AAP को नेशनल पार्टी का दर्जा मिलने से कई फायदे, 3 पार्टियों से छिन जाएंगी 6 फैसिलिटीज, 5 साल में इतने दलों का गया करंट स्टेटस

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Atul Tiwari
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AAP को नेशनल पार्टी का दर्जा मिलने से कई फायदे, 3 पार्टियों से छिन जाएंगी 6 फैसिलिटीज, 5 साल में इतने दलों का गया करंट स्टेटस

NEW DELHI. चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल को तीन बड़ी पार्टियों- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), तृणमूल कांग्रेस (TMC) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) का नेशनल पार्टी का दर्जा खत्म कर दिया है, जबकि आम आदमी पार्टी (AAP) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दे दिया। चुनाव आयोग का कहना है  कि इन दलों को 2 संसदीय चुनावों और 21 राज्य विधानसभा चुनावों के पर्याप्त मौके दिए गए थे, लेकिन वे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए, इसलिए उनका यह नेशनल पार्टी का स्टेटस वापस ले लिया गया। किस आधार पर किसी राजनीतिक दल का नेशनल दर्जा बरकरार रहता है या छिन जाता है, चुनाव आयोग के इस एक्शन से इन पार्टियों को क्या फायदा या क्या नुकसान होगा, आइए जानते हैं...



राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के ये 3 प्रमुख नियम




  • पार्टी को 4 राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिला हो।


  • 3 राज्यों को मिलाकर लोकसभा की 3 फीसदी सीटें जीती हों।

  • 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 4 राज्यों में 6% वोट हासिल कर लिए हों।



  • राष्ट्रीय पार्टी बनने पर ये 7 फायदे




    • पार्टी देश में कहीं भी चुनाव लड़ सकेगी। दूसरे शब्दों में कहें तो किसी भी राज्य में उम्मीदवार उतार सकेगी।


  • पार्टी को पूरे देश में एक ही चुनाव चिह्न आवंटित हो जाता है यानी वह चिह्न दल के लिए रिजर्व हो जाता है, कोई और पार्टी उसका इस्तेमाल नहीं कर सकेगी।

  • चुनाव में नामांकन दाखिल करने के दौरान उम्मीदवार के साथ एक प्रस्तावक होने पर भी मान्य होगा।

  • चुनाव आयोग वोटर लिस्ट संशोधन पर दो सेट मुफ्त में देता है। साथ ही उम्मीदवारों को भी मतदाता सूची मुफ्त में देता है।

  • पार्टी दिल्ली में केंद्रीय दफ्तर खोलने की हकदार हो जाती है, जिसके लिए सरकार कोई बिल्डिंग या जमीन देती है।

  • पार्टी चुनाव प्रचार में 40 स्टार कैंपेनर्स को उतार सकेगी। स्टार प्रचारकों पर होने वाला खर्च पार्टी प्रत्याशी के चुनावी खर्च में शामिल नहीं होगा।

  • चुनाव से पहले दूरदर्शन और आकाशवाणी के जरिए जन-जन तक संदेश पहुंचाने के लिए एक तय समय मिल जाता है।



  • राष्ट्रीय दल न रहने पर छिन जाती हैं ये सुविधाएं




    • ईवीएम या बैलट पेपर की शुरुआत में दल का चुनाव चिह्न नहीं दिखाई देगा।


  • चुनाव आयोग जब भी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाएगा, तो यह जरूरी नहीं कि उस पार्टी को भी बुलाया जाए।

  • पॉलिटिकल फंडिंग प्रभावित हो सकती है।

  • दूरदर्शन और आकाशवाणी में मिलने वाला टाइम स्लॉट छिन जाएगा।

  • चुनाव के दौरान स्टार प्रचारकों की संख्या 40 से घटकर 20 हो जाएगी।

  • राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए पार्टी को अलग सिंबल लेना होगा।



  • TMC, NCP, CPI से इसलिए छिना राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा




    • चुनाव आयोग के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस को 2016 में नेशनल पार्टी का दर्जा दिया गया था, लेकिन गोवा और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में इसके खराब प्रदर्शन के कारण यह दर्जा वापस लेना पड़ा।


  • अरुणाचल प्रदेश में पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में एक स्टेट पार्टी के मानदंडों को पूरा नहीं किया।

  • शरद पवार ने 1999 में एनसीपी का गठन किया था। 2000 में इसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्ज मिल गया, लेकिन गोवा, मणिपुर और मेघालय में खराब प्रदर्शन के कारण पार्टी ने यह दर्जा खो दिया।

  • सीपीआई की स्थापना 1925 में हुई थी। 1989 में इसे राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता मिली थी, लेकिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद उससे यह टैग वापस ले लिया गया।



  • 5 साल में 9 पार्टियों से छिना करंट स्टेटस



    चुनाव आयोग मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के स्टेटस का रिव्यू करता है, जो सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत एक सतत प्रक्रिया है। 2019 से अब तक चुनाव आयोग ने 16 राजनीतिक दलों के स्टेटस को अपग्रेड किया है और 9 राष्ट्रीय/राज्य राजनीतिक दलों के करंट स्टेटस को वापस लिया है।



    आयोग के फैसले को चुनौती देगी टीएमसी



    तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने राष्ट्रीय पार्टी का तमगा छीनने के चुनाव आयोग के फैसले पर नाराजगी जताई है। न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि टीएमसी आयोग के इस फैसले को चुनौती देने के लिए कानूनी विकल्प तलाश कर रही है। टीएमसी का कहना है कि पार्टी ने कई राज्यों में बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि, सीएम ममता बनर्जी ने इस फैसले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।



    वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने ट्वीट किया- टीएमसी ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया और एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में पहचानी जाएगी। टीएमसी को विकसित करने की दीदी की ख्वाहिश को कोई जगह नहीं मिली। क्योंकि लोग जानते हैं कि टीएमसी सबसे भ्रष्ट, तुष्टिकरण और आतंक से भरी सरकार चलाती है। इस सरकार का पतन भी निश्चित है, क्योंकि बंगाल के लोग इस सरकार को लंबे समय तक बर्दाश्त नहीं करेंगे।



    दर्जे के लिए AAP को कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी



    गुजरात चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने का हकदार हो गई थी, लेकिन चुनाव आयोग की ओर से यह दर्जा मिलने में देरी हो रही थी। इसके बाद पार्टी ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था। AAP कर्नाटक के संयोजक पृथ्वी रेड्डी की तरफ से कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इसमें कहा गया था कि आप नेशनल पार्टी बनने की सभी शर्तें पूरी करती है, इसके बावजूद दर्जा मिलने में देरी हो रही है। इस कोर्ट ने चुनाव आयोग को 13 अप्रैल तक यह फैसला करने को कहा कि AAP राष्ट्रीय पार्टी बनती है या नहीं। चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल को आप के राष्ट्रीय पार्टी बनने पर मुहर लगा दी।


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