल आवास के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, नागरिकता के प्रमाण के रूप में नहीं। ऐसे में इसे मतदाता सूची से जोड़ना गलत है। 

लोगों की निजता के बुनियादी अधिकार का उल्लंघन-ओवैसी

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने केएस पुट्टुस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि नए कानून में शामिल किए गए प्रावधान 'राइट टू प्राइवेसी' का उल्‍लंघन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि आधार और वोटरकार्ड को लिंक करना गलत है। केंद्र इस तरह का कानून लाकर चुनाव आयोग (Election commission) की स्वायत्तता में दखल दे रहे हैं। उन्होंने आशंका जताई कि वोटर आईडी को आधार कार्ड से जोड़ने से सरकार स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए जरूरी 'गुप्त मतदान' की प्रक्रिया में छेड़छाड़ कर सकेगी। 

नागरिकों की प्राइवेसी खत्म होने की आशंका बढ़ेगी

विपक्ष का कहना है कि आधार को वोटर ID से लिंक करने के और भी दूसरे खतरों से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता हैं। वोटर्स का पूरा डेटा चुनाव आयोग के डेटाबेस में रहता है जो कि सरकार के किसी भी दूसरे डेटाबेस के साथ लिंक नहीं होता है। वोटर ID और आधार कार्ड के लिंक होने से लोगों की जानकरियां एक-दूसरे से जुड़ जाएगी। पिछले कुछ समय में डेटा लीक होने और हैकरों के इन्हें हासिल कर लेने की कई घटनाएं हो चुकी है ऐसे में लोगों की प्राइवेसी खत्म होने की आशंका बढ़ सकती है।

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