सीएम और शिक्षा मंत्री के गृह जिले टॉप-10 में नहीं, 4 महानगरों की रैंकिंग भी पिछड़ी, भोपाल 51वें नंबर पर

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Rahul Sharma
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सीएम और शिक्षा मंत्री के गृह जिले टॉप-10 में नहीं, 4 महानगरों की रैंकिंग भी पिछड़ी, भोपाल 51वें नंबर पर

BHOPAL. प्रदेश में स्कूल शिक्षा का सालाना बजट करीब 27 हजार करोड़ है। इसमें से प्रारंभिक शिक्षा पर करीब 10 हजार करोड़ से अधिक खर्च हो रहे हैं। लेकिन शिक्षा का स्तर कितना सुधर रहा है...इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 15 सितंबर, गुरूवार को राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल द्वारा प्रदेश के सरकारी स्कूलों (कक्षा 1 से 8 तक) के शैक्षणिक स्तर की जो जिलेवार रिपोर्ट जारी की है, उसके टॉप-10 में सीएम शिवराज सिंह चौहान और शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का गृहजिला शाजापुर है ही नहीं। 4 महानगरों की बात करें तो कोई भी टॉप-30 तक भी अपनी जगह नहीं बना पाया। प्रदेश में 52 जिले हैं और भोपाल की रैंक 51वीं आई है, जबकि यहां से सरकार चलती है और सरकारी योजनाओं का नीति निधारण करने वाले तमाम बढ़े अधिकारी चयहीं रहते हैं...मतलब दिया तले अंधेरा। बता दें कि राज्य शिक्षा केंद्र यानी आरएसके हर तीसरे महीने इस तरह की रिपोर्ट जारी करता है, जिससे जिलों में प्रतिस्पर्धा हो और शैक्षणिक स्तर सुधर सके। पर ऐसा हो नहीं रहा। कुछ जिले लगातार खराब प्रदर्शन कर रहे हैं और कुछ तो ऐसे हैं जिनमें शैक्षणिक स्तर पिछले सत्र की तुलना में और अधिक गिर गया है।



छतरपुर, बालाघाट, छिंदवाड़ा का सबसे अच्छा प्रदर्शन



राज्य शिक्षा केंद्र ने जो त्रिमासिक रैकिंग जारी की है, उसमें पहली रैंक छतरपुर, दूसरी रैंक बालाघाट और तीसरी रैंक​ छिंदवाड़ा जिले को मिली है। चौथे पायदान पर पन्ना और पांचवे पायदान पर दमोह है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर 11वे स्थान पर है और शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार का जिला शाजापुर 12वें स्थान पर है।



पिछले सत्र के मुकाबले खराब 4 महानगरों का प्रदर्शन



रिपोर्ट के अनुसार राजधानी भोपाल की पिछले शैक्षणिक सत्र में रैंकिंग 35वी थी जो इस बार 16 पायदान गिरकर 51वी हो गई है। मतलब यहां पिछले सत्र के मुकाबले और भी बुरे हाल हैं। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की बात करें तो यहां भी तस्वीर भोपाल से जुदा नहीं है। पिछले सत्र में इंदौर की रैंक 23वी थी जो 19 पायदान गिरकर 42वे पर पहुंच गया है। इसी तरह जबलपुर 19वां पायदान गिरकर 31वें स्थान पर है। ग्वालियर  की 37वी रैंक है।



किसी भी जिले की नहीं है एक्सीलेंट परफॉर्मेंस



रिपोर्ट को पांच ग्रेड में बांटा गया है। इसमें ए—प्लस यानी एक्सीलेंट परफॉर्मेंस किसी भी जिले की नहीं है। ए यानी अच्छा प्रदर्शन करने वाले जिलों की संख्या 15, बी यानी संतोषजनक प्रदर्शन करने वाले जिलों की संख्या 36 है। सी यानी एवरेज प्रदर्शन सिर्फ एक जिले रतलाम ने किया है, इसकी रैंकिंग 52वी है। डी यानी पुअर प्रदर्शन किसी जिले का नहीं है।  



ऐसे मिली जिलों को रैंकिंग



राज्य शिक्षा केंद्र ने 6 मुख्य घटक लिए। इनमें बच्चों के नामांकन और उनके स्कूल रूकने की स्थिति पर 21 नंबर, लर्निंग आउटकम क्वालिटी पर 21 नंबर, टीचर्स डेवलपमेंट पर 20 नंबर, इक्विटी पर 12, इंफ्रास्ट्रक्चर पर 10 और गवर्नेंस प्रोसेस पर 16 नंबर निर्धारित किए गए थे। इन 6 मुख्य घटक पर 32 पैरामीटर के आधार पर जिलों को 100 में से नंबर दिए गए। इनमें 90 से 100 अंक लाने पर ए प्लस, 75 से 89.99 अंक लाने पर ए, 60 से 74.99 अंक लाने पर बी, 50 से 59.99 अंक लाने पर सी और 0 से 49.99 अंक लाने पर डी ग्रेड दी गई है। 


RSK raajy shiksha kendr's quarterly district wise grading report Madhya Pradesh's declining educational level government school's poor condition राज्य शिक्षा केंद्र की त्रिमासिक जिलेवार ग्रेडिंग रिपोर्ट मध्यप्रदेश का गिरता शैक्षणिक स्तर सरकारी स्कूल के हाल बेहाल आरएसके