New Delhi. संसद के विशेष सत्र में मंगलवार को (19 सितंबर) को लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (नारी शक्ति वंदन विधेयक) पेश किया गया। लोकसभा में आज (20 सितंबर) को सात घंटे चर्चा होगी। यह चर्चा सुबह 11 बजे से शुरू होगी, जो शाम 6 बजे तक चलेगी। इसमें मोदी सरकार की ओर से केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी, भारती पवार और अपराजिता सारंगी पक्ष रखेंगी तो वहीं कांग्रेस की ओर से कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी मुख्य वक्ता होंगी। दूसरी ओर, आंध्र प्रदेश की वायएसआर कांग्रेस ने बिल को समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
विधेयक के मुताबिक, लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण लागू किया जाएगा। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। ये रिजर्वेशन 15 साल तक रहेगा। इसके बाद संसद चाहे तो इसकी अवधि बढ़ा सकती है। हालांकि इसके लिए लंबी कवायद है।
खरगे का आरोप : सिर्फ चुनाव के लिए यह बिल लाया गया
विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, महिला आरक्षण बिल कोई नया बिल नहीं है। 2010 में किसी कारण से पास नहीं हो पाया था। उन्होंने कहा, सिर्फ चुनाव के लिए यह बिल लाया गया है। ये बिल अगली जनगणना के अनुसार लागू होगा।
सबसे बड़ा पेंच : परिसीमन के बाद ही लागू होगा बिल
नए विधेयक में सबसे बड़ा पेंच यह है कि यह परिसीमन के बाद ही लागू होगा। परिसीमन इस विधेयक के पास होने के बाद होने वाली जनगणना के आधार पर होगा। 2024 में होने वाले आम चुनावों से पहले जनगणना और परिसीमन करीब-करीब असंभव है। ऐसे में आसार हैं कि 2026 तक यह लागू हो सकता है। इस फॉर्मूले के मुताबिक, विधानसभा और लोकसभा चुनाव समय पर हुए तो इस बार महिला आरक्षण लागू नहीं होगा। यह 2029 के लोकसभा चुनाव या इससे पहले के कुछ विधानसभा चुनावों से लागू हो सकता है।
I.N.D.I.A गठबंधन के नेता बैठक में बनाएंगे रणनीति
लोकसभा में तीसरे दिन की कार्यवाही शुरू होने से पहले I.N.D.I.A गठबंधन के नेता बैठक कर रणनीति बनाएंगे। यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में होगी।
बिल पास होने से लोकसभा में 181 महिला सांसद होंगी
कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने बताया कि अभी लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं, इस बिल के पास होने के बाद 181 महिला सांसद हो जाएंगी। यह आरक्षण सीधे चुने जाने वाले जनप्रतिनिधियों के लिए लागू होगा। यानी यह राज्यसभा और राज्यों की विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा।