New Delhi. लखीमपुर केस में 18 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। इसमें केंद्रीय मंत्री अजय सिंह टेनी के आरोपी बेटे आशीष की जमानत रद्द कर दी गई। आशीष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी। आशीष पर आरोप है कि लखीमपुर के तिकुनिया गांव में उसने प्रदर्शन कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी थी।
वो 3 बातें, जिसके आधार पर SC ने बेल खारिज कर दी
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़ित पक्ष को नहीं सुना।
आशीष के पास 4 विकल्प
एक्सपर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब आशीष के पास 4 ही रास्ते बचते हैं।
1. सरेंडर करने की अवधि बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा सकते हैं।
2. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू/रीकॉल अर्जी दाखिल कर सकते हैं।
3. सुप्रीम कोर्ट से रिव्यू/रीकॉल एप्लीकेशन खारिज होने के बाद 5 जजों के सामने क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल कर सकते हैं।
4. सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव पिटीशन भी खारिज होने पर कुछ समय बाद दोबारा फ्रेश बेल एप्लिकेशन डाल सकते हैं।
129 दिनों तक रहा था जेल में
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को जमानत दी थी। आशीष 15 फरवरी को 129 दिनों बाद जेल से रिहा हुआ था। लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को किसान आंदोलन के दौरान ही बवाल हुआ था। तीन गाड़ियां प्रदर्शन कर रहे लोगों को कुचलते हुए चली गई थीं। गाड़ी से कुचलकर मारे गए किसानों के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
लखीमपुर में क्या हुआ था?
लखीमपुर जिला मुख्यालय से करीब 70 किमी दूर नेपाल की सीमा से सटे तिकुनिया गांव में 3 अक्टूबर 2021 की दोपहर करीब 3 बजे काफी संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे थे, तभी अचानक से तीन गाड़ियां (थार जीप, फॉर्च्यूनर और स्कॉर्पियो) किसानों को रौंदते चली गईं। घटना से आक्रोशित किसानों ने जमकर हंगामा किया। इस हिंसा में कुल 8 लोगों की मौत हो गई। इसमें 4 किसान, एक स्थानीय पत्रकार, दो बीजेपी कार्यकर्ता शामिल थे।
यह घटना तिकुनिया में आयोजित दंगल कार्यक्रम में UP के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पहुंचने से पहले हुई। घटना के बाद उप मुख्यमंत्री ने अपना दौरा रद्द कर दिया था। आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की कार ने विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को कुचला था।
आशीष ने लगाया था जनता दरबार
लखीमपुर हिंसा के आरोपी आशीष मिश्रा ने हाल ही में जनता दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनी थीं। विधानसभा बनबीरपुर में बने अपने ऑफिस में आशीष ने जनता दरबार लगाया। यहां लोग जमीन के विवाद, कब्जे जैसी समस्याएं लेकर पहुंचे थे। आशीष ने लोगों की समस्याएं सुनती हुईं तस्वीरें अपने ट्विटर पर शेयर कीं। आशीष के इस ट्वीट पर लोगों ने पॉलिटिकल थिंकर, धर्म की रक्षा करने वाला जैसे कमेंट किए। आशीष ने यह जनता दरबार 16 अप्रैल को लगाया था।
आशीष को जमानत क्यों मिली थी?
आशीष के वकील सलिल श्रीवास्तव ने बताया था कि गाड़ी आशीष मिश्रा नहीं, बल्कि हरिओम मिश्रा चला रहा था और उन्होंने डिफेंस में गाड़ी चढ़ाई थी। ड्राइवर के अपराध के लिए आशीष को जिम्मेदार कैसे ठहराया जा सकता है? उन्होंने ये भी बताया था कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि लखीमपुर हिंसा में किसी भी किसान की मौत गोली लगने से नहीं हुई। वकील श्रीवास्तव ने चार्जशीट पर भी सवाल उठाए थे। कहा था कि पुलिस ने जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसमें सुप्रीम कोर्ट की ओर से नामित SIT के अफसरों के दस्तखत नहीं थे, इसलिए हम इसे गैरकानूनी मानते हैं।
मामले पर काफी राजनीति भी हुई थी
तिकुनिया मामले पर कांग्रेस ने जमकर बीजेपी को जमकर घेरा था। प्रियंका गांधी लखीमपुर जाने के लिए लखनऊ पहुंची थीं। योगी सरकार ने प्रियंका को हिरासत में ले लिया। इस पर भी काफी बवाल हुआ था। बाद में प्रियंका और राहुल गांधी दोनों लखीमपुर गए थे और पीड़ित परिवारों से मिले थे।
प्रियंका ने 20 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी। इस चिट्ठी को अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर भी किया था। असल में मोदी लखनऊ में होने वाली डीजीपी कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले थे। इसमें मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी भी शामिल हुए थे। प्रियंका ने कहा था कि अगर देश के किसानों के प्रति आपकी नीयत सचमुच साफ है, तो आज अपने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के साथ डीजीपी कांफ्रेंस में मंच पर विराजमान मत होइए, उनको बर्खास्त कीजिए।