NEW DELHI. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), समय के साथ 'विज्ञान और अंतरिक्ष' की दुनिया में भारत का स्वर्णिम इतिहास लिख रहा है। इसकी ताजा मिसाल 'आदित्य एल-1' मिशन है। सूर्य के अध्ययन के लिए देश का पहला अंतरिक्ष आधारित मिशन पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर 'लैग्रेंज पॉइंट 1' पर सफलतापूर्वक पहुंच गया है। सूर्य मिशन की कमान एक महिला वैज्ञानिक के हाथ में है। उनका नाम है निगार शाजी (Nigar Shaji)। आदित्य एल-1 की सफलता के बाद निगार शाजी की दुनियाभर में खूब चर्चा हो रही है।
इसरो के कई मिशन में अहम भूमिका निभाई शाजी ने
निगार शाजी एक सौम्य और मुस्कुराती महिला हैं। जिन्होंने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपनी टीम के साथ आठ वर्षों तक अथक परिश्रम किया। इसरो के कई मिशनों में अहम भूमिका निभा रही 59 वर्षीय शाजी अब उन कई महिलाओं के लिए आदर्श बन गई हैं जो अंतरिक्ष विज्ञान में अपना करियर बनाना चाहती हैं।
निगार शाजी के बारे में सबकुछ जानने से पहले उनकी पोस्ट देख लेते हैं-
उन्होंने लिखा, 'आप अपने बच्चे को एक बड़े घर में रहने दे सकते हैं, उसे घूमने-फिरने के लिए ड्राइवर और कार दे सकते हैं, अच्छा खाना खा सकते हैं, पियानो सीख सकते हैं, बड़ी स्क्रीन वाला टीवी देख सकते हैं, लेकिन जब आप घास काट रहे हों, तो कृपया उन्हें इसका अनुभव करने दें।'
भोजन के बाद उन्हें अपने भाइयों और बहनों के साथ अपनी प्लेटें और कटोरे धोने दें। उन्हें सार्वजनिक बस में यात्रा करने के लिए कहें। ऐसा इसलिए नहीं है कि आपके पास कार के लिए या नौकरानी रखने के लिए पैसे नहीं हैं, बल्कि इसलिए कि आप उन्हें सही तरीके से प्यार करना चाहते हैं।
निगार शाजी, वैज्ञानिक, इसरो
दो बच्चों की मां निगार शाजी ने लिखा, 'सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका बच्चा प्रयास की सराहना करना सीखता है, और कठिनाई का अनुभव करता है, और काम पूरा करने के लिए दूसरों के साथ काम करने की क्षमता सीखता है।'
37 साल पहले से हैं इसरो में
निगार शाजी ने 1987 में विशिष्ट अंतरिक्ष एजेंसी इसरो को जॉइन किया था। उन्होंने इसरो में अपना कार्यकाल आंध्र तट के पास श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष बंदरगाह पर काम के साथ शुरू किया था। बाद में उन्हें बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में स्थानांतरित कर दिया गया, जो उपग्रहों के विकास के लिए प्रमुख केंद्र है। इन्होंने इसरो के साथ कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक पूरा किया। शाजी इसरो में भरोसे का प्रतीक बन गईं। इसके बाद उन्हें भारत के पहले सौर मिशन के परियोजना निदेशक बनाया गया। शाजी पहले रिसोर्ससैट-2ए के सहयोगी परियोजना निदेशक भी रह चुकी हैं। यह प्रोजेक्ट अभी भी चालू है। शाजी सभी निचली कक्षा और ग्रहीय मिशनों के लिए प्रोग्राम डायरेक्टर भी हैं।
मिशन पर 2016 में शुरू हुआ था काम
शाजी और उनकी टीम ने 2016 में आदित्य एल1 मिशन पर काम करना शुरू किया। हालांकि, 2020 के आसपास कोविड महामारी ने उनके काम को रोक दिया। उस समय इसरो की गतिविधियां लगभग रुक गईं, लेकिन प्रोजेक्ट का काम कभी नहीं रुका। उन्होंने और उनकी टीम ने सात वैज्ञानिक उपकरणों वाली सोलर ऑब्जर्वेटरी पर काम करना जारी रखा। मिशन आदित्य एल1 को पिछले साल 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था। शाजी और उनकी टीम ने कई अभ्यासों के बाद पृथ्वी से L1 बिंदु की ओर अपनी पूरी यात्रा के दौरान अंतरिक्ष यान पर कड़ी नजर रखी। उनकी कड़ी मेहनत के कारण, आदित्य-एल1 अंततः अपने गंतव्य, हेलो कक्षा तक पहुंच गया है। यहां से अंतरिक्ष यान बिना किसी बाधा या रुकावट के सूर्य का निरीक्षण करेगा।
पिता की प्रेरणा से बढ़ीं आगे
शाजी का जन्म तमिलनाडु के तेनकासी जिले के सेनगोट्टई में एक मुस्लिम तमिल परिवार में हुआ। शाजी की स्कूली शिक्षा सेनगोट्टई में ही हुई। उन्होंने मदुरै कामराज विश्वविद्यालय के तहत तिरुनेलवेली के सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। उन्होंने यहां से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। बाद में, उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मिसरा से इलेक्ट्रॉनिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। शाजी के पिता शेख मीरान भी मैथ में ग्रेजुएट थे। हालांकि, उन्होंने अपनी पसंद से खेती की ओर रुख किया। हाल ही में एक इंटरव्यू में शाजी ने बताया था कि मेरे पिता ने मुझे हमेशा जीवन में कुछ बड़ा करने के लिए प्रेरित किया। मेरे माता-पिता दोनों ने मेरे पूरे बचपन में बहुत सहयोग किया। उनके निरंतर समर्थन के कारण, मैं इतनी ऊंचाइयों तक पहुंची।
इसरो में महिला के रूप में भेदभाव नहीं
अंतरिक्ष एजेंसी में लैंगिक भेदभाव के बारे में किसी भी गलतफहमी को दूर करते हुए शाजी ने कहा कि उन्हें इसरो में कभी भी लैंगिक भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। उनका कहना है कि अपने सीनियर्स के लगातार सहयोग के कारण ही वह आज इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं। शाजी कहती हैं कि टीम लीडर होने के नाते, अब कई लोग मेरे अधीन काम करते हैं। इसलिए, मैं उसी तरह तैयार होती हूं जैसे मेरे सीनियर्स ने मुझे तैयार किया।