BHOPAL. आम आदमी पार्टी (AAP) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। आप ने पूरे देश में मोदी के खिलाफ पोस्टर लगाने का ऐलान किया है। ये पोस्टर 11 भाषाओं में छपवाए गए हैं। मार्च के तीसरे हफ्ते में भी इसी तरह का मामला सामने आया था। दिल्ली में मोदी हटाओ, देश बचाओ के पोस्टर लगे थे। इसमें 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 100 से ज्यादा एफआईआर दर्ज की गई थीं। कांग्रेस के शासनकाल के दौरान इंडिया अगेंस्ट करप्शन का नारा देकर अरविंद केजरीवाल ने पहचान बनाई, फिर पार्टी का गठन किया और सत्ता में आ गए। केंद्र में 9 साल से नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार है। 2014 के लोकसभा चुनाव में केजरीवाल बनारस में मोदी के खिलाफ लड़े थे। हालांकि, उन्हें हार मिली थी। मोदी के खिलाफ लड़कर केजरीवाल ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। अब वे मोदी सरकार के खिलाफ सीधे हेडऑन ले रहे हैं। दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। गुजरात में दमखम दिखाने के बाद केजरीवाल की नजर मध्य प्रदेश पर है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आप देश के 54 राजनीतिक दलों में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली पार्टी बन गई है। पिछले साल दिसंबर में आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल चुका है। जानते हैं आप का 11 साल का सफर...
महज 10 साल में बनी राष्ट्रीय पार्टी
आम आदमी पार्टी का राजनीतिक सफर 2 अक्टूबर 2012 से शुरू हुआ। आप का जन्म दिल्ली में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से हुआ। पार्टी ने अपना पॉलिटिकल डेब्यू भी दिल्ली से ही किया। 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले आप ने ‘बिजली पानी आंदोलन’ चलाया। अरविंद केजरीवाल ने तब शीला दीक्षित सरकार के खिलाफ धरना दिया और 14 दिनों तक भूख हड़ताल की। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप को पहली बड़ी सफलता हाथ लगी। आप ने 70 में से 28 सीटें जीतकर सभी को चौंका दिया। इसके बाद आप ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन वो ज्यादा नहीं चल सकी। फरवरी 2014 में अरविंद केजरीवाल ने पूर्ण बहुमत की सरकार ना होने की वजह से इस्तीफा दे दिया।
केजरीवाल ने दिल्ली सरकार से इस्तीफा देने के बाद जोश में आकर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया, बिना ये देखे कि पार्टी का कैडर क्या है और सामने कौन है। आप ने 2014 लोकसभा चुनाव में देशभर में 400 उम्मीदवारों को उतारा, लेकिन इनमें से सिर्फ 4 कैंडिडेट ही जीत सके। ये चारों कैंडिडेट पंजाब से ही थे। इसने आम आदमी पार्टी को ये एहसास करा दिया कि पंजाब में आप का भविष्य सुनहरा हो सकता है। पार्टी अपने गठन के 2 साल के अंदर ही दो राज्यों में कमाल कर चुकी थी, दिल्ली में सरकार बना चुकी थी और पंजाब में लोकसभा चुनाव में कमाल कर चुकी थी। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में पंजाब में भी आप की सरकार है।
दिल्ली दो बार जीते
2015 में दिल्ली में आप ने 70 में से 67 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। केजरीवाल सरकार ने बिजली, पानी, शिक्षा पर फोकस किया और इसे देशभर में ‘दिल्ली मॉडल ऑफ गुड गवर्नेंस’ के नाम से प्रचारित किया। 2015 से 2020 तक पार्टी ने अलग-अलग राज्यों और दूसरी इकाइयों में चुनाव लड़े, लेकिन पार्टी को सफलता नहीं मिली। 2019 लोकसभा चुनाव में भी आप को करारी हार मिली, पार्टी दिल्ली की सभी 7 सीटें तो हारी ही, वहीं पंजाब में भी सिर्फ भगवंत मान ही जीत सके, बाकी सभी हार गए। लेकिन कहानी अभी बाकी थी। 2020 में आप ने फिर चौंकाया और दिल्ली विधानसभा में फिर 70 में 62 सीटें जीतकर BJP को धूल चटा दी। अब आप उत्तराखंड और गोवा में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है।
10 साल में बन गई राष्ट्रीय पार्टी
देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के जन आंदोलन से उपजी आप का राजनीतिक पार्टी के रूप में औपचारिक गठन 26 नवंबर 2012 को हुआ था। पिछले साल दिसंबर आप देश में राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने वाली 8वीं पार्टी बन गई। इससे पहले कांग्रेस, बीजेपी, बीएसपी, सीपीआई, सीपीएम, राष्ट्रवादी कांग्रेस यानी एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी को ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल था।
राष्ट्रीय पार्टी के लिए ये जरूरी शर्तें, आप ने दो पूरी कीं
- पहली शर्त- कोई भी ऐसी पार्टी जिसे 4 राज्यों में प्रादेशिक यानी क्षेत्रीय दल का दर्जा हासिल है उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है।
इन 3 शर्तों में पहली शर्त के साथ दूसरी या तीसरी शर्त को पूरा करने वाले दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल होता है। इन शर्तों के लिहाज से आम आदमी पार्टी ने पहली और तीसरी शर्त का मापदंड पूरा कर लिया। अभी लोकसभा में कोई सीट उसके खाते में नहीं है, लेकिन उसने राज्यों के विधानसभा चुनाव में 6 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल कर कुल 161 सीट जीत लीं। इनमें दिल्ली विधानसभा में 62, पंजाब में 92, गोवा में 2 और गुजरात की 5 सीट शामिल हैं।
दूसरे क्षेत्रीय पार्टियों से आम आदमी पार्टी कैसे अलग?
आम आदमी पार्टी को एक बात जो खास बनाती है वो ये कि ये पार्टी किसी भी पहचान, भाषा, संस्कृति, समुदाय, जाति, धर्म, क्षेत्र से जुड़ी पार्टी नहीं है, बल्कि ये एक राष्ट्रीय आंदोलन से निकली पार्टी है, जिसमें देश के सभी हिस्सों से आए लोग शामिल हुए। पार्टी ने अपने प्रतीकों के रूप में भी महात्मा गांधी, बाबा साहेब अंबेडकर और भगत सिंह जैसी शख्सियतों को चुना है। पंजाब चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी ने अंबेडकर और भगत सिंह को और ज्यादा अहमियत दी। इसकी वजह ये है कि अंबेडकर और भगत सिंह दोनों राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं। पूरे देश के युवाओं का खासा रुझान भगत सिंह की तरफ है, तो वहीं दलित आबादी अंबेडकर से खुद को कनेक्ट करती है।
केजरीवाल की डिनर डिप्लोमैसी
आम आदमी पार्टी मिशन 2024 के लिए भी रणनीति तैयार करती दिख रही है। खबर थी कि आप प्रमुख और सीएम केजरीवाल के पतीले में 8 लोगों की खिचड़ी पक रही है। केजरीवाल ने पत्र लिखकर 7 गैर-बीजेपी व गैर-कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को 18 मार्च को डिनर पर बुलाया था। हालांकि यह पत्र बाद में वायरल हो गया। केजरीवाल के इस पत्र को 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनावी गठबंधन की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, इसके बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जी-8 एक ऐसा मंच है, जिसका उद्देश्य शासन संबंधी विषयों पर चर्चा करना है और इसका 2024 के लोकसभा चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है।