दिल्ली. भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका है, जो भुखमरी के हालात से गुजर रहा है। सरकार चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही है। लेकिन श्रीलंका की कौन-सी वो नीति रहीं जिनके चलते देश की अर्थव्यवस्था डूब गई। दुनिया में इस मुद्दा पर बहस शुरू हो गई है। भारत ने श्रीलंका की क्या मदद की। इसके साथ ही हमें जानना चाहिए कि श्रीलंका की अभी कैसी स्थिति है।
श्रीलंका में महंगाई की आग लगी
श्रीलंका में एक किलो मिर्च की कीमत 710 रुपए है। आलू की कीमत 200 रुपए किलो है। एक लीटर पेट्रोल 254 रुपए लीटर है। वहीं दूध का भाव 263 रुपए लीटर है और एक ब्रेड के पैकेट की कीमत 150 रुपए है। त्रेता युग में हनुमान जी ने लंका में आग लगाई थी और अब महंगाई ने लंका में आग लगाई है। आग भी ऐसी कि लंका के लोग इसमें झुलस रहे हैं। श्रीलंका में एक अप्रैल से आपातकाल लागू हो गया है लेकिन ऐसा क्यों हुआ हर कोई ये सवाल पूछ रहा है। इसकी एकमात्र वजह है, सरकार की गलत आर्थिक नीतियां हैं।
श्रीलंका ने क्या किया
श्रीलंका की सरकार ने पांच सालों में कई गलत फैसले लिए, जिसकी वजह से उसकी आर्थिक कमर टूट गई। सरकार का पहला फैसला था कि राजपक्षे सरकार सत्ता में आई तो लोगों को खुश करने के लिए टैक्स आधा कर दिया। नतीजा ये हुआ कि सरकार के खजाने में पैसा कम हो गया।
दूसरा फैसला था कि जैविक खेती को बढ़ावा देने में रासायनिक खाद पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि चाय, चावल के उत्पादन में भारी गिरावट आई। तीसरा फैसला ये लिया कि विदेशी कर्ज लिया गया। नतीजा ये हुआ कि श्रीलंका को सात अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। चीन का ही श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर का कर्ज है। अब श्रीलंका की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि पेट्रोल पंप पर सेना तैनात है। लोगों को राशन मिल रहा है, वो भी लिमिट में। बिजली के सारे संयंत्र बंद हो चुके हैं। 13 से 14 घंटे की अघोषित कटौती हो रही है।
दिवालिया होने की कगार पर श्रीलंका
श्रीलंका के लोग भूखमरी के चलते पलायन कर रहे हैं। भारत में उन्हें जगह दी जा रही है। एशिया में श्रीलंका ऐसा देश है, जहां मंहगाई दर सबसे ज्यादा है। श्रीलंका की इस हालत का जिम्मेदार है तो केवल वहां की सरकार जिसने ऐसे फैसले लिए, जिसकी वजह से देश दिवालिया होने की कगार पर जा खड़ा हुआ है।