प्रियांजली गुप्ता ने डेवलप किया साइन लैंग्वेज ट्रांसलेटर AI टूल, दिव्यांगों के लिए होगा मददगार

दिल्ली की प्रियांजली गुप्ता ने एक AI सॉफ्टवेयर विकसित किया है, जो साइन लैंग्वेज को रियल-टाइम में शब्दों में ट्रांसलेट करता है। यह सॉफ्टवेयर अमेरिकी साइन लैंग्वेज (ASL) को वेबकैम के माध्यम से ट्रांसलेट करता है

author-image
Manya Jain
New Update
ai-sign-language-translation-software-priyanjali-gupta-delhi
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

दिल्ली की प्रियांजली गुप्ता ने AI (artificial intelligenc) सॉफ्टवेयर विकसित किया है जो साइन लैंग्वेज को रियल-टाइम में शब्दों में ट्रांसलेशन करता है।

यह टेक्नोलॉजीी इनोवेशन सुनने और बोलने में असमर्थ व्यक्तियों के लिए कम्युनिकेशन के नए रास्ते खोल सकता है।

यह सॉफ्टवेयर अमेरिकी साइन लैंग्वेज (ASL) का ट्रांसलेशन करता है और एक वेबकैम का उपयोग करता है। यह सॉफ्टवेयर साइन लैंग्वेज के इशारों को तुरंत शब्दों में बदलता है।

प्रियांजली को ऐसे मिला इंसपिरेशन

प्रियांजली गुप्ता तमिलनाडु के वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की थर्ड इयर की स्टूडेंट हैं। एक दिन उनकी मां के एक दिवयांग स्टूडेंट से मिलीं थी।

इस दौरान उन्होंने देखा की उस स्टूडेंट को सुनने औऱ बोलने की कमजोरी (Deaf mute children) के चलते खाफी परेशान होना पड़ता है। इस घटना ने प्रियांजली को प्रेरित किया कि वह AI का इस्तेमाल करके इस समस्या का हल डेवलप कर लिया।

उन्होनें कहा कि “मैं टेक्निकल नॉलेज का इस्तेमाल वर्तमान समस्याओं का हल निकालने के लिए करना चाहती थी, खासकर दिव्यांग लोगों के लिए,”। वह इंक्लूसिव  टेक्नोलॉजी पर काम करने में गहरी रुचि रखती हैं।

AI सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है

यह AI सॉफ्टवेयर TensorFlow की ऑब्जेक्ट डिटेक्शन API का उपयोग करता है। ये ऐप ऑब्जेक्ट्स, इशारों और हाव-भाव की पहचान में मदद करता है।

यह सिस्टम हाथों, बाहों और कभी-कभी चेहरे के हाव-भाव का विश्लेषण करता है ताकि साइन लैंग्वेज के इशारों को समझा जा सके। हालांकि यह सॉफ्टवेयर अभी केवल अमेरिकी साइन लैंग्वेज का सर्पोट करता है। प्रियांजली का मानना है कि इसे अन्य साइन लैंग्वेज में भी डेवलप किया जा सकता है।  

यह टेक्नोलॉजी 250-300 इमेज्स के छोटे डेटासेट का उपयोग करती है। इस डेटा सेट को प्रियांजली ने मैन्युअल रूप से एनोटेट किए हैं। यह एक प्री-ट्रेंड SSD मॉडल (Single Shot MultiBox Detector) का उपयोग करके सही अनुमान लगाने में मदद करती है।

यह कोड पायथन में लिखा गया है और इसे Jupyter Notebook पर चलाया गया है। यह सॉफ्टवेयर ओपन-सोर्स है और टेक्नोलॉजी समुदाय के लिए उपलब्ध है।

वायरल पहचान और भविष्य के लक्ष्य

प्रियांजली के इस प्रोजेक्ट को लिंक्डइन पर शेयर करने के बाद यह वायरल हो गया। इस वीडियो को 66,000 से अधिक लाइक्स (देश दुनिया न्यूज) मिले हैं। 

https://www.linkedin.com/posts/fruitykernel_made-this-model-using-this-cool-tensorflow-activity-6893945275736494080-1GwA?utm_source=share&utm_medium=member_desktop&rcm=ACoAADwg1YABICjD9dzldJQ53wzeUoUr_4PuZOE

प्रियांजली ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा

“यह छोटे पैमाने पर मॉडल पूरी समस्या का समाधान नहीं कर सकता है,”। “साइन लैंग्वेज में हाथ के इशारों के अलावा चेहरे के हाव-भाव और शरीर की गति भी शामिल होती है। 

इसे समझने के लिए एक बहुत गहरे न्यूरल नेटवर्क की आवश्यकता होती है। मुझे विश्वास है कि हम अगले तीन से पांच वर्षों में बेहतर समाधान पाएंगे।”

प्रियांजली का लक्ष्य अपनी ग्रेजुएट डिग्री के बाद दो साल तक काम करना है ताकि वह वास्तविक दुनिया की समस्याओं को समझ सकें, इसके बाद वह मास्टर डिग्री  करना चाहती हैं।

वॉयस असिस्टेंट्स जैसी चीजो भी बनाएगा सरल

प्रियांजली का मानना है कि अभी सॉफ्टवेयर एक छोटे पैमाने का मॉडल है, लेकिन इसका रियल-टाइम ट्रांसलेशन कैपेसिटी अच्छी है। यह सिस्टम न केवल साइन लैंग्वेज को समझने में मदद करेगी।

साथ वॉयस असिस्टेंट्स जैसे गूगल असिस्टेंट, अलेक्सा, और सीरी जैसी टेक्नोलॉजी को भी सुनने में असमर्थ (मूक बधिर) यूजर्स के लिए सरल बनाएगी। प्रियांजली का मानना है कि जैसे-जैसे AI और मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजीें विकसित होती जाएंगी। 

ये भी पढ़ें...

अब हर मोबाइल फोन में जरूरी होगा Sanchar Saathi App, जानें क्यों यह ऐप है जरूरी

WhatsApp की बड़ी सुरक्षा चूक: Meta की लापरवाही से 350 करोड़ यूजर्स का मोबाइल नंबर लीक

खोए हुए मोबाइल को ढूंढने में कारगर साबित होगा संचार साथी ऐप, जानें अब तक कितने मिले

Aadhaar App: अब मोबाइल नंबर बदलना हुआ आसान, फर्जी पहचान भी होगी तुरंत बेनकाब

AI मूक बधिर Deaf mute children देश दुनिया न्यूज इनोवेशन artificial intelligenc
Advertisment