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बेंगलुरु में एक AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना कानून के दुरुपयोग पर बहस छेड़ दी है। सुसाइड से पहले अतुल ने 1 घंटा 20 मिनट का वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उसने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल वालों को मौत का जिम्मेदार ठहराया है। इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर गुस्सा और बहस तेज हो गई है।
वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट
अतुल सुभाष ने सुसाइड से पहले 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो बनाया और 24 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा। इस नोट में उन्होंने अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाए। अतुल के अनुसार, पत्नी और उसके परिवार ने घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश और दहेज प्रताड़ना समेत 9 केस दर्ज कराए थे। उन्होंने कहा कि 2019 में शादी के बाद से ही ससुराल वाले उनसे पैसे मांगते थे।
NCRB की चौंकाने वाली रिपोर्ट
NCRB (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक, हर 10 में से 7 आत्महत्या करने वाले पुरुष होते हैं। 2022 में 1.70 लाख लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें से 1.22 लाख पुरुष थे। हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या करते हैं यानी हर साढ़े 4 मिनट में एक पुरुष सुसाइड करता है।
दहेज कानून के दुरुपयोग की बहस तेज
अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद घरेलू हिंसा और दहेज कानून के दुरुपयोग को लेकर सोशल मीडिया पर गुस्सा और बहस शुरू हो गई है। लोग कह रहे हैं कि इन कानूनों के कारण झूठे मामलों में पुरुषों और उनके परिवारों को फंसाया जाता है। कई पुरुषों को मानसिक तनाव और डिप्रेशन का शिकार होना पड़ता है, जिससे वे आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं।
आत्महत्या के पीछे क्या हैं कारण?
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, आत्महत्या करने के तीन प्रमुख कारण हैं - पारिवारिक समस्याएं, बीमारी और आर्थिक तंगी। 2022 में 32% लोगों ने पारिवारिक समस्याओं और 19% लोगों ने बीमारी के कारण आत्महत्या की। शादी से जुड़ी परेशानियों के कारण 8,164 लोगों ने सुसाइड किया, जिनमें से 52% पुरुष थे। डिप्रेशन और मानसिक तनाव भी आत्महत्या के बड़े कारणों में से एक है।
पर मर्द क्यों करते हैं ज्यादा आत्महत्या?
2011 में एक रिसर्च हुई थी। इसमें ये पता लगाने की कोशिश की गई थी कि आखिर महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा सुसाइड क्यों करते हैं? इस रिसर्च में सामने आया था कि समाज में पुरुषों को अक्सर ताकतवर और मजबूत समझा जाता है और इस वजह से वो अपने डिप्रेशन या सुसाइल फीलिंग को दूसरे से साझा नहीं कर पाते और आखिर में थक-हारकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। 2003 में भी एक मर्दों में सुसाइड को लेकर यूरोप में स्टडी हुई थी। इस स्टडी में बताया गया था कि बेरोजगारी के समय मर्दों के सुसाइड करने का रिस्क बढ़ जाता है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि समाज और परिवार को जो उनसे उम्मीद है, उस पर वो खरे नहीं उतर पा रहे हैं। इन सबके अलावा पुरुषों में सुसाइड की एक वजह शराब और ड्रग्स की लत को भी माना जाता है, क्योंकि नशा सुसाइडल टेंडेंसी को बढ़ाता है।
क्या आत्महत्या की कोशिश अपराध है ?
इस बात को लेकर अक्सर बहस होती रहती है कि क्या आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है? तो इसका जवाब है- पहले हां था लेकिन अब नहीं. आईपीसी में आत्महत्या की कोशिश करना अपराध था। हालांकि, मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 की धारा 115 आत्महत्या की कोशिश करने वाले तनाव से जूझ रहे लोगों को इससे राहत देती है। ये धारा कहती है कि अगर ये साबित हो जाता है कि आत्महत्या की कोशिश करने वाला व्यक्ति बेहद तनाव में था, तो उसे किसी तरह की सजा नहीं दी जा सकती। बहरहाल, आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है। अगर आपको भी कोई परेशानी है तो दोस्तों-रिश्तेदारों से बात करें या डॉक्टरी सलाह लें। सही समय पर सही सलाह ले ली तो इसे काफी हद तक रोका जा सकता है।
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